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Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में मैदान में आ गए हैं। सिंघार ने छिंदवाड़ा जिले के परासिया में 9 बच्चों की मौत पर सरकार से सवाल करते हुए घटना की न्यायिक जांच की मांग की है।
सिंघार ने घटिया कफ सिरप की खरीद में लिप्त अधिकारियों सहित इस मामले में जिम्मेदारों को उजागर न करने पर भी सरकार पर सवाल दागे हैं। उन्होंने मृत बच्चों के परिजनों को आर्थिक मदद और बीमार बच्चों के समुचित उपचार के साथ ही जिम्मेदार दवा निर्माताओं पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग भी की है।
रीवा में सबसे ज़्यादा कफ सिरप का सेवन, क्या उप मुख्यमंत्री इसलिए चुप हैं।
— Umang Singhar (@UmangSinghar) October 4, 2025
-प्रोटोकॉल के अनुसार दवा के सैंपल की जांच 72 घंटे में पूरी होनी चाहिए, लेकिन 29 सितंबर को भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट आने में 6 दिन लग गए।
- क्या प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला… pic.twitter.com/PV4m4zPtNZ
अस्पतालों में सुरक्षित नहीं मासूम
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार से पूछा है कि अब प्रदेश के अस्पतालों में मासूम बच्चे भी सुरक्षित नहीं हैं। कहीं चूहों के कुतरने से मासूमों की जान जा रही है तो कहीं अमानक दवाएं और कफ सिरप उनकी जान ले रहा है। कांग्रेस नेता ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल निशुल्क औषधि वितरण योजना के तहत खरीदे गए कफ सिरप की जांच पर भी सवाल उठाए हैं।
घटना की न्यायिक जांच होना जरूरी
सिंघार ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन दवाओं की खरीद करता है। कफ सिरप से बच्चों की मौत से साफ हो गया है कि अधिकारी किस तरह बिना सैंपल जांच कराए ही अमानक दवाएं खरीदकर प्रदेश की जनता और मासूम बच्चों की जान को खतरे में डाल रहे हैं। छिंदवाड़ा की घटना पर सरकार को न्यायिक जांच के आदेश जारी करना चाहिए ताकि दोषी का चेहरा उजागर हो सके।
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अमानक दवाओं पर नहीं होती कार्रवाई
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के परासिया विकास खंड में फ़र्ज़ी सिरप के कारण 9 बच्चों की मौत हो गई। यह घटना एक भ्रष्ट और खराब सिस्टम का नतीजा है।
— Umang Singhar (@UmangSinghar) October 4, 2025
आज मध्य प्रदेश के हॉस्पिटल में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। कहीं चूहे काट रहे हैं, कहीं सुविधाओं का अभाव है, कहीं डॉक्टर नहीं हैं और कहीं दवाएं… pic.twitter.com/Ws91yIOCWx
नेता प्रतिपक्ष ने घटना पर सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है दवाओं की खरीदी से पहले टेस्टिंग प्रोटोकाल की अनदेखी की गई है। पिछले साल 2024 में कैग की रिपोर्ट ने भी दवाओं की खरीद और स्टोरेज में भी अव्यवस्था को उजागर किया था। विधानसभा में जो तथ्य पेश किए गए हैं उनमें भी सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण के दौरान 229 सैंपलों में से 138 अमानक पाए गए थे। इन सैंपलों के फेल होने के बाद कुछ कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए थे लेकिन कुछ कंपनियों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है।
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सरकार से मांगा जवाब :
- टेस्टिंग प्रोटोकाल के अनुसार दवाओं के सैंपल की जांच 72 घंटे में होनी चाहिए लेकिन 29 सितम्बर को भेजे सैंपल की रिपोर्ट में 6 दिन क्यों लगे
- उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला कफ सिरप से मौत की बात नकारते रहे, उन्होंने कंपनी को क्लीन चिट दी जबकि 12 सैंपलों की रिपोर्ट ही नहीं आई थी।
- विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में जिन 139 दवाओं को अमानक बताया गया था उन पर अब तक इस मामले में कब और क्या कार्रवाई की गई है।
- इंदौर के अस्पताल में अमानक जीवन रक्षक दवाएं मिलने के मामले में स्टॉक सीज किया गया था लेकिन दोषी पर कार्रवाई क्यों नहीं की।