मध्य प्रदेश में 4,524 कृषि सहकारी संस्थाओं के चुनावों ( corporative election ) की घोषणा हो गई है। 11 साल बाद प्रदेश में यह चुनाव होने जा रहे हैं। सहकारिता चुनाव 18 जुलाई से 9 सितंबर के बीच 4 चरणों में कराए जाएंगे।
सहकारिता चुनाव किसी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नहीं होते। हालांकि इन संस्थानों से जुड़े लाखों किसानों को रिझाने राजनीतिक पार्टियों की इसमें पूरी भागीदारी रहती है।
चार चरणों में होंगे चुनाव
सहकारी समितियों के चुनाव चार चरणों में करने की घोषणा की गई है।
चरण | सदस्यता सूची प्रकाशन की अंतिम तिथि | चुनाव की तारीख |
पहला चरण | 18 जुलाई | 13 अगस्त |
दूसरा चरण | 22 जुलाई | 16 अगस्त |
तीसरा चरण | 5 अगस्त | 2 सितंबर |
चौथा चरण | 12 अगस्त | 9 सितंबर |
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11 साल से क्यों नहीं हुए सहकारिता चुनाव
मध्य प्रदेश में पिछले 11 साल से सहकारिता चुनाव नहीं हुए हैं। यह चुनाव हर 5 साल में कराने होते हैं। 2018 में सहकारी समितियों में चुनकर आए प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया था।
उस समय की शिवराज सरकार ने चुनाव कराने के बजाय सहकारी समितियों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी थी। बाद में कमलनाथ सरकार ने भी चुनाव नहीं कराए। इसके बाद फिर शिवराज सरकार की वापसी हो गई। चुनाव कराने पर फिर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
इस बीच सहकारिता चुनाव न होने के संबंध में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली गई। इस पर कोर्ट के फैसले के बाद अब सहकारी चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में अभी तक प्राथमिक सहकारी संस्थाओं, जिला सहकारी बैंक और अपेक्स बैंक में भी प्रशासक नियुक्त थें।
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पिछले चुनावों में भाजपा का कब्जा
सहकारी समितियों के पिछले चुनाव 2013 में हुए थे। इस दौरान 90 परसेंट सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों पर भाजपा समर्थित नेता चुनकर आए थे।
ऐसे में इन चुनावों में भाजपा अपनी यही मजबूत स्थिति बरकरार रखना चाहेगी। दूसरी ओर कांग्रेस सहकारी संगठनों में अपना पुराना दबदबा वापिस पाने की कोशिश में रहेगी। हालांकि जानकारों का मानना है कि इन संस्थानों में सत्ताधारी पार्टी द्वारा समर्थित नेताओं का ही दबदबा रहता है।
सहकारी समिति के नेताओं से जुड़ रही कांग्रेस
मध्य प्रदेश में 2003 से पहले सहकारी समितियों में कांग्रेस का दबदबा था। इसके बाद प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई। तब से इस क्षेत्र में बीजेपी समर्थित नेता ही चुनकर आए।
ऐसे में अब कांग्रेस फिर से इस क्षेत्र में वापसी करना चाहेगी। सहकारिता चुनाव में फिर अपने नेता स्थापित करने के लिए कांग्रेस ने सहकारी समिति के नेताओं से जुड़ाव स्थापित किया है। जीतू पटवारी ने ऐसे नेताओं की समिति बनाई है।
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