जबलपुर में कटारिया फार्मेसी पर छापा, जहरीले कफ सिरप की जबलपुर से हुई थी सप्लाई

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद कफ सिरप कांड अब जबलपुर से भी जुड़ गया है। औषधि नियंत्रण विभाग ने कटारिया फार्मेसी पर छापा मारा और संदिग्ध सिरप के सैंपल जब्त किए।

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Neel Tiwari
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Photograph: (thesootr)

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मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद सामने आया कफ सिरप कांड अब जबलपुर से भी जुड़ गया है। शुक्रवार को औषधि नियंत्रण विभाग (Drug Control Department) की टीम ने जबलपुर स्थित कटारिया फार्मेसी पर छापा मारकर संदिग्ध कफ सिरप के सैंपल जब्त किए। शुरुआती जांच में सामने आया है कि यही वह फार्मेसी है, जिसने छिंदवाड़ा के न्यू अपना एजेंसी और जैन मेडिकल एंड आयुष फार्मा को वह सिरप सप्लाई किया था, जिसके सेवन से अब तक मध्य प्रदेश और राजस्थान में 11 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है।

जबलपुर से सप्लाई हुआ था मौत का कफ सिरप

छिंदवाड़ा में बीते एक महीने से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी था। परासिया ब्लॉक और आसपास के गांवों में खांसी-जुकाम से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए स्थानीय मेडिकल स्टोर्स से कफ सिरप दिया गया। इस सिरप को पीने के बाद बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। धीरे-धीरे उनके गुर्दे फेल हो गए और इलाज के दौरान 9 बच्चों ने दम तोड़ दिया। वहीं राजस्थान में भी इसी कफ सिरप के सेवन से 2 बच्चों की मौत हो चुकी है। जांच में खुलासा हुआ कि बच्चों को दिया गया ‘Coldrif’ (कोल्ड्रिफ) और ‘Nextro-DS’ (नेक्स्ट्रो-डीएस) ब्रांड का कफ सिरप जबलपुर के कटारिया फार्मा से खरीदा गया था। इस स्टॉकिस्ट ने 660 बोतलें खरीदी थीं, जिनमें से 594 बोतलें छिंदवाड़ा में बेच दी गईं।

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कटारिया फार्मेसी पर छापामार कार्रवाई 

शुक्रवार को ड्रग इंस्पेक्टर शरद कुमार जैन के नेतृत्व में टीम ने कटारिया फार्मेसी पर छापा मारा। यहां बची हुई 66 बोतलों की जांच की गई। इनमें से 16 बोतलें जांच के लिए सैंपल के रूप में जब्त की गईं।  शेष 50 बोतलों को फ्रीज कर बिक्री पर रोक लगा दी गई।औषधि विभाग ने स्पष्ट किया है कि सभी सैंपल्स को लैब भेजा जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद यह पुख्ता होगा कि बच्चों की मौत में सिरप के जहरीले तत्व किस हद तक जिम्मेदार थे।

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जहरीला रसायन ‘डायएथिलीन ग्लायकॉल’

जिस सिरप का सेवन बच्चों ने किया, उनमें डायएथिलीन ग्लायकॉल की मौजूदगी पाई है। यह एक जहरीला रसायन है, जो किडनी फेलियर का कारण बनता है। बच्चों को पहले उल्टी, दस्त और पेशाब कम होने की शिकायत हुई। इसके बाद धीरे-धीरे उनकी हालत गंभीर होती गई और अस्पताल में भर्ती करने के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। कुछ बच्चे अब भी नागपुर और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है।

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पांच सदस्यीय टीम गठित

ड्रग कंट्रोलर की ओर से मामले की तह तक पहुंचने के लिए पांच सदस्यीय जांच समिति बनाई गई है। इसमें शरद कुमार जैन और देवेंद्र जैन (जबलपुर), स्वप्निल सिंह (बालाघाट), वैश्नवी तलवारे (मंडला), गौरव शर्मा (छिंदवाड़ा) शामिल हैं। यह टीम कफ सिरप की सप्लाई चेन और उसके स्रोत की गहन जांच कर रही है।

3 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी

👉 कफ सिरफ से मौत: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में बच्चों की मौतें एक संदिग्ध कफ सिरप के सेवन से हुईं। इस सिरप के सेवन के बाद बच्चों की तबियत बिगड़ी, गुर्दे फेल हो गए और 11 बच्चों की मौत हो गई, जिनमें से 9 छिंदवाड़ा और 2 राजस्थान से थे।

👉 कटारिया फार्मेसी से सप्लाई: यह कफ सिरप, जिसका नाम 'Coldrif' और 'Nextro-DS' था, जबलपुर के कटारिया फार्मेसी से सप्लाई हुआ था। कटारिया फार्मेसी ने छिंदवाड़ा के मेडिकल स्टोर्स को 660 बोतलें बेची थीं।

👉 कठोर कार्रवाई और जांच: ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने कटारिया फार्मेसी पर छापा मारा और 66 बोतलें जब्त कीं। 16 बोतलें जांच के लिए भेजी गईं और 50 बोतलें बिक्री पर रोक लगा दी गईं।

स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ने बैन किया कफ सिरप

छिंदवाड़ा के सीएमएचओ ने तुरंत इस संदिग्ध बैच को प्रतिबंधित कर दिया था। मेडिकल स्टोर्स को आदेश दिया गया है कि वे तुरंत स्टॉक की जानकारी दें और बिक्री रोक दें। निजी डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे इन ब्रांड्स की सिरप बच्चों को प्रिस्क्राइब न करें। वायरल, खांसी-जुकाम जैसे मामलों में बच्चों को सीधे सरकारी अस्पताल भेजने को कहा गया है। संबंधित डिस्ट्रीब्यूटर्स और मेडिकल स्टोर्स पर भी छापे डाले गए हैं।

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परिजनों में मातम और गुस्सा

बच्चों की मौत से गांवों में मातम का माहौल है। परिजन यही सवाल कर रहे हैं कि बच्चों को दी गई दवा ही अगर उनकी मौत का कारण बन गई, तो आखिर जिम्मेदार कौन है? ग्रामीण इलाकों में इस घटना ने लोगों के मन में गहरी दहशत पैदा कर दी है और लोग अब छोटे-मोटे इलाज के लिए भी दवा खरीदने से डरने लगे हैं।

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