निगम बिल घोटाला : इंजीनियर राठौर ने कहा नेता-अधिकारियों के यहां निगम ने लगाए 300 घरेलू नौकर, जमानत खारिज

मध्यप्रदेश के इंदौर में हुए निगम घोटाले में पूर्व निगमायुक्त और वर्तमान रीवा कलेक्टर IAS प्रतिभा पाल पर सीधे तौर पर आरोप लगाए तो वहीं पूर्व महापौर मालिनी गौड़ के समय के निगमायुक्त पर बिना नाम लिए आरोप लगाए... 

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. निगम बिल घोटाला : नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले में इंजीनियर अभय राठौर की जमानत याचिका खारिज हो गई है, लेकिन इस याचिका के दौरान राठौर ने कोर्ट में कई अधिकारियों को घेरा और गंभीर आरोप लगाए। पूर्व निगमायुक्त और वर्तमान रीवा कलेक्टर IAS प्रतिभा पाल पर सीधे तौर पर आरोप लगाए तो वहीं पूर्व महापौर मालिनी गौड़ के समय के निगमायुक्त पर बिना नाम लिए आरोप लगाए। वहीं इंजीनियर सुनील गुप्ता पर भी घोटाले करने के आरोप लगाए। 

300 घरेलू नौकर इनके यहां कर रहे काम, पैसा निगम दे रहा

राठौर की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि नगर निगम ने 300 कर्मचारियों को आउटसोर्स से लिया हुआ है और इन्हें घरेलू नौकर के तौर पर राजनीतिक दलों के प्रभावशाली नेताओं, सेवानिवृत्त अधिकारियों, पूर्व पार्षदों, अधिकारियों के यहां लगाया गया है। इनकी उपस्थिति निगम में फर्जी तरीके से दिखाई जाती है और राशि का खर्चा नगर निगम द्वारा हर साल 12 करोड़ रुपए उठाया जाता है।

महापौर गौड़ और प्रतिभा पाल का नाम क्यों?

राठौर ने कोर्ट में आरोप लगाए कि यह व्यय महापौर मालिनी गौड़ के समय भी आयुक्त द्वारा किया जाता था। इसके बाद प्रतिभा पाल ने निगमायुक्त रहते हुए किया, ताकि कोई उनकी शिकायत नही करें। उन्होंने संभागायुक्त और तत्कालीन निगम प्रशासक पवन शर्मा के अधिकारियों का दुरूपयोग किया। निगम के 50 करोड़ रुपए के जनधन का दुरूपयोग किया और अपने अधीनस्थों के जरिए बंटवारा किया। आयुक्त खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है। वहीं राठौर ने इंजीनियर सुनील गुप्ता पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और ड्रेनेज विभाग में हुए खेल के लिए उसे जिम्मेदार बताया। साथ ही एमजी रोड टीआई विजय सिंह सिसौदिया के साथ गुप्ता की मिलीभगत होना बताया।

राठौर के ठेकेदारों के साथ फोन के रिकार्ड, 7 FIR

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उधर शासन की ओर से उप लोक अभियोजक श्याम दांगी ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि राठौर को जमानत नहीं मिलना चाहिए, वह शातिर दिमाग का है और उसका काफी प्रभाव है वह सबूत नष्ट कर देंगे। ठेकेदारों के साथ बातचीत के कई रिकार्ड मौजूद है, उसने ठेकेदार जाकिर से एप्पल फोन भी लिए हैं। उस पर 7 एफआईआर दर्ज है। हर दिन रोज नए केस उसके सामने आ रहे हैं। वह भुगतान राशि में से 50 फीसदी हिस्सा पाता था। इस राशि से उसने अवैध सपंत्ति बनाई। ठेकेदारों के साथ ही वह निगम के राजकुमार साल्वी, उदय भदौरिया व अन्य के साथ मिलकर फर्जी फाइल का पूरा खेल करता था। उसे जमानत नहीं मिलना चाहिए। राठौर ने इनके साथ ही जमानत के लिए मेडिकल कारण भी दिया।

जमानत खारिज, लेकिन आरोपों पर कोर्ट ने कहा सही जांच हो

विशेष न्यायाधीश देवेंद्र प्रसाद मिश्रा ने सभी तर्क सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी। साथ ही कहा कि फरियादी द्वारा लगाए गए आरोप जमानत का आधार नहीं हो सकते हैं और ना ही मेडिकल कारण भी जमानत के लिए उपयुक्त है। लेकिन प्रशासन से आपेक्षित है कि वह इस मामले में जांच विधि के सीमा में रहते हुए निष्पक्ष तौर पर करते हुए इस आर्थिक अपराध के वास्तविक अधिकारियों के खिलाफ सम्यक कार्रवाई करे।

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