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INDORE. मध्यप्रदेश केछिंदवाड़ा में कफ सिरप से हुई मासूमों की मौत के पीछे ड्रग्स सैंपलिंग, जांच और फिर इसे दबाने का खेल ही सबसे बड़ी वजह है। इंदौर में कई कफ सिरप के सैंपल फेल हो चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी दवा कंपनियों का कुछ नहीं बिगड़ा। ऐसे ही अब मासूमों की मौत के बाद एक फाइल चर्चा में आई है।
कफ सिरप सैंपल फेल लेकिन अधिकारी ने दबा दी फाइल
इंदौर की दवा फैक्ट्री में बन रहा जहरीला कफ सिरप दो साल पहले पकड़ा गया था। राज्य की लैब में दवा के सैंपल फेल हुए। इसके बाद केंद्र की ड्रग लैब में भी दवा जहरीली होने की बात साबित हुई। उसमें भी यही केमिकल मिला जो छिंदवाड़ा वाले कफ सिरप में था।
इस पर अधिकारी राजेश जीनवाल को दवा निर्माता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और कोर्ट में परिवाद दायर करना था लेकिन वह यह रिपोर्ट ही दबा कर बैठ गए। अब छिंदवाड़ा में इसी रसायन वाली कफ सिरप से बच्चों की मौत हुई और हंगामा मचा तो रिपोर्ट दबाने वाले अधिकारी छुट्टी लेकर गायब हो गए।
यह थी दवा कंपनी
साल 2023 में अफ्रीकी देश कैमरून में बच्चों की खांसी की दवा नेचर कोल्ड से 66 बच्चों की मौत हुई। केंद्र और राज्य के अधिकारियों की टीम इंदौर की दवा कंपनी रिमन लैब की जांच की और कफ सिरप के सैंपल लिए गए। भोपाल की ड्रग लैब में दवा के सैंपल फेल हो गए। इस जांच को चुनौती दी गई। सैंपल फिर से जांच के लिए कोलकाता की सेंट्रल ड्रग लैब भेज दिए गए। यहां भी जांच में दवा में घातक रसायन डाइइथाइल ग्लाइकोल (डीईजी) की मात्रा 26 प्रतिशत से ज्यादा मिली। जबकि डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार डीईजी की मात्रा 0.10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
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मामले में 30 जुलाई 2025 को प्रदेश के औषधि नियंत्रक ने इंदौर के वरिष्ठ औषधि नियंत्रक राजेश जीनवाल को लिखित निर्देश दिया कि दवा बनाने वाली कंपनी रीमन लैब्स के खिलाफ न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराएं। लेकिन वह फाइल दबाकर बैठ गए। वरिष्ठ औषधि नियंत्रक राजेश जीनवाल की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जीनवाल ने फोन बंद कर लिया है, वही वरिष्ठ औषधि नियंत्रक अनामिका सिंह का कहना है कि- फाइल मिली है, कार्रवाई कर रहे हैं। आज ही मुझे इंदौर का प्रभार मिला है। फाइल और प्रकरण संज्ञान में आया है। अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई इस संबंध में जानकारी मेरे पास नहीं है।
कलेक्टर बोले सीधे एफआईआर होगी
इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने कहा है यदि कोई डॉक्टर प्रतिबंधित कफ सिरप लिखता पाया गया, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इंदौर में कुछ स्टॉकिस्ट के पास प्रतिबंधित सिरप पाए गए हैं, जिन्हें जब्त किया जा रहा है। सात टीमें जांच कर रही हैं। प्रतिबंधित दवा बेचने की अनुमति नहीं है। यदि बिक्री हुई तो कार्रवाई की जाएगी। इंदौर में 700 से ज्यादा रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर हैं, जबकि इंदौर में ड्रग इंस्पेक्टरों की संख्या सिर्फ पांच है। टीम द्वारा अभी तक 50 से अधिक सिरप के सैंपल लिए गए हैं।
इंदौर में प्रतिबंधित कफ सिरप बिकते पाए गए
प्रशासन द्वारा कराई जा रही जांच के दौरान चौंकाने वाली बात सामने आई है। इंदौर में कुछ मेडिकल स्टोर्स पर गुजरात में प्रतिबंधित कफ सिरप की बिक्री होना पाया गया है। इनमें री-लाइफ और रेस्पीफ्रेश टीआर एमएफजी ब्रांड्स के कफ सिरप शामिल हैं और कंपनी शैफ फार्मास्युटिकल और रिडोनोक है।
एक और चौंकाने वाली रिपोर्ट
उधर, इंदौर में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के निर्देश पर केंद्र और राज्य की टीमों द्वारा कंपनी का रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन किया। इसकी रिपोर्ट में बताया गया है कि दवा फैक्ट्री में फंगस वाले पानी से सिरप बनाकर प्लास्टिक के गंदे डिब्बों में रखा गया था। फिर इसे गंदे और बदबूदार कपड़ों से छानकर बोतलों में भरा जा रहा था। जिस डायएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा में गड़बड़ी से बच्चों की मौत हुई थी, उसे जांचने के संसाधन ही कंपनी के पास नहीं थे। दवाओं के स्टोरेज के लिए तय तापमान भी मेंटेन नहीं मिला।
जांच टीम को यह भी मिला
दवा गैस स्टोव पर बन रही थी, चाशनी गंदे ड्रम में थी, सिरप सस्पेंशन। जांच टीम को कंपनी में नीले रंग का गंदा ड्रम मिला। इसमें 50-60 लीटर सिरप सस्पेंशन था। सिरप में डालने के लिए शकर की चाशनी गैस स्टोव पर बनाई जा रही थी, यह नियम विरुद्ध है। बोतलों के लेबल पर वार्निंग नहीं लिखी गई थी कि यह चार साल से छोटे बच्चों के इस्तेमाल के लिए नहीं है।