इंदौर से मोह रखने वाले IAS, SAS पर CS अनुराग जैन की नजरें टेढ़ी

केंद्र से सीधे सीएस के तौर पर मप्र में आए सीनियर आईएएस अनुराग जैन नौकरशाही के ढर्रे को बदलने में लग गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के केंद्र के सिस्टम को ही प्रदेश स्तर पर लागू करने की दिशा में वह तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

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Sanjay gupta
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इंदौर पोस्टिंग अब इतनी आसान नहीं
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केंद्र से सीधे सीएस ( मुख्य सचिव ) के तौर पर मप्र में आए सीनियर आईएएस अनुराग जैन नौकरशाही के ढर्रे को बदलने में लग गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के केंद्र के सिस्टम को ही प्रदेश स्तर पर लागू करने की दिशा में वह तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और इसमें एक अहम प्वाइंट इंदौर में पोस्टिंग भी है। इंदौर से मोह रखते हुए इंदौर में ही घूम-फिरकर पदस्थ होने वाले अधिकारियों को उन्होंने नाम दिया है इंदौर सिविल सर्विस ( ICS ), जिसे वह खत्म करना चाहते हैं। 

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क्या है ICS 

आईसीएस यानी इंदौर सिविल सर्विस नाम उन अधिकारियों के लिए रखा गया है जो अपनी पदस्थापना का अधिकांश समय इंदौर में ही बिताते हैं, चुनाव के समय व यदा-कदा इंदौर से बाहर जाते हैं लेकिन वह उज्जैन, देवास, धार जैसे पड़ोसी जिलों में ही पदस्थ होते हैं और फिर एप्रोच लगाकर इंदौर की ओर रूख कर लेते हैं। इंदौर में जहां भी जगह मिले, इसमें आईडीए, नगर निगम, जिला पंचायत, संभागायुक्त कार्यालय, एमपीआईडीसी, एमपीईबी, स्टेट जीएसटी जैसे विभाग है वहां आ जाते हैं। 

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IAS भी नहीं छोड़ते इंदौर का मोह

यह मामला राज्य प्रशासनिक सेवा ( SAS ) तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मोह आईएएस को भी है। वह सचिव पद पर आने के बाद भी इंदौर का मोह नहीं छोड़ते हैं और यहां इस पर सचिव पद के बराबर मौजूद गिने-चुने पदों पर भी बने रहना पसंद करते हैं। कई आईएएस जो भोपाल में अभी पदस्थ हैं, वह सालों तक इंदौर में आईएएस के तौर पर एसडीएम, जिला पंचायत सीईओ, निगमायुक्त, कलेक्टर और इसके बाद कमिशनर जैसे पदों पर रह चुके हैं। 

यह हाल हर महानगर में

मप्र में इंदौर के साथ ही जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल महानगर का मोह रखने वाले अधिकारियों की भी तादाद कम नहीं है,  जो लगभग पूरी नौकरी इन्हीं महानगर के आसपास गुजार देते हैं और वहीं से रिटायर हो जाते हैं। लेकिन यह सही है कि इसमें सबसे ज्यादा प्रिय इंदौर ही है।

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सीएस की नजरें क्यों हुई टेढ़ी

सीएस जैन अब इस परंपरा को बदलना चाहते हैं, सीएस अब ट्रांसफर-पोस्टिंग के पहले इन अधिकारियों की लिस्ट बनाने में लगे हैं, जो बार-बार घूमकर इंदौर में आ जाते हैं और जिनकी नौकरी का अधिकांश हिस्सा इंदौर में ही गुजरा है। सीएस चाहते हैं कि इंदौर व अन्य महानगरों में काम करने का मौका अन्य अधिकारियों को भी मिले, जिससे फैसले व कार्यशैली में भी बदलाव हो और ट्रांसपेरेंसी भी अधिक से अधिक नजर आए।

इंदौर के लिए काबिलियत को भी देखना जरूरी इसके साथ यह भी चर्चा चल पड़ी है कि पोस्टिंग में काबिलियत को भी देखना बहुत जरूरी है। इंदौर में बड़ी की पोस्टिंग पर अनुभवी लोगों को लाने से लाभ भी होता है, क्योंकि वह इंदौर के मिजाज को पहले से समझते हैं, ऐसे में विकास काम हो या फिर लॉ एंड आर्डर दोनों में आसानी हो जाती है।

इसलिए ही सीएम ने काबिलियत और इंदौर की जरूरत को देखते हुए पहले कलेक्टर पद पर आशीष सिंह को और अब पुलिस कमिशनर पद पर संतोष सिंह को पदस्थ किया है, जो समय की जरूरत के हिसाब से उन्हें उचित लगा। यह भी देखने में आया है कि इंदौर की मिजाज से अनजान अधिकारियों के आने से बिगाड़ा भी शुरू हो जाता है, पुराने अधिकारी नेता व जनता के साथ ही शहर के प्रबुद्धजन को जानते हैं, ऐसे में उनके लिए फैसले लेने आसान होते हैं।

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