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इंदौर नगर निगम के सबसे चर्चित और भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा कमाई करने वाले बेलदार मोहम्मद असलम खान को अब लोकायुक्त के केस में एक छोटी राहत मिली है। असलम ने कोर्ट में अपील की थी कि लोकायुक्त छापे (अगस्त 2018) के दौरान उसकी बेटियों और मां से जब्त ज्वैलरी वापस की जाए। उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।
इस शर्त पर मिलेगी दो करोड़ की ज्वेलरी
मोहम्मद असलम खान ने कोर्ट में कहा कि छापे के दौरान अगस्त 2018 को पुत्रियों सिदरा खान, राहेमीन खान, अलिस्बा खान के साथ मां बिलकिस खान की ज्वेलरी जब्त की थी। पुत्रियों व मां आरोपी नहीं हैं। इसलिए उनकी ज्वेलरी लौटाई जाए। छापे के दौरान इस ज्वेलरी की कीमत 58 लाख बताई गई थी, लेकिन अब सोना एक लाख प्रति तोला के पार हो चुका है और इसकी कीमत दो करोड़ से ज्यादा है। कोर्ट ने 70 लाख की गारंटी राशि पर यह ज्वेलरी लौटाने के आदेश दिए हैं। लेकिन इसमें शर्त है कि वह यह ज्वेलरी ना बेच सकेंगे और ना ही इसमें किसी तरह का बदलाव कर सकेंगे। इस ज्वेलरी को वह केवल पहनने और अपने पास रखने के लिए ही उपयोग कर सकते हैं। जब भी कोर्ट मांगेगा यह ज्वेलरी वापस पेश करनी होगी।
1 किलो सोने के बार वापस नहीं होंगे
लेकिन असलम के यहां छापे में जब्त एक किलो सोने के 12 गोल्ड बार को रिलीज नहीं किया जाएगा। इसे अवैध कमाई माना गया है। इसकी कीमत एक करोड़ से ज्यादा की है।
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1216 फीसदी अधिक कमाई की थी
लोकायुक्त छापे में आया था कि असलम का वेतन केवल 18 हजार प्रति माह था और उसने अपने वेतन से 1216 फीसदी अधिक की कमाई की थी। आयकर विभाग बेनामी विंग ने भी उसकी कई संपत्तियां अटैच की हैं और ईडी द्वारा भी कार्रवाई की गई है।
लोकायुक्त छापे के दौरान यह सब मिला था
अगस्त 2018 में बेलदार असलम खान पर हुआ लोकायुक्त छापा निगम में अभी तक भ्रष्टाचार के सबसे बड़े खुलासे में से एक है। मात्र 18 हजार प्रति माह वेतन वाले असलम के पास करोड़ों की अकूत संपत्ति मिली थी। इसमें अधिकांश रिश्तेदारों के नाम थी। भ्रष्ट असलम खान के भाई व अन्य रिश्तेदार हाल ही में इंदौर नगर निगम के 150 करोड़ के फर्जी बिल के मामले में आरोपी बने, जिसमें बाई एहतेश्याम उर्फ काकू का नाम प्रमुखता से रहा।
लोकायुक्त के 2018 छापे में आया कि असलम का मासिक वेतन 18 हजार है, लेकिन उसके पास 25 लाख नकद, एक किलो सोने के बिस्किट सहित 60 लाख रुपए का दो किलो सोना, एक किलो चांदी है।
लोकायुक्त को 21 संपत्तियों के दस्तावेज के साथ निगम की फाइलें भी मिलीं। लोकायुक्त ने कुल संपत्ति का आकलन 4 करोड़ 40 लाख किया। वहीं सूत्रों के अनुसार तब ही इनका बाजार मूल्य 25 करोड़ से अधिक था।
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1998 में निगम में भर्ती हुआ असलम
असलम नगर निगम की रिमूवल शाखा में बेलदार था। वह निजी कॉलेज की नौकरी छोड़कर 1998 में निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बना था। बाद में इसने रियल सेक्टर में हाथ फैलाए और बड़े ग्रुप, बिल्डर्स के भवन अनुज्ञा शाखा में नक्शे पास कराने के नाम पर कमाई की। उसे 2010, 2011, 2015 और 2017 में निलंबित किया गया, लेकिन नेता, अफसर व बिल्डरों की मदद से बहाल हो गया।
छापे में 1.5 लाख के बकरे भी जोड़े थे
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