MP NEWS: मध्य प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब वे अपने बयानों से बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं। पहले भी में प्रदेश तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर की गई टिप्पणी के चलते उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा था।
वे जंगल में प्रतिबंधित क्षेत्र में चिकन पार्टी कर चुके हैं और एक बार टीआई को थप्पड़ मारने पर खुद पुलिस की पिटाई का शिकार भी हुए हैं। विद्या बालन की शूटिंग रुकवाना भी उनके विवादित इतिहास में दर्ज है। बार-बार के विवादों ने उनके राजनीतिक करियर को घेर लिया है और अब केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे नाराज बताया जा रहा है। पार्टी के भीतर उनकी कुर्सी पर फिर से खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
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कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी
मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकियों की बहन कहने जैसे बयान ने उन्हें बीजेपी और विपक्ष दोनों के निशाने पर खड़ा किया है। यह मामला सिर्फ एक महिला अफसर का नहीं बल्कि सेना की गरिमा से जुड़ा हुआ है, और यही कारण है कि इस बार पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी उनसे नाराज है।
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शिवराज की पत्नी पर टिप्पणी
विजय शाह पहले भी अपने बयानों को लेकर विवादों में रह चुके हैं। एक बार उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी पर डबल मीनिंग टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था। हालांकि चार महीने बाद वे फिर से मंत्री पद पर लौट आए, जिससे उनकी राजनीतिक पकड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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विद्या बालन की शूटिंग पर रोक
कोविड काल में विद्या बालन अपनी फिल्म 'शेरनी' की शूटिंग कर रही थीं, तब विजय शाह वन मंत्री थे। उन्होंने अभिनेत्री को डिनर का न्योता दिया, जिसे विद्या बालन ने ठुकरा दिया। नाराज होकर मंत्री ने शूटिंग ही रुकवा दी। मामला मीडिया में उछला तो सरकार को पीछे हटना पड़ा और शूटिंग फिर से शुरू हुई।
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नियम कायदों की उड़ाई धज्जियां
विजय शाह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रतिबंधित क्षेत्र में अपने दोस्तों के साथ पार्टी करते नजर आए। चिकन पार्टी का वीडियो वायरल हुआ और जांच के आदेश दिए गए। हालांकि, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह घटना उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाती है।
टीआई को थप्पड़ मारने पर हुई पिटाई
1998 में विजय शाह ने खंडवा में एक टीआई को थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उन्हें घेरकर जमकर पीटा, जिससे उनका पैर फ्रैक्चर हो गया था। यह घटना आज भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है।
छात्रों से लेकर कैबिनेट तक का रास्ता
विजय शाह का राजनीतिक सफर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू हुआ। वे कॉलेज राजनीति में सक्रिय रहे और 1990 में पहली बार विधानसभा पहुंचे। उसके बाद से वे आठ बार हरसूद से विधायक चुने गए हैं। आदिवासी नेता के रूप में उनकी पकड़ मजबूत रही है, लेकिन विवादों ने बार-बार उनके कद को चोट पहुंचाई है।