बच्चों की सेहत से खिलवाड़, कफ सिरप पर राजनीति, तमिलनाडु सरकार की रिपोर्ट से केंद्र पर उठे सवाल

तमिलनाडु सरकार के जरिए की गई कफ सिरप की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कफ सिरप में 48.6% जहरीले केमिकल पाएं गए है। वहीं कफ सिरप पिने से राजस्थान में 3 और एमपी में 9 बच्चों की मौत हो चुकी है।

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Amresh Kushwaha
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मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में तीन बच्चों की मौत के बाद कफ सिरप को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। अब, इस घटना के कारण सामने आए एक अहम खुलासे ने सरकारों को चिंता में डाल दिया है। जांच में यह पता चला कि मृतकों ने जिस कफ सिरप का सेवन किया था, उसमें खतरनाक और जहरीला केमिकल मिला हुआ था।

तमिलनाडु सरकार के ड्रग डिपार्टमेंट (Drug Department) ने पुष्टि की है कि इस सिरप में 48.6% डाइथाइलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) मौजूद था, जो एक बेहद जहरीला केमिकल है। वहीं इस सिरप को लेकर केंद्र सरकान ने भी एडवाइजरी जारी की है। इसमें सरकार ने स्पष्ट किया कि कफ सिरप के नमूनों में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाला कोई जहरीला रसायन नहीं पाया गया है।

सिरप की जांच में मिला जहरीला केमिकल

तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों ने कांचीपुरम जिले स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स की फैक्ट्री में जांच की। जांच के दौरान यह पाया गया कि सिरप में नॉन-फार्माकोपिया ग्रेड (Non-Pharmacopeial Grade) प्रोपीलीन ग्लाइकॉल (Propylene Glycol) का इस्तेमाल हुआ था, जो कि डायथाइलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (Ethylene Glycol) से दूषित था। ये दोनों केमिकल्स किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले तत्व हैं।

कोई जहरीला रसायन नहीं मिला- केंद्र सरकार

वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप के नमूनों में किसी भी प्रकार के खतरनाक रसायन जैसे डाइएथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल की उपस्थिति नहीं पाई गई। इन नमूनों की जांच एनसीडीसी (NCDC), एनआईवी (NIV), और सीडीएससीओ (CDSCO) जैसी विभिन्न एजेंसियों द्वारा की गई थी, और सभी ने यह पुष्टि की कि इन सिरपों में कोई विषाक्त पदार्थ नहीं था।

छुट्टी के दिन भी लिया गया सख्त एक्शन

1 अक्टूबर को मध्य प्रदेश से सूचना प्राप्त होने के महज 27 मिनट के भीतर तमिलनाडु सरकार ने इस मामले पर एक्शन लिया और जांच के आदेश दिए। जबकि 1 और 2 अक्टूबर को तमिलनाडु में सरकारी छुट्टी थी, फिर भी सरकार ने तुरंत कदम उठाए और सीनियर ड्रग इंस्पेक्टर की टीम को फैक्ट्री में भेजा। ड्रग इंस्पेक्टर की टीम ने फैक्ट्री से सैंपल लेकर चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में भेजे। चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब ने 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट दी। इसमें पाया गया कि सिरप का यह बैच ‘Not of Standard Quality’ था और उसमें 48.6% DEG था।

कफ सिरप की जांच वाली खबर को एक नजर में समझें...

  • छिंदवाड़ा जिले में 9 और राजस्थान में 3 बच्चों की मौत के बाद जांच में पाया गया कि सिरप में 48.6% डाईथाइलीन ग्लाइकॉल (DEG) था, जो एक जहरीला केमिकल है।

  • मध्य प्रदेश से सूचना मिलने के 27 मिनट बाद, तमिलनाडु सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए फैक्ट्री में जांच की और सिरप को बैन कर दिया।

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत से जुड़े सिरप में कोई विषाक्त पदार्थ नहीं पाया गया।

  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न देने की सलाह दी और बड़े बच्चों को सही खुराक में ही देने की चेतावनी दी।

  • सभी स्वास्थ्य केंद्रों को केवल प्रमाणित और सुरक्षित दवाइयाँ खरीदने के निर्देश दिए गए, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

तमिलनाडु सरकार सिरप को किया बैन

तमिलनाडु सरकार के ड्रग डिपार्टमेंट ने इसकी जांच की और पाया कि जिस बैच (SR-13) से बच्चों की मौतें हुईं, उसमें दूषित केमिकल का इस्तेमाल हुआ था। सरकार ने रिपोर्ट के आते ही इस सिरप के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगा दी।

तमिलनाडु सरकार का सख्त कदम

जांच रिपोर्ट के बाद तमिलनाडु सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं-

  • कोल्ड्रिफ सिरप (Coldrif Cough Syrup)  की बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रतिबंध।

  • ड्रग इंस्पेक्टर्स को थोक और रिटेल दुकानों से स्टॉक फ्रीज करने का आदेश।

  • ओडिशा और पुडुचेरी के अधिकारियों को भी अलर्ट किया गया।

  • कंपनी के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को कैंसिल करने के लिए शो-कॉज नोटिस जारी किया।

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2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न दें

स्वास्थ्य मंत्रालय के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज़ (DGHS) ने सलाह दी है कि 2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप नहीं देना चाहिए। अगर बड़े बच्चों को कफ सिरप देना हो, तो उसे बहुत ध्यान से और सही मात्रा में देना चाहिए। डॉ. सुनीता शर्मा, DGHS की एक एक्सपर्ट, ने कहा कि बच्चों को कफ सिरप देने से पहले यह जरूर देख लें कि सही खुराक और सेवन का समय क्या है।

इसके अलावा, कफ सिरप को दूसरी दवाओं के साथ नहीं मिलाना चाहिए और बच्चों को सिरप देने के दौरान उनकी पूरी तरह से निगरानी करनी चाहिए।

सुरक्षा उपाय और सरकारी कार्रवाई

मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई घटनाओं के बाद, सभी स्वास्थ्य केंद्रों और क्लिनिकों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि वे केवल अच्छी गुणवत्ता वाली और प्रमाणित दवाइयाँ ही खरीदें। सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि यह सलाह सभी सरकारी चिकित्सा संस्थानों, अस्पतालों, और स्वास्थ्य केंद्रों में लागू की जाए ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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