आबकारी आरक्षक भर्ती में कौन मार रहा होमगार्ड सैनिकों का हक, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

मध्‍य प्रदेश में आबकारी आरक्षक भर्ती में होमगार्ड जवानों के आरक्षण की अनदेखी का केस हाईकोर्ट पहुंच गया है। विभाग की चूक ने हजारों अभ्यर्थियों को मुश्किल में डाल दिया है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों से कानूनी उलझनें सुलझने का नाम ही नहीं ले रही हैं। हर भर्ती किसी न किसी त्रुटि की वजह से कानूनी पचड़े में उलझ जाती है और खामियाजा हजारों अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ता है। ताजा मामला आबकारी आरक्षकों की भर्ती से जुड़ा है।

आरक्षक भर्ती के आरक्षण में आबकारी विभाग की चूक के चलते अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ताओं ने भर्ती में होमगार्ड सैनिकों के लिए तय 15 प्रतिशत आरक्षण की अनदेखी पर सवाल उठाए हैं। इंदौर हाईकोर्ट बेंच ने आबकारी आरक्षक भर्ती का परिणाम अंतिम निर्णय के अधीन रखा है। 

कर्मचारी चयन मंडल ने आबकारी आरक्षक के 248 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया था। भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 फरवरी से 1 मार्च के बीच जमा किए गए थे। इस भर्ती की रूल बुक में होमगार्ड सैनिकों के लिए पूर्व से निर्धारित 30 फीसदी पद सुरक्षित नहीं किए गए हैं।

अभ्यर्थियों द्वारा आबकारी विभाग और कर्मचारी चयन मंडल के सामने मामला उठाने के बाद भी रूलबुक में आरक्षण से संबंधित सुधार नहीं किए गए। इसी रूल बुक के आधार पर कर्मचारी चयन मंडल द्वारा 5 जुलाई 2025 को ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन कराया गया।

आबकारी विभाग द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश की अनदेखी करने पर अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। याचिका में मध्य प्रदेश सरकार, गृह विभाग और वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव, आबकारी कमिश्नर और कर्मचारी चयन मंडल को पार्टी बनाया है। 

कैसे हो गई इतनी बड़ी चूक

आबकारी आरक्षक के पदों पर भर्ती के लिए जो रूल बुक जारी की गई है उसमें एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस कैटैगरी के साथ ही महिलाओं और सेवानिवृत्त सैनिकों को निर्धारित प्रतिनिधित्व दिया गया है। जबकि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 14 अगस्त 2014 को आदेश जारी कर 30 प्रतिशत पद होमगार्ड सैनिकों के लिए आरक्षित किए गए हैं। इसी आदेश के आधार पर वाणिज्य कर विभाग द्वारा 12 सितम्बर 2014 और 6 फरवरी 2023 को आबकारी आयुक्त कार्यालय भी भर्तियों में होमगार्ड सैनिकों को 30 प्रतिशत पद आरक्षित करने के निर्देश जारी कर चुका है।

गलती के लिए कौन जिम्मेदार

आबकारी आरक्षक भर्ती में 30 प्रतिशत पद सुरक्षित नहीं करने पर होमगार्ड सैनिक अभ्यर्थी राहुल सिंह शक्तावत, जितेन्द्र सिंह चौहान, योगेन्द्र सिंह झाला,  विशाल जोशी, आशीष गौड, जयंत कुमार, मोहित शर्मा, मनोज सेन सहित अन्य ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर की है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जब मध्य प्रदेश सरकार का जीएडी विभाग, वाणिज्यकर विभाग होमगार्ड सैनिकों के लिए 30 फीसदी पद सुरक्षित करने का आदेश जारी कर चुका है। आबकारी आयुक्त कार्यालय से भी इसके लिए निर्देश दिए गए हैं इसके बावजूद इस भर्ती में अनदेखी क्यों की गई है। इस गलती से हजारों होमगार्ड सैनिकों से आबकारी आरक्षक बनने का मौका छूट सकता है। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है। 

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विभाग बार-बार मांग रहा समय

आबकारी आरक्षक भर्ती में होमगार्ड सैनिकों को निर्धारित प्रतिनिधित्व नहीं देने के मामले में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में सुनवाई जारी है। यहां भी वाणिज्यकर विभाग और आबकारी का रवैया ठीक वैसा ही है जैसी दूसरी भर्तियों से संबंधित सुनवाई में अन्य विभागों का रहा है। आबकारी के वकील कोर्ट से जवाब पेश करने के लिए बार- बार समय मांग रहे हैं।

25 जून को हुई सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार और आबकारी के वकीलों ने चार सप्ताह का समय मांगा था। इसके बाद कोर्ट ने 23 जुलाई को सुनवाई में फिर उनके द्वारा समय की मांग की गई। उन्हें इस बार फिर दो सप्ताह का समय दिया गया। यह ठीक वैसा ही है जैसे दूसरे विभाग भर्तियों से संबंधित मामलों में अपने वकीलों के जरिए सुनवाई को टालने के लिए बार- बार समय मांगते रहे हैं। 

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आयुक्त को नहीं मामले की खबर

एक ओर प्रदेश भर में होमगार्ड सैनिक आबकारी आरक्षक भर्ती में अपने लिए 30 फीसदी पद सुरक्षित न होने से परेशान हैं। वे हाईकोर्ट में अपनी गुहार लगा चुके हैं। वहीं विभाग की ओर से वकील दो-दो बार हाईकोर्ट बेंच के सामने पेश होकर समय मांग चुके हैं लेकिन आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल इस सबसे अंजान हैं।

द सूत्र से बात करते हुए उन्होंने कहा वे इस समय अवकाश पर हैं। उन्हें आबकारी आरक्षक भर्ती में होमगार्ड सैनिकों के लिए पद सुरक्षित रखने के मामले में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने हाईकोर्ट में सुनवाई के मामले में भी अनभिज्ञता जताई है।

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