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Photograph: (The Sootr)
INDORE. एक समय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय गुट के माने जाने वाले गौरव रणदिवे अब इस खेमे से दूर माने जाते हैं। प्रदेशाध्यक्ष बीजेपी हेमंत खंडेलवाल की नई टीम में रणदिवे को महामंत्री का अहम पद दिया गया है। इस दौरान सोशल मीडिया पर मैसेज चले कि एक मंत्री के विरोध के बाद भी रणदिवे महामंत्री बने। इसे लेकर रविवार को बीजेपी दफ्तर में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने खुलकर मंच से बात रखी।
मैंने हमेशा गौरव को आगे बढ़ाया
नवनियुक्त पदाधिकारियों उपाध्यक्ष निशांत खरे, एससी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह परमार, किसान मोर्चा अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा और महामंत्री रणदिवे का स्वागत समारोह बीजेपी दफ्तर में हुआ। चावड़ा बिहार दौरे के कारण नहीं आ सके। इस दौरान मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि मैंने हमेशा गौरव को आगे बढ़ाया है। जब-जब मुझे मौका मिला मैंने उन्हें आगे बढ़ाया है। मुझे पता था कि वह कार्यकारिणी में आ रहे हैं। मैं जिस पौधे को लगाता हूं उसे काटता नहीं हूं। जब उन्होंने गलतियां की तो मैंने मुंह पर बोला है कि यह गलती है। आप इनसे पूछ सकते हैं।
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गौरव उपाध्यक्ष, खरे महामंत्री बन रहे थे
मंत्री विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि मुझे पता था कि गौरव कार्यकारिणी में आ रहे हैं। लेकिन, इसकी जानकारी थी कि वह उपाध्यक्ष बन रहे हैं और निशांत खरे महामंत्री बन रहे हैं। दोनों की जानकारी थी कि वह बन रहे हैं। हालांकि खरे उपाध्यक्ष बने और रणदिवे महामंत्री बने। परमार का भी मुझे पता था कि वह एससी मोर्चा प्रमुख हो रहे हैं। यह बड़ी बात है, वह काफी सहज और सरल हैं। बता दें कि 'द सूत्र' ने भी यही बताया था कि रणदिवे उपाध्यक्ष बन रहे थे। लेकिन आखिर में हितानंद शर्मा की चली और रणदिवे महामंत्री पद पर एडजस्ट किए गए।
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कार्यकर्ताओं का सम्मान सबसे जरूरी
मंत्री ने सीख दी कि कार्यकर्ताओं का सम्मान जरूरी है, हम उन्हें पांच पैसे भी नहीं देते हैं। वह हर काम करते हैं तो सम्मान तो दे ही सकते हैं। लेकिन, हमारी पार्टी में कई नेता हैं जो अधिकारियों को फोन कर देते हैं कि साहब उसकी तो आदत है ऐसी, रहने दो। ऐसे नेताओं को घर जाकर आइने में खुद को देखना चाहिए। कार्यक्रम में बीजेपी नगराध्यक्ष सुमित मिश्रा, जिलाध्यक्ष श्रवण चावड़ा, विधायकगण, राघवेंद्र गौतम व अन्य लोग मौजूद थे।
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एक समय बेहद करीब थे गौरव
गौरव रणदिवे एक समय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेहद करीब थे। खासकर जब विजयवर्गीय शिवराज सिंह चौहान के सरकार में मंत्री थे और गौरव एबीवीपी में नगर महामंत्री पद पर थे। एक समय हड़ताल के दौरान उनकी भूख हड़ताल भी कैलाश विजयवर्गीय ने ही जूस पिलाकर तुड़वाई थी। लेकिन, बाद में दोनों के बीच में दूरियां बढ़ती गईं और रणदिवे सुहास भगत, शिवराज सिंह चौहान के करीब हो गए।
नगराध्यक्ष बनने के बाद उनकी इस गुट से नजदीकी और विजयवर्गीय गुट से दूरी बढ़ती गई। फिर पार्षद कमलेश कालरा और जीतू यादव के बीच का विवाद हुआ, जिसमें वह विधायक मालिनी गौड़ के करीब हुए और इस मामले में यादव को पार्टी से निकाला गया जो मंत्री गुट के करीबी हैं। वहीं सुहास भगत के बाद रणदिवे संगठन मंत्री हितानंद शर्मा के करीबी हो गए। साथ ही सीएम मोहन यादव से भी जुड़ गए। इसी करीबी संबंधों के चलते अब प्रदेश कार्यकारिणी में वह महामंत्री जैसे अहम पद पर आए हैं।
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