इंदौर नगर निगम विवाद में बोले पुष्यमित्र भार्गव, मेरे मेयर रहते अराजकता नहीं होगी, जान के खतरे की बात से पलटे बबलू

इंदौर नगर निगम विवाद में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने तीखा बयान दिया है। भार्गव ने साफ कहा कि उनके कार्यकाल में अराजकता बर्दाश्त नहीं होगी। वहीं, निगम अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर नगर निगम में जनप्रतिनिधियों और निगम अधिकारियों के बीच चल रहे विवाद के बीच अब महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने तीखा बयान दिया है। उन्होंने निगम अधिकारियों के लिए एक बार फिर अराजकता वाले व्यवहार शब्द का उपयोग किया है।

साफ शब्दों में कहा है कि मेरे मेयर रहते ऐसी अराजकता नहीं होगी। इस संबंध में मैं मुख्यमंत्री और पुलिस कमिश्नर दोनों से बात करूंगा। उल्लेखनीय है कि गणेशगंज में मिश्रा के घर में कार्रवाई को लेकर भी महापौर तीखे नाराज हुए थे। इसे निगम अधिकारियों का अराजक व्यवहार बताया था।

महापौर बोले: मेरे निर्देश पर नहीं चल रहा अभियान

यह विवाद वार्ड 74 में संपत्तियों की जांच के दौरान एआरओ और रहवासियों के साथ ही पार्षद पति सुनील हार्डिया के बीच बहस से शुरू हुआ। महापौर ने कहा कि यह अभियान मेरे निर्देश पर शुरू नहीं हुआ। आम नागरिकों ने कल थाने में शिकायत की थी और जनप्रतिनिधियों को बुलाया था। बिना मंजूरी कर्मचारी घर में घुसे। हमारी जिम्मेदारी जनता के प्रति है। लोगों के प्रति किसी तरह का अराजकतापूर्ण व्यवहार नहीं हो।

बिना सूचना दिए किसी के घर की नपती होना गलत है। इसी बात के लिए सभी कर्मचारियों को बात करने के लिए बुलाया है। न अभियान का पार्षद को पता है और न किसी और को। नपती का एक तरीका होता है- सूचना जाती है और फिर उनकी उपस्थिति में होता है।

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विधायक, पार्षद किसी को नहीं पता

महापौर ने कहा कि विधायक, पार्षद किसी को नहीं पता कि इस तरह का अभियान चल रहा है। ऐसा पता होता तो इस तरह का विवाद ही नहीं होता। संपत्तिकर लेना और सही मूल्यांकन जरूरी है लेकिन इसका एक नियम और तरीका होता है। जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति जिम्मेदारी है और जनप्रतिनिधि वही कर रहे थे।

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एमआईसी मेंबर अब धमकी से पलटे

उधर, थाने में फोन पर बात करते हुए यह दावा करने वाले एमआईसी मेंबर बबलू शर्मा कि उनकी जान को खतरा है- अब इस बात से पलट गए हैं। उन्होंने कहा कि यह मोहन यादव जी की सरकार है, यहां किसी को जान का खतरा हो सकता है क्या। सभी अधिकारी ऐसे नहीं होते कि वह जनप्रतिनिधियों की बात न सुनें, कुछ अपवाद स्वरूप होते हैं, उन्हें ठीक करना हमारा काम है।

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इस तरह से शुरू हुई लड़ाई

लड़ाई की शुरुआत शनिवार 25 अक्टूबर को वार्ड 74 से शुरू हुई। इसमें पार्षद पति सुनील हार्डिया का एआरओ शैलेंद्र सिंह से विवाद हो गया था। हार्डिया ने आरोप लगाए कि टीम घरों में जबरदस्ती घुस रही है और बदतमीजी कर रही है।

इस विवाद के बाद अधिकारी भंवरकुआं थाने भी गए लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ। वहीं बीजेपी और रहवासी बीरम सोलंकी व अन्य गए, जिस पर एआरओ पर बीएनएस की धारा 296 और 351(5) के तहत केस दर्ज हो गया।

इसके बाद निगमायुक्त भड़के, फिर थाने में केस हुआ

इस एफआईआर की खबर लगते ही नगर निगम में हड़कंप मच गया। निगमायुक्त दिलीप यादव ने भी संबंधित अधिकारियों से बात की और कहा कि इसमें क्रॉस एफआईआर होना चाहिए।

इसके बाद फिर अधिकारी रात को थाने पहुंचे। इसमें शैलेंद्र सिंह की शिकायत पर एफआईआर कराने वाले रहवासी बीरम सोलंकी के साथ ही पार्षद पति सुनील हार्डिया और उनके बेटे अटल हार्डिया के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा की धारा व अन्य में केस हो गया।

शिकायत में है कि मैं अधिकारियों के आदेश से सर्वे के काम कर रहा था, तभी बीरम सोलंकी ने काम से रोका और फिर सुनील हार्डिया, अटल भी आ गए और शासकीय कार्य में बाधा डाली। गालियां दीं, उच्च अधिकारियों को देख लेने की धमकी दी।

फिर विवाद में एमआईसी मेंबर बबलू शर्मा कूदे

इसके बाद शनिवार रात को थाने पर भारी हंगामा हुआ। एमआईसी मेंबर बबलू शर्मा, पार्षद योगेश गेंदर सहित कई जनप्रतिनिधि थाने पहुंचे। रात में एमआईसी मेंबर अभिषेक शर्मा बबलू ने हाथ जोड़कर टीआई से कहा- मेरी एफआईआर लिख लीजिए।

इसके बाद असल विवाद शुरू हुआ। रात को थाने में एमआईसी मेंबर बबलू शर्मा ने कहा कि निगमायुक्त अड़ गए थे इसलिए एफआईआर हुई, तो फिर बबलू शर्मा भी अड़ गया है। यदि वह व्यक्तिगत दुश्मनी निकाल रहे हैं, तो मुझे तो मारने की धमकी दी गई है। एफआईआर तो कराऊंगा।

अब तो इंदौर की हर कॉलोनी में केस होगा, क्योंकि यह तो हर दिन बदतमीजी करते हैं और हम लोग समझाते हैं। इंदौर की यूनिट को तो तोड़ दिया गया है और भेदभाव हो चुका है। यदि निगम कमिश्नर साहब ने ज़िद पकड़ ली है तो मैं तो फरियादी बनकर आया हूं। मुझे धमकी दी गई, मेरे दो बच्चे हैं, मुझे गोली मार दी तो? मेरी भी एफआईआर हो।

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निगम के अज्ञात कर्मचारियों पर एक और केस

उधर, इसी विवाद में अब तीसरी एफआईआर हुई है। यह एफआईआर बिंदु यादव नाम की महिला ने भंवरकुआं थाने में कराई है। यह केस रविवार 26 अक्टूबर को हुआ है। एफआईआर अज्ञात पर हुई है, लेकिन निशाने पर वही सर्वे करने वाली एआरओ शैलेंद्र सिंह की टीम है।

इसमें लिखा है कि मैं खाना बनाने का काम करती हूं। 25 अक्टूबर को दोपहर दो बजे अनंतपुरी कॉलोनी, भोलाराम उस्ताद मार्ग, इंदौर में मेरे घर पर पीली जीप (निगम का वाहन) से अज्ञात चार लोग घुस आए और स्वयं को निगम कर्मचारी बताते हुए नपती करने लगे।

घर के कागज मांगे, फिर कहा घर का टैक्स दो लाख रुपए बन रहा है। कहा कि 20 हजार दे दो, सैटलमेंट कर लेंगे। मैंने कहा पार्षद से बात कर लेती हूं, तो उन्होंने कहा कि किसी से भी बात कर लो, कुछ नहीं होगा और गालियां दीं।

यह केस बीएनएस 296 व 329 धारा में हुआ है। इसके पहले रहवासी बीरम सोलंकी की शिकायत पर एआरओ शैलेंद्र सिंह पर और फिर सिंह की शिकायत पर सोलंकी व पार्षद पति सुनील हार्डिया, पुत्र अटल हार्डिया पर केस हुआ था।

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