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राजस्थान की ‘नि:शुल्क दवा योजना’ में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। केयसंस फार्मा द्वारा बनाए गए कफ सिरप से दो बच्चों की मौत के बाद इस योजना के तहत दी जा रही दवाओं की गुणवत्ता पर कड़ी नजर डाली जा रही है। यह घटना यह स्पष्ट करती है कि सरकारी अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति में भारी लापरवाही बरती जा रही थी।
पांच साल में 795 सैंपल फेल
राजस्थान में ‘नि:शुल्क दवा योजना’ के तहत 1 जनवरी 2019 से 30 जून 2024 तक 795 दवाओं के सैंपल फेल हो गए थे। इनमें कैंसर, खून और हार्ट संबंधी दवाओं के सैंपल भी शामिल थे। खास बात यह है कि इनमें से 40 सैंपल केयसंस फार्मा के थे। इस बीच, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली-एनसीआर, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, सिक्किम, महाराष्ट्र, कर्नाटका, जम्मू-कश्मीर सहित कई अन्य राज्यों की दवाइयों के सैंपल भी फेल पाए गए।
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केयसंस फार्मा के कफ सिरप की गुणवत्ता पर सवाल
केयसंस फार्मा द्वारा बनाए गए कफ सिरप समेत कई दवाओं के के 40 सैंपल फेल हुए थे। इन सैंपलों में से कुछ तो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से लिए गए थे। इसके अलावा, 2020 से भीलवाड़ा, सीकर, भरतपुर, अजमेर, उदयपुर, जोधपुर और जयपुर जैसे प्रमुख स्थानों से सैंपल फेल हुए थे। 2021 से 2023 के बीच केयसंस फार्मा के उत्पादों को लेकर 19 माह तक बैन किया गया था, लेकिन बाद में कंपनी को गुपचुप तरीके से बहाल कर दिया गया।
दवा कंपनियों की लापरवाही
केयसंस फार्मा के अलावा कई अन्य कंपनियों के भी सैंपल फेल हुए हैं। 2017 से 2019 के बीच विवेक फार्मा, विनायक, डीडी फार्मेसी और पार्थ फार्माल्यूएशन जैसी कंपनियों के उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। इन कंपनियों द्वारा निर्मित एंटीपायरेटिक, मल्टीविटामिन, एंटीबैक्टीरियल और पेन किलर दवाओं के सैंपल भी फेल हुए थे।
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चिकित्सा विशेषज्ञों की चेतावनी
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, डेक्सट्रोमेथारपन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए अत्यधिक खतरनाक हो सकता है। हाल ही इस सिरप के कारण राजस्थान में दो बच्चों की मौत हुई है। इस सिरप के अधिक सेवन से बच्चों को सांस लेने में समस्या, चक्कर, नींद न आना, मिचली और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अधिक खपत से दिल की धड़कन भी अनियमित हो सकती है और मानसिक दुष्प्रभाव जैसे हेलुसिनेशन भी हो सकते हैं।
राजस्थान सरकार की कार्रवाई
राजस्थान सरकार ने डेक्सट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड साल्ट वाले सभी कफ सिरप की सप्लाई पर बैन लगा दिया है। साथ ही राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के एमडी पुखराज सेन ने प्रस्ताव दिया है कि यदि किसी कंपनी की एक दवा ब्लैकलिस्ट हो जाए, तो उसकी सभी दवाओं की सप्लाई रोक दी जाए।
राजस्थान में दवा से दो बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राजस्थान के सरकारी अस्पताल मुफ्त जांच और दवा योजना के लिए चर्चित हैं, लेकिन इस योजना के तहत मिल रही दवाओं को लेकर संदेह गहराता जा रहा है।