MP में कोरोना: 50 संक्रमित आए सामने, विदेशों से आए मरीजों से फैला संक्रमण

मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण साउथ इंडिया से आया है। 23 मई को पहला केस सामने आया था और अब तक 50 मामले सामने आ चुके हैं। विदेशों से आए मरीजों और उनके संपर्क में आए लोगों में कोरोना फैल रहा है। 

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण साउथ इंडिया से आया है। पहला केस 23 मई को आया था। इसके बाद से कोरोना के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। शुरुआती मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री केरल और बेंगलुरु से जुड़ी थी। इन मामलों के बाद अन्य राज्यों और विदेशों से आए संक्रमितों के संपर्क में भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है।

अब तक 50 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 40% मरीज या तो अन्य राज्यों से लौटे थे या विदेश से आए संक्रमितों के संपर्क में आए थे। पिछले 20 दिनों में देशभर में एक्टिव मामलों की संख्या 93 से बढ़कर 5,364 हो गई है। 16 मई से 6 जून तक देश में 5,274 नए एक्टिव केस बढ़े हैं।

भोपाल में कोरोना के बढ़ते मामले

भोपाल, मध्यप्रदेश की राजधानी, में कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी गई है। सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी) डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि अब तक भोपाल में 9 कोरोना केस सामने आ चुके हैं। अप्रैल में 1, मई में 3 और जून में 5 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं। वर्तमान में 4 एक्टिव केस हैं। इनमें से एक मरीज अन्य बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती था।

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कोविड-19 के चार नए वैरिएंट्स

भारत में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के साथ-साथ चार नए वैरिएंट्स भी मिले हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के निदेशक डॉ. राजीव बहल के अनुसार, दक्षिण और पश्चिम भारत से जिन वैरिएंट्स की सीक्वेंसिंग की गई है, वे LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1 सीरीज के हैं। इन वैरिएंट्स में NB.1.8.1 के A435S, V445H, और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन अन्य वैरिएंट्स की तुलना में तेजी से फैलते हैं और इन पर कोविड-19 के खिलाफ बनी इम्यूनिटी का असर नहीं होता।

भारत में सबसे आम कोविड-19 वैरिएंट JN.1 है। टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल में यह वैरिएंट पाया जाता है। इसके बाद BA.2 (26%) और ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20%) वैरिएंट्स के मामले भी मिलते हैं।

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केरल जैसी जांच से बढ़ सकते हैं मामले

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर केरल जैसी जांच प्रक्रिया मध्यप्रदेश में लागू की जाती है, तो कोरोना मामलों में और वृद्धि हो सकती है। केरल ने कोविड-19 के मामलों की पहचान के लिए अधिक प्रभावी जांच प्रणाली अपनाई थी, जिसके परिणामस्वरूप वहां के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई। हालांकि, यह भी सच है कि अधिक जांच से मामलों की सही तस्वीर सामने आती है और संक्रमित व्यक्तियों की पहचान हो पाती है।
इस स्थिति में, मध्यप्रदेश में भी जांच प्रक्रिया को और बेहतर किया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक मामलों का पता चल सके और संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

अस्पतालों में तैयारियां

मध्यप्रदेश के अस्पतालों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए डेडिकेटेड कोविड जनरल वार्ड बनाए जा रहे हैं। इससे कोविड के मरीजों के इलाज में सुविधा होगी और अस्पतालों पर दबाव कम होगा। कोविड-19 के लिए चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर किया जा रहा है और अस्पतालों में अधिक बेड्स की व्यवस्था की जा रही है।

इसके साथ ही, सरकार ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 के प्रति जागरूकता अभियान भी शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को कोरोना वायरस के लक्षण, बचाव के उपाय और समय पर टेस्ट करवाने के महत्व के बारे में जानकारी देना है।

: कोरोना संक्रमण | मप्र में कोरोना संक्रमण | कोविड जांच

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