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छतरपुर जिले के रामगढ़ गांव में पिछले कुछ वर्षों में धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ी हैं, जहां आदिवासी समुदाय के कई सदस्य ईसाई धर्म को अपना रहे हैं। रामगढ़ में पहले चर्च का निर्माण हुआ, और अब यहां के आदिवासी परिवारों के बच्चों के नाम बदलकर ईसाई नाम रखे गए हैं। इस घटना ने समाज में हंगामा मचाया है और अधिकारियों से मामले की जांच की मांग की जा रही है।
धर्मांतरण का असर
रामगढ़ गांव, जो एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है, में अब तक दो चर्च बन चुके हैं। यहां के आदिवासी परिवार अब चर्च से जुड़ने लगे हैं और अपने बच्चों के नाम भी बदलने लगे हैं। आदिवासी परिवारों ने भी अपने बच्चों के नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
शैक्षिक संस्थाओं में नाम पर धर्म परिवर्तन
रामगढ़ के सरकारी स्कूल में कुल 38 छात्र हैं, जिनमें से अधिकांश अनुसूचित जनजाति के हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के नाम भी ईसाईकरण की प्रक्रिया का हिस्सा बन गए हैं। बच्चों के नाम जैसे डेविड, जोएल, एलिशा आदि अब स्कूल के रजिस्टर में दर्ज हैं, जबकि धर्म के कॉलम में बच्चों का धर्म हिंदू ही लिखा गया है। कुछ बच्चे अब गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे आयोजनों में तिलक लगाने और प्रसाद लेने से भी इनकार करने लगे हैं।
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चर्च से जुड़ने वाले परिवारों की संख्या बढ़ी
रामगढ़ और उदयपुरा दोनों गांवों में अब हर रविवार को लोग चर्च में प्रार्थना के लिए एकत्र होते हैं। धन्ना भील जैसे कुछ परिवारों ने इस बदलाव को नकारते हुए इसे अपनी पहचान से बाहर बताया है, जबकि कई अन्य परिवार चर्च से जुड़कर ईसाई धर्म अपनाने की प्रक्रिया को अपना रहे हैं।
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धर्मांतरण के कारण समाज में तनाव
रामगढ़ और आसपास के गांवों में धर्मांतरण की बढ़ती घटनाएं समाज में तनाव का कारण बन रही हैं। कुछ परिवारों का आरोप है कि मिशनरी संस्थाएं आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डाल रही हैं। ऐसे में प्रशासन का कार्य इन मामलों की निष्पक्षता से जांच करना और इस संवेदनशील मुद्दे पर ठोस कदम उठाना होगा।
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चर्च की अवैध स्थापना
रामगढ़ में जो चर्च बना है, वह सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर स्थापित किया गया है। यह चर्च मुख्य सड़क से 150 मीटर अंदर स्थित है, और यहां तक पहुंचने का कोई सार्वजनिक रास्ता नहीं है। इसके अलावा, पास के गांव उदयपुरा में भी एक ईसाई प्रार्थना स्थल बनाया गया है। इन दोनों चर्चों का निर्माण बिना किसी अनुमति के हुआ है, और आदिवासी समुदाय के बीच यह बदलाव तेजी से फैल रहा है।
प्रशासन की जांच की तैयारी
धर्मांतरण के इस मामले में हाल ही में बिजावर थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई है। अब कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी से बात करने और पुलिस व राजस्व अधिकारियों से रिपोर्ट लेने की योजना बनाई है। यदि जांच में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।