Bhopal : मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव (सीएस) अनुराग जैन ने शुक्रवार, 25 अक्टूबर को अफसरों की क्लास ली। बैठक में विभाग प्रमुख और निगम-मंडलों के प्रबंध संचालक शामिल हुए। यह पहली बार था, जब किसी सीएस ने बैठक में संबंधित विभागों से जुड़े अपर मुख्य सचिव (एसीएस) और प्रमुख सचिव (पीएस) को नहीं बुलाया।
दरअसल, कई बार बैठकों में सीनियर अफसरों के मौजूद रहने से जूनियर अधिकारी अपनी बात नहीं बता पाते। लिहाजा, सीएस अनुराग जैन ने परम्परा से इतर विभाग प्रमुखों को ही बुलाया। उनसे कई मुद्दों पर बात की। डेढ़ घंटे मैराथन मीटिंग चली। अधिकारियों ने सीएस को खुलकर मन की बात बताई। परेशानियों पर बात की। सुझाव भी दिए।
महिला बाल विकास विभाग पिछड़ा
बैठक में सीएस ने महिला एवं बाल विकास विभाग के कामकाज पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, आपके विभाग में सीएम हेल्पलाइन की शिकायतें पेंडिंग हैं। मातृत्व वंदना योजना में कामकाज ठीक नहीं हो रहा। इस पर आयुक्त सोफिया फारूकी वली ने कहा, सर! हम मॉनीटरिंग सिस्टम बेहतर करने पर काम कर रहे हैं। इस पर सीएस अनुराग जैन ने उन्हें आईना दिखा दिया। बोले, आपके यहां दलिया खाने वाली बड़ी-बड़ी शार्क हैं, यह तो आप भी जानती हैं... बस इन्हें ठीक कर दीजिए, आपका विभाग ठीक हो जाएगा। दरअसल, सीएस का इशारा कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की तरफ था।
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वित्त विकास निगम किसी काम के नहीं
आईएएस कुमार पुरुषोत्तम ने आइडिया दिया कि प्रदेश में अनुसूचित जाति वित्त निगम, आदिवासी वित्त विकास निगम और पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम जैसी संस्थाओं की जरूरत नहीं है। इनकी उपयोगिता जीरो है। इसमें सरकार का पैसा बर्बाद हो रहा है, जबकि अब बैंकों से आसानी से लोन मिल जाते हैं। दूसरा, इन निगमों का नुकसान यह भी है कि जब सरकार की ओर से जिलों में टारगेट जाते हैं तो कलेक्टर और अधीनस्थ अफसर टारगेट पूरा करने के लिए किसी भी व्यक्ति को लोन दिलवा देते हैं और फिर पैसा डूब जाता है। इस पर सीएस ने कहा कि पूरी जानकारी बनाकर दीजिए, देखते हैं क्या कर सकते हैं इस मामले में।
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प्रियंका दास ने बताई डॉक्टरों की कमी
आईएएस तन्वी सुंद्रियाल ने कहा, फाइनेंस कमीशन आने वाला है, उसके पहले हमें बजट की तैयारी कर लेनी चाहिए, ताकि सरकार से ज्यादा से ज्यादा बजट मिल जाए। प्रियंका दास ने कहा, ब्लॉक स्तर पर स्वास्थ्य विभाग मुस्तैद है। हमारा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार है, अस्पताल भवन हैं, लेकिन समस्या यह है कि डॉक्टर नहीं हैं। यदि हम वहां डॉक्टर की व्यवस्था कर पाए तो जिलों और बड़े शहरों में अस्पतालों में भीड़ कम हो जाएगी। अविनाश लवानिया बोले, हम जब सड़कें बनाते हैं तो जमीन खरीदना महंगा होता है, लिहाजा हमें लैंड पूलिंग करना चाहिए। किसानों से जमीन लें और उसके बदले उन्हें डेवलपमेंट करके दें।
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अभिजीत से कहा- आबकारी में क्या कर रहे हो?
आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने अपने विभाग से इतर एमपीआईडीसी के बारे में सुझाव दिया। उन्होंने कहा, सभी दफ्तरों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू होना चाहिए, लेकिन यह लागू नहीं हो पा रहा है। इस पर सीएस ने मीटिंग में ही सभी अधिकारियों से जवाब-तलब कर लिया। बोले- बताएं किस-किस के यहां ई-ऑफिस सिस्टम नहीं है। इस पर सिर्फ 20 फीसदी अधिकारियों ने हाथ खड़ा किए। इसके बाद सीएस ने अभिजीत अग्रवाल से मुखातिब होते हुए पूछा कि आपने क्या किया है? जवाब में अग्रवाल बोले, सर आईआईटी की है। इस पर सीएस ने कहा, आपकी सही जगह तो एमपीआईडीसी में है, आबकारी में क्या कर रहे हो?
1 जनवरी तक लागू करें में ई-ऑफिस सिस्टम
बैठक में सीएस अनुराग जैन ने कहा कि 1 जनवरी 2025 तक सभी विभागों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू हो जाना चाहिए। इससे काम में पारदर्शिता और गति आएगी। सभी अधिकारी तकनीक के साथ अपग्रेड रहें। विकसित मध्यप्रदेश बनाने के लिए आय के नए स्रोत खोजें। प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए निवेशकों के साथ लगातार संपर्क करें और सक्रियता बनाए रखें। इस दौरान सीएस ने अदालतों में चल रहे केस, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, प्रसूति सहायता योजना, संबंल योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना सहित प्रदेश में संचालित हो रही कई योजनाओं का फीडबैक लिया।