MP News: इंदौर और जबलपुर में सामने आए मामलों में साइबर ठग अब नई तकनीक स्टेगनोग्राफी का उपयोग कर रहे हैं। ये ठग सोशल मीडिया या मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर अनजान फोटो या ब्लर वीडियो भेजते हैं। जैसे ही यूज़र उस फोटो पर क्लिक करता है, उसका फोन हैक हो जाता है। इसके बाद बिना OTP या पासवर्ड मांगे ही खाते से पैसे निकाल लिए जाते हैं।
स्टेगनोग्राफी क्या है
स्टेगनोग्राफी एक हिडन राइटिंग तकनीक है जिसमें मीडिया फाइल्स जैसे फोटो, वीडियो या ऑडियो में डेटा छिपाया जाता है। लीस्ट सिग्निफिकेंट बिट्स (LSB) को मॉडिफाई कर उसमें मैलवेयर या निर्देश छुपा दिए जाते हैं। दिखने में सामान्य लगने वाली फाइल, क्लिक करते ही मोबाइल को नियंत्रित कर लेती है।

जबलपुर केस: फोटो भेजकर खाते से उड़ाए लाखों रुपए
28 मार्च को जबलपुर निवासी प्रदीप जैन को एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉलर ने वाट्सएप पर एक बुजुर्ग की फोटो भेजी और पहचानने के लिए कहा। प्रदीप ने जैसे ही फोटो पर क्लिक किया, उनका फोन हैक हो गया। कुछ ही मिनटों में खाते से लाखों रुपये निकाल लिए गए।

इंदौर केस: गूगल पर बैंक सर्च कर बैठे बड़ी गलती
इंदौर में एक पीड़ित ने गूगल पर बैंक का कस्टमर केयर सर्च करते समय गलत वेबसाइट पर क्लिक कर दिया। मोबाइल में एक फेक ऐप कस्टमर सपोर्ट डॉट डाउनलोड हो गया। इसके बाद उनके खाते से 3 लाख रुपये की ठगी (Cyber fraud) हो गई। इसी तरह किसान सम्मान योजना के नाम पर एक लिंक भेजा गया, जिससे ऐप डाउनलोड होते ही 2 लाख रुपये की चोरी हो गई।
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MP को मिले पांच साइबर कमांडो
साइबर ठगी (Cyber crime) से निपटने के लिए केंद्र की योजना के तहत प्रदेश को 5 साइबर कमांडो (cyber commando) मिल चुके हैं। ये अफसर IIT कानपुर, हैदराबाद जैसे संस्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। अब ये कमांडो साइबर मुख्यालय में नियुक्त किए गए हैं और प्रदेशभर में डिजिटल अपराधों पर कार्रवाई करेंगे।
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अगला बैच हो रहा तैयार, 39 सब इंस्पेक्टरों को मिलेगी ट्रेनिंग
दूसरे चरण में मध्य प्रदेश के 39 सब-इंस्पेक्टरों का बैच तैयार किया गया है। इन्हें सरदार वल्लभभाई पटेल पुलिस अकादमी, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय और देश के प्रमुख तकनीकी संस्थानों में ट्रेनिंग दी जाएगी। ये अफसर सरकारी वेबसाइटों को साइबर अटैक से सुरक्षित रखने के साथ डिजिटल इमरजेंसी से निपटने में अहम भूमिका निभाएंगे।
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