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Betul. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 11 बच्चों की मौत हो गई। इस सिरप में जहरीला केमिकल डायएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया। इस घटना के बाद शनिवार को बैतूल जिले के दो बच्चों की मौत की जानकारी सामने आई है। इस बात की पुष्टि जिले के आमला ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने मामले में बड़ा खुलासा किया है।
बच्चों को बुखार आने के बाद इलाज के लिए परासिया ले जाया गया था, जहां उनकी हालत और बिगड़ गई। परिजनों के अनुसार, डॉक्टर सोनी ने कबीर को प्रिस्क्रिप्शन में कोल्ड्रिफ सिरप दी थी। अब जिला प्रशासन पूरे मामले की जांच कर रहा है।
परासिया में इलाज के बाद उनकी स्थिति बिगड़ी थी। जानकारी के मुताबिक, जिले के आमला विकास खंड के कलमेश्वरा और जामुन बिछुवा गांव के दो बच्चे कबीर (4) (पिता कमलेश) और गर्मित (ढाई साल) (पिता निखलेश) गंभीर किडनी समस्याओं से पीड़ित हुए।
कबीर की मौत भोपाल में
8 सितंबर को कबीर नाम के बच्चे की मौत भोपाल में हो गई। परिजनों के अनुसार, 24 अगस्त को कबीर को बुखार आया था, जिसके बाद उसे परासिया के डॉक्टर प्रवीण सोनी को दिखाया गया। इलाज के बाद, उसे घर भेज दिया गया, लेकिन जब उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ, तो परासिया के दो अन्य डॉक्टरों से भी परामर्श लिया गया। यहां यह बताया गया कि बच्चे की किडनी पर असर हो रहा है।
इसके बाद परिजनों ने उसे नागपुर ले जाकर इलाज कराया। एक दिन अस्पताल में भर्ती रखने के बाद डॉक्टर ने उसे घर ले जाने की सलाह दी। हालांकि, परिजन संतुष्ट नहीं थे और उसे सीधे भोपाल ले जाने का निर्णय लिया। भोपाल पहुंचने के बाद, रात करीब साढ़े चार बजे कबीर की मौत हो गई।
गर्मित की भी हुई मौत
दूसरी घटना लादी ग्राम की है, जहां ढाई साल के गर्मित पिता निखिलेश की तबीयत बिगड़ने पर उसका इलाज कराया जा रहा था, लेकिन एक अक्टूबर को गांव में ही उसकी मौत हो गई। बीएमओ के अनुसार, उसे भी परिजन पहले इलाज के लिए परासिया के डॉक्टर सोनी के पास ले गए थे।
बीएमओ ने दी जानकारी
आमला बीएमओ डॉ. अशोक नरवरे ने बताया कि बच्चों को बुखार आने पर परिजन उन्हें छिंदवाड़ा के परासिया स्थित डॉक्टर प्रवीण सोनी के पास ले गए थे। इलाज के बाद बच्चों में किडनी की समस्या और पेट फूलने जैसे लक्षण दिखाई दिए। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें बैतूल लाया गया और फिर आगे के इलाज के लिए भोपाल रेफर किया गया। डॉ. नरवरे ने यह भी बताया कि बच्चों का पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया था, लेकिन गंभीर किडनी समस्या की रिपोर्ट सीएमएचओ को भेजी गई थी।
कबीर की मौत 8 सितंबर को हुई और गर्मित कि मौत 1 अक्टूबर को हुई थी। बीएमओ ने दोनों बच्चों के इलाज की केस हिस्ट्री जिला प्रशासन को भेजी है। दोनों गांव बैतूल छिंदवाड़ा की सीमा पर मौजूद है।
आमला एसडीएम ने क्या कहा
आमला एसडीएम शैलेंद्र बड़ोनिया ने बच्चों की मौत की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि प्रशासन इस मामले की पूरी जानकारी एकत्र कर रहा है।
सीएमएचओ ने भी दी जानकारी
सीएमएचओ डॉ. मनोज हुरमाड़े ने बताया कि रविवार को बीएमओ को पूरी रिपोर्ट और मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री के साथ तलब किया गया है। इसके बाद ही असली स्थिति स्पष्ट की जा सकेगी।
जानें कफ सिरप मामले को लेकर ताजा अपडेट
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में 11 बच्चों की मौत के मामले में आखिरकार प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। शनिवार, 4 अक्टूबर की रात परासिया थाना में डॉक्टर प्रवीण सोनी और तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद कोतवाली थाना क्षेत्र के राजपाल चौक से डॉक्टर प्रवीण सोनी को एसपी की विशेष टीम ने देर रात गिरफ्तार कर लिया।
यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग की ओर से बीएमओ डॉ. अंकित सल्लाम की शिकायत पर की गई है। जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, उनमें दोषी पाए जाने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
मौत का कारण कोल्ड्रिफ सिरप
उधर, शनिवार रात ही सरकारी जांच रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि बच्चों की मौत का कारण कोल्ड्रिफ कफ सिरप (Coldrif Cough Syrup) में मौजूद 48.6% डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) था। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि यही रासायनिक तत्व घातक साबित हुआ। वहीं, दो अन्य सिरप नेक्स्ट्रो-डीएस (Nextro-DS) और मेफटॉल पी सिरप की जांच रिपोर्ट को ओके बताया गया है।
बता दें कि, प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने शनिवार, 4 अक्टूबर को ट्वीट कर मामले पर अपनी चिंता जाहिर की थी। साथ ही, उन्होंने दवा को बैन एमपी में बैन करते हुए कहा था कि इस मामले से जुड़े सभी लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं, उनके इस ट्वीट के कुछ ही समय बाद प्रदेश में कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। इसके अलावा डॉक्टर को गिरफ्तार भी कर लिया गया।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) October 4, 2025छिंदवाड़ा में Coldrif सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्यप्रदेश में बैन कर दिया है। सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है।
सिरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है, इसलिए घटना के संज्ञान में…
इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फार्मास्युटिकल कंपनी और डॉक्टर पर सख्त कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो।
डॉक्टर और दवा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई
यह बात सामने आई है कि श्रेसन फार्मास्युटिकल कंपनी के सिरप बच्चों को उपचार के दौरान दिए गए थे। इनके बाद उनकी हालत गंभीर रूप से बिगड़ने लगी थी। अब तक इस घटना में 11 बच्चों की मौत किडनी फेल होने के कारण हो चुकी है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच शुरू की थी और प्रारंभिक जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि बच्चों को दी गई दवा मिलावटी और हानिकारक तत्वों से भरी हुई थी। इस आधार पर अब दवा लिखने वाले डॉक्टर और दवा कंपनी दोनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
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इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ मामला
मामले में बीएनएस की धारा 276 के तहत औषधियों में मिलावट का आरोप लगाया गया है, जिसके तहत दोषी को एक साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, बीएनएस की धारा 105(3) के तहत हत्या की श्रेणी में न आने वाला आपराधिक मानव वध का मामला भी दर्ज किया गया है, जिसमें सजा 10 साल तक हो सकती है। इसके साथ ही, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 27(ए)(iii) और 26 के तहत अडलट्रेडेट ड्रग्स का प्रयोग करने के कारण किसी की मृत्यु हो जाने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
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32 दिनों में 11 मासूमों ने गवाई जान | ||||
क्रम | नाम | उम्र | मृत्यु की तारीख | पता |
1 | शिवम राठौड़ | 4 साल | 2 सितंबर | परासिया |
2 | विधि | 3 साल | 5 सितंबर | परासिया |
3 | अदनान खान | 5 साल | 7 सितंबर | परासिया |
4 | उसेद खान | 4 साल | 13 सितंबर | परासिया |
5 | ऋषिका पिपरे | 5 साल | 15 सितंबर | परासिया |
6 | श्रेया यादव | 3 साल | 16 सितंबर | परासिया |
7 | हितांश सोनी | 4 साल | 18 सितंबर | परासिया |
8 | विकास यदुवंशी | 5 साल | 18 सितंबर | परासिया |
9 | चंचलेश | 4 साल | 19 सितंबर | परासिया |
10 | संध्या भोंसम | 1 साल | 1 अक्टूबर | परासिया |
11 | योगिता ठाकरे | 1.5 साल | 4 अक्टूबर | परासिया |
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रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुई एफआईआर
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने डॉक्टर और कंपनी के खिलाफ जांच को तेज कर दिया है। प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर, बच्चों के उपचार में इस्तेमाल की गई दवा के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट में दवा को एडलट्रेडेड यानी मिलावटी पाया गया। इसी रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है।
बीएमओ डॉ. अंकित सल्लाम ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस पूरे प्रकरण को पूरी गंभीरता से ले रहा है। बच्चों की मौत के कारणों का पर्दाफाश करने के लिए वैज्ञानिक और चिकित्सकीय दोनों दृष्टिकोण से जांच की जा रही है। अगर किसी और की लापरवाही सामने आती है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कफ सिरप विवाद पर जिला प्रशासन का आदेश
इसी बीच, जिला प्रशासन ने जिले के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को आदेश जारी किया है कि संदिग्ध दवाओं का उपयोग तुरंत रोक दिया जाए। इसके साथ ही, दवा स्टॉक की भी जांच शुरू कर दी गई है ताकि किसी भी प्रकार की मिलावटी दवाओं के उपयोग को रोका जा सके। बता दें कि, कफ सिरप से बच्चों की मौत का मामला ने प्रदेश में तूल पकड़ लिया है।