सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला, उठ रही यह मांग

कफ सिरप से बच्चों की मौतों का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। वकील विशाल तिवारी ने इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है और जांच के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने की अपील की है।

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Amresh Kushwaha
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New Delhi. देश के विभिन्न राज्यों में कफ सिरप से बच्चों की मौतों का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर इस मुद्दे पर कड़े कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए अब प्रभावी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और बच्चे की जान न जाए।

याचिकाकर्ता ने की जांच की मांग

याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी (Vishal Tiwari) ने अपनी याचिका में यह भी मांग किया है कि इस मामले की गहन जांच राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (National Judicial Commission) या सीबीआई (CBI) के जरिए की जाए। इसके लिए एक विशेषज्ञों की समिति बनाई जाए, जो इस मामले की पूरी जांच करे। तिवारी ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज (Retired Judges of Supreme Court) इस जांच की निगरानी करें ताकि इस त्रासदी की सही वजहों का पता चल सके।

जिम्मेदार कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जाएं

विशाल तिवारी ने याचिका में यह भी आग्रह किया है कि बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार कंपनियों के लाइसेंस तुरंत रद्द किए जाएं। उन कंपनियों के उत्पादों को बाजार से वापस मंगाया जाए। इसके साथ ही, देश में एक सख्त ड्रग रिकॉल पॉलिसी (Drug Recall Policy) लागू की जाए ताकि ऐसी स्थिति फिर से उत्पन्न न हो।

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सुप्रीम कोर्ट कफ सिरप केस की खबर पर एक नजर...

  • वकील विशाल तिवारी ने जहरीली कफ सिरप से बच्चों की मौतों पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की, जिसमें कड़े कदम उठाने की मांग की गई है।

  • याचिका में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या सीबीआई द्वारा गहरी जांच की अपील की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों की निगरानी का सुझाव दिया गया है।

  • कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने और उनके उत्पादों को बाजार से वापस मंगाने की मांग की गई है।

  • कफ सिरप में उपयोग किए जाने वाले खतरनाक रसायनों की बिक्री और निगरानी पर सख्त नियम लागू करने की आवश्यकता जताई गई है।

  • इस मामले को देश के ड्रग रेगुलेटरी सिस्टम की विफलता के रूप में देखा गया है और सुधार की मांग की गई है।

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खतरनाक केमिकल की बिक्री पर निगरानी की मांग

कफ सिरप में प्रयुक्त खतरनाक रसायन जैसे डाई इथीलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) और एथलीन ग्लाइकॉल (Ethylene Glycol) की बिक्री और निगरानी के लिए सख्त नियम बनाने की भी मांग की गई है। इन रसायनों का बिना निगरानी के प्रयोग बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इससे इस पर कड़ी नियंत्रण की आवश्यकता है।

सभी मामलों की जांच एक जगह हो

इस याचिका में यह भी कहा गया है कि विभिन्न राज्यों में दर्ज की गई एफआईआर (FIR) को एक जगह ट्रांसफर किया जाए। सभी मामलों की जांच एक ही स्थान पर हो, ताकि समन्वय (Coordination) बना रहे और कोई भी महत्वपूर्ण जानकारी छूट न जाए।

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ड्रग रेगुलेटरी सिस्टम पर उठे सवाल

विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला केवल कुछ कंपनियों की गलती नहीं है, बल्कि यह देश के ड्रग रेगुलेटरी सिस्टम (Drug Regulatory System) की विफलता का परिणाम है। इन कंपनियों द्वारा निर्मित कफ सिरप के कारण कई राज्यों में मासूम बच्चों की जान गई है। यह समय की आवश्यकता है कि इस सिस्टम में सुधार किया जाए।

मध्यप्रदेश और राजस्थन में जहरीले कफ सिरप से मरने वाले बच्चों की संख्या 18 हो गई है। मध्यप्रदेश में अब तक 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें 10 मौतें परासिया में, 3 छिंदवाड़ा शहर में, एक चौरई (छिंदवाड़ा) में और 2 मौतें बैतूल में अलग-अलग दिन हुई हैं। वहीं राजस्थान में कफ सिरप से 2 बच्चों की मौत हो गई है।

एमपी हेल्थ डिपार्टमेंट ने शुरू की जांच

डॉ. प्रवीण सोनी सरकारी डॉक्टर हैं, बताया जा रहा है कि डॉक्टर सोनी ने जिन बच्चों को यह सिरप दी थी, उनमें से कई बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है और पूरे मामले को लेकर प्रशासन सतर्क हो गया है।

डॉ. प्रवीण सोनी परासिया में अपना निजी क्लीनिक भी चलाते हैं। जानकारी के अनुसार, उनके भतीजे राजेश सोनी के मेडिकल स्टोर से जहरीले सिरप की 300 से ज्यादा बोतलें सप्लाई की गई थीं। इसी सिरप के कारण कई बच्चों की मौत हुई है। शनिवार देर रात डॉ. सोनी और तमिलनाडु की श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी (सिरप बनाने वाली कंपनी) पर एफआईआर दर्ज की गई। रविवार को पुलिस ने डॉ. सोनी को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें निलंबित भी कर दिया गया।

इस मामले में दूसरा बड़ा कदम उठाते हुए प्रशासन ने जांच के लिए एक एसआईटी (विशेष जांच टीम) गठित की है। इस टीम में एक ड्रग इंस्पेक्टर और एक प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे। टीम जल्द ही तमिलनाडु जाकर कंपनी और दवा की सप्लाई चेन की जांच करेगी।

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कफ सिरप नेक्स्ट्रो-डीएस पर रोक

हिमाचल प्रदेश की कंपनी द्वारा बनाई जा रही कफ सिरप नेक्स्ट्रो-डीएस के उत्पादन पर रोक लगा दी गई है। यह दवा भी संदिग्ध बताई जा रही है। वहीं, इंदौर में तैयार की गई डिफ्रॉस्ट सिरप को बाजार से वापस मंगाने के आदेश जारी किए गए हैं। इस सिरप के बैच नंबर 11198 को रिकॉल किया गया है ताकि उसकी जांच की जा सके और किसी तरह का जोखिम टाला जा सके।

पोस्टमार्टम के लिए कब्र से निकाला गया शव

छिंदवाड़ा के बदकुई गांव में चार साल की योगिता ठाकरे की मौत के मामले में नया मोड़ सामने आया है। योगिता, सुषांत ठाकरे की बेटी थी। पहले उसकी मौत का असली कारण दबा दिया गया था, लेकिन अब मामले की जांच के तहत रविवार को दफनाए गए शव को कब्र से निकाला गया। शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि बच्ची की मौत वास्तव में किस कारण हुई थी।

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