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Photograph: (the sootr)
Burhanpur. बुरहानपुर ट्रैफिक थाने में तैनात आरक्षक आशीष तोमर के साथ एक अजीब घटना हुई। शनिवार को ड्यूटी के दौरान उन्हें एक वॉट्सएप कॉल आया जो पूरी तरह से फर्जी था। कॉल करने वाले शातिर शख्स ने खुद को पुणे पुलिस का बड़ा अधिकारी बताकर बात शुरू की।
उसने आरक्षक के बेटे को एक गंभीर रेप केस में फंसाने की धमकी देना शुरू कर दिया। इस मामले से बचाने के नाम पर ठग ने कॉन्स्टेबल आशीष तोमर से सीधे 1 लाख 70 हज़ार रुपए की मांग कर डाली।
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5 साल के बेटे को बताया रेप का आरोपी
आरक्षक आशीष तोमर ने अपनी सूझबूझ से इस फर्जी कॉल को पल भर में ही पहचान लिया। उन्हें यह सुनकर हंसी आ गई कि उनका पांच साल का बेटा भला पुणे जाकर किसी रेप केस में कैसे फंस सकता है। कांस्टेबल ने तुरंत पहचान लिया कि उसके साथ साइबर फ्राड की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने वहीं सड़क पर मौजूद आम जनता को भी इस ठगी के तरीके के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि कैसे ये अपराधी लोगों को डराते हैं और फिर पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं।
बुरहानपुर के कांस्टेबल के साथ घटी घटना को ऐसे समझें
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लोगों को बताया फ्रॉड से बचने का तरीका
आरक्षक आशीष तोमर ने मौके पर ही लोगों को साइबर क्राइम से बचने का तरीका बताया। उन्होंने सभी को समझाया कि इस तरह के अनजान कॉल या धमकियों से बिलकुल भी नहीं घबराना चाहिए। उन्होंने लोगों को साइबर क्राइम का हेल्पलाइन नंबर 1930 भी नोट करवाया।
आशीष ने कहा कि किसी भी तरह का ऑनलाइन फ्रॉड होने पर तुरंत आधे से एक घंटे के भीतर फोन करें। अगर यह मुमकिन न हो, तो अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन की हेल्प डेस्क से संपर्क करना सबसे सही है।
कॉन्स्टेबल ने लाउडस्पीकर पर सुनवाई पूरी बातचीत
आरक्षक आशीष तोमर ने बताया कि उन्हें कॉल तब आया जब वह इंदौर-इच्छापुर हाईवे पर चालानी कार्रवाई कर रहे थे। मोबाइल नंबर 9921556568 से अचानक कॉल आया और कॉलर ने कहा, "आपका बेटा रेप केस में फंस गया है।"
यह सुनकर उन्हें हंसी आ गई, क्योंकि उनका बेटा केवल 5 साल का हैं। उन्होंने तुरंत खुद को संभाला और सामने खड़े एक चार पहिया वाहन चालक को रोक लिया। उन्होंने लाउडस्पीकर ऑन करके गाड़ी में बैठी सवारियों को पूरी बातचीत सुनवाई ताकि सब लोग इस ठगी को समझ सकें।
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कॉन्स्टेबल का परिवार और कॉलर का झूठ
आरक्षक आशीष तोमर ने बताया कि उनके परिवार में 5 साल का बेटा और तीन साल की बेटी है। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बुरहानपुर में रहते हैं।
यह कॉल आने पर उनके मोबाइल की स्क्रीन पर आईजी रैंक के अधिकारी का फोटो लगा हुआ था, जिससे उन्हें शक हो गया। उन्होंने सोचा कि आईजी रैंक के बड़े अधिकारी भला सीधे मुझसे बात क्यों करेंगे, वे तो एसपी से बात करेंगे। इसलिए वह तुरंत समझ गए कि यह कॉल पूरी तरह से फर्जी है और ठगी करने की कोशिश हो रही है।
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