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BHOPAL.मध्यप्रदेश कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने की पहल शुरू की है। सवाल है कि क्या यह गुटबाजी की दीवारें तोड़ पाएगा? पार्टी के भीतर पुराने और नए नेताओं के बीच खींचतान बढ़ रही है। आगामी विधानसभा (2028) और लोकसभा (2029) चुनाव से पहले संगठन सशक्तिकरण का असर देखने वाली बात होगी।
पचमढ़ी में जिलाध्यक्षों का ट्रेनिंग कैंप
कांग्रेस ने 2 से 11 नवंबर तक पचमढ़ी में जिलाध्यक्षों का 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने जा रही है। इस दौरान प्रदेशभर के 71 जिला अध्यक्ष संगठन की रणनीति, जनसंपर्क और बूथ स्तर की मजबूती पर प्रशिक्षण लेंगे। पार्टी का मकसद है कि जिलास्तर से लेकर पंचायत स्तर तक कांग्रेस की पकड़ दोबारा मजबूत की जाए। कांग्रेस हर विधानसभा क्षेत्र से 100 रुपए लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी। ट्रेनिंग कैंप में इस निर्णय पर भी फैसला लिया जाएगा।
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संगठन विस्तार की तैयारी
प्रशिक्षण के साथ ही कांग्रेस पूरे प्रदेश में 'पंचायत कांग्रेस कमेटी' और 'वार्ड कांग्रेस कमेटी' का गठन करने जा रही है। इसके अलावा ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा भी जल्द की जा सकती है। पार्टी चाहती है कि हर स्तर पर संगठन की नई ऊर्जा महसूस हो और पुराने ढर्रे को बदला जाए।
पुराने घाव, नई चुनौतियां
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती आंतरिक गुटबाजी की ही है। प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद भी कई जिलों में खेमेबाजी खुलकर सामने आ चुकी है। कई वरिष्ठ नेता संगठन में हुए बदलाव से असहज महसूस कर रहे हैं। यही कारण है कि पार्टी की जमीनी पकड़ अभी भी कमजोर दिखाई देती है।
संगठन सुधार के पिछले प्रयासों पर सवाल
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में भी इसी तरह के प्रशिक्षण और पुनर्गठन अभियान चलाए गए थे। लेकिन नतीजे अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे। अब सवाल यह है कि क्या इस बार कांग्रेस की यह कवायद ठोस परिणाम दे पाएगी या फिर यह भी एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी?
गुटबाजी का हालिया उदाहरण
हाल ही में युवा कांग्रेस के सदस्यता अभियान में अनियमितता की शिकायतें सामने आई थीं। सदस्यता राशि डूबने और गड़बड़ी के आरोप पार्टी हाईकमान तक पहुंचे, और ये शिकायतें किसी विरोधी ने नहीं बल्कि पार्टी के ही पदाधिकारियों ने की थीं। यह घटनाक्रम बताता है कि कांग्रेस के भीतर आपसी अविश्वास और गुटीय संघर्ष अब भी गहराई तक मौजूद हैं।
असली चुनौती नेताओं की एकजुटता
कांग्रेस की नई संगठनात्मक पहल सकारात्मक कदम है। लेकिन, भीतर की दरारें नहीं भरीं, तो कोई ढांचा असर नहीं करेगा। असली चुनौती नेताओं की एकजुटता और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना है।
10 दिनों की दी जाएगी ट्रेनिंग
वहीं कांग्रेस के प्रदेश संगठन प्रभारी संजय कामले ने बताया कि जिलाध्यक्षों को दस दिनों की ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग प्रोग्राम में वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।
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