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पूनम राउत @ बालाघाट
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में सहकारी कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कर्मचारी प्रमोशन, मानदेय और प्रबंधकीय अनुदान की राशि की मांग कर रहे हैं, जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। इससे 126 सहकारी समितियों में कार्य प्रभावित हो रहा है, क्योंकि कर्मचारियों ने इन समितियों में ताले लटकाए हैं। प्रदेशभर में करीब 55 हजार से अधिक पैक्स कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
सहकारी कर्मचारियों की लंबित मांगें
सहकारी समितियां राज्य सरकार की योजनाओं को लागू करने में अहम भूमिका निभाती हैं। इन समितियों के कर्मचारियों की मेहनत के बावजूद वेतन और प्रमोशन से संबंधित समस्याएं बनी हुई हैं। 2021-22 में सहकारी कर्मचारियों को प्रमोशन देने का आदेश हुआ था। यह आदेश कागजी प्रक्रिया तक ही सीमित रहा। आज तक कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है।
सरकार से आक्रोश
बालाघाट जिला अध्यक्ष पी.सी. चौहान ने हड़ताल स्थल पर द सूत्र से कहा कि कर्मचारियों को 60% पदों पर प्रमोशन देने का वादा किया गया था। यह प्रक्रिया अब तक कागजों तक ही सीमित रही है। कर्मचारियों का कहना है कि कई प्रमोशन के योग्य कर्मचारी अब उम्र के कारण मापदंडों से बाहर हो गए हैं।
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शिवराज सिंह चौहान के वादे
प्रदेश प्रतिनिधि दीनू परिहार ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महापंचायत का आयोजन किया था। इसमें सहकारी कर्मचारियों के लिए कई वादे किए गए थे। लेकिन अब तक उन वादों को शासन ने गंभीरता से लागू नहीं किया है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या अब तक किए गए वादों का कोई परिणाम नहीं मिलेगा?
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कर्मचारियों का संघर्ष और आक्रोश
सहकारी कर्मचारियों का कहना है कि वे 24 घंटे सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। वे सरकारी योजनाओं का संचालन करते हुए कई बार सराहना भी प्राप्त करते हैं। लेकिन जब उनकी समस्याओं को हल करने की बात आती है, तो सरकार ने कानों में तेल डाल रखा है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कोरोना काल में उन्होंने राशन वितरण और अन्य कार्य कठिन परिस्थितियों में किए। इस दौरान कई कर्मचारियों की असमय मृत्यु हो गई।
महासंघ की प्रमुख मांगें
- 60% पदों पर प्रमोशन दिया जाए, जो अब तक कागजों में ही है।
- विक्रेताओं को 3,000 रुपए का मानदेय शीघ्र दिया जाए।
- प्रबंधकीय अनुदान की राशि जल्द प्रदान की जाए।
- राशन विक्रेताओं के लिए 2 किलो घटती।
- कलेक्टर दर से वेतन भुगतान किया जाए।
कर्मचारियों का आक्रोश
हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने नारे लगाए, "हम तो अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते..." उनका कहना है कि यह आंदोलन अधिकार के लिए है, न कि भीख के लिए। उनकी लड़ाई तानाशाही के खिलाफ है। वे चाहते हैं कि सरकार उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान करे।