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राजस्थान ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड (आरडीपीएल) राज्य की एकमात्र सरकारी दवा कंपनी है, जो पहले सीकर और भरतपुर जैसी घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती थी। यह कंपनी 9 साल से बंद पड़ी है, जबकि इसमें प्रतिदिन 2 लाख कफ सिरप बनाने की क्षमता है।
अगर यह कंपनी चालू रहती तो इन घटनाओं को रोका जा सकता था, लेकिन वर्तमान में इस कंपनी के बंद होने से राज्य के अस्पतालों में दवाओं की गुणवत्ता और उपलब्धता पर गंभीर असर पड़ा है। इससे राजस्थान के सरकारी अस्पताल व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकार की कोशिशें
2023 में केंद्र सरकार ने इस कंपनी को फिर से चालू करने के लिए राजस्थान सरकार को अपने शेयर ट्रांसफर करने की स्वीकृति दी थी।
1 मार्च 2023 को केंद्र सरकार ने इसके शेयर राज्य सरकार को ट्रांसफर करने की मंजूरी दी, और 29 मार्च 2025 को राज्य सरकार ने केंद्र के हिस्से के 21 करोड़ रुपये चिकित्सा विभाग को ट्रांसफर कर दिए थे। हालांकि, इसके बावजूद प्रक्रिया में कोई खास प्रगति नहीं हो पाई है और कंपनी अब तक चालू नहीं हो सकी है।
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गुणवत्ता की समस्या
राज्य में सरकारी दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर निःशुल्क दवा योजना के तहत भेजी जा रही दवाओं के संदर्भ में। औषधि नियंत्रण संगठन द्वारा की गई नियमित जांचों के अनुसार, वर्ष 2019 से 2024 के बीच करीब 800 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं।
इन फेल सैंपल्स में राजस्थान में बनी दवाओं के लगभग 90 सैंपल शामिल हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इन दवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ने से मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
आरडीपीएल का महत्व
सरकारी दवा कंपनी आरडीपीएल के बंद होने से न केवल राज्य को एक बड़ी दवा आपूर्ति स्रोत खोने का नुकसान हुआ है, बल्कि इसकी वजह से गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कंपनी में उच्च गुणवत्ता की दवाएं बनती थीं, जिनका सैंपल फेल होने की संभावना बहुत कम थी। यदि यह कंपनी अब भी चालू होती तो निश्चित ही यह स्थिति पूरी तरह से अलग होती।
घटिया कफ सिरप का स्टॉक
मुफ्त जांच और दवा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में भेजी जाने वाली दवाओं में से डेक्सट्रोमेथोर्फन एचबीआर सिरप आइपी 13.5 मिग्रा 5 मि.ली. (440) का घटिया बैच मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लि. के पास मौजूद था, जिसकी गुणवत्ता जांच होने के बावजूद यह घटिया दवाई मरीजों तक पहुंची।
जयपुर के सरना डूंगर औद्योगिक क्षेत्र स्थित केयसंस फार्मा द्वारा भेजी गई 25 लाख शीशियों का स्टॉक राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मौजूद है। चिकित्सा कॉलेज अस्पतालों में तो इस सिरप के 50 हजार से 1 लाख शीशियों का स्टॉक रखा गया है। अब इस खराब स्टॉक को वापस मंगवाने और उसकी जगह नया स्टॉक भेजने में कई सप्ताह लगने की आशंका है, जो मरीजों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
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राज्य में दवाओं की गुणवत्ता पर प्रभाव
राजस्थान में दवाओं की गुणवत्ता की लगातार गिरावट ने राज्य के सरकारी अस्पतालों की दवाइयों की आपूर्ति और वितरण प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरडीपीएल जैसी महत्वपूर्ण सरकारी दवा कंपनी का बंद होना और अन्य दवा कंपनियों से घटिया दवाओं का आना, इन समस्याओं को और बढ़ा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार को दवाओं की गुणवत्ता और आपूर्ति की निगरानी को सख्त करना चाहिए ताकि मरीजों को सुरक्षित और प्रभावी उपचार मिल सके।
सरकार को दवाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधारने के लिए, केंद्र और राज्य सरकार को दवाओं की गुणवत्ता और उनकी आपूर्ति पर विशेष ध्यान देना होगा।
आरडीपीएल को फिर से चालू करने के प्रयासों को तेज करना और राज्य में दवाओं की आपूर्ति को और अधिक पारदर्शी बनाना आवश्यक है। साथ ही, घटिया दवाओं के खतरों से बचने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की घटनाओं से मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।