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देश के चुनिंदा पुराने और प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शुमार डेली कॉलेज इंदौर इन दिनों विवादों में उलझा हुआ है। आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन ने हाल ही में अपने ऑडिटोरियम को एक राजनीतिक दल और उससे जुड़े संगठनों के कार्यक्रम के लिए उपलब्ध कराया। यही नहीं, कार्यक्रम के दौरान परिसर के भीतर और बाहर भगवा झंडे भी लगाए गए। आइए जानते हैं डेली कॉलेज विवाद के बारे में विस्तार से..
सीनियर एडवोकेट अजय बगड़िया ने जताई आपत्ति
यह पूरा मामला तब सुर्खियों में आया, जब 1986 बैच के पूर्व छात्र और हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट अजय बगड़िया ने कॉलेज प्राचार्य को पत्र लिखकर इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई। उनका कहना है कि यह कदम न सिर्फ कॉलेज की तटस्थता पर सवाल उठाता है, बल्कि 150 साल से भी पुरानी इस संस्था की साख को ठेस पहुंचाने वाला है।
डेली कॉलेज पर आरोप क्या हैं?
कॉलेज ऑडिटोरियम में राजनीतिक दल से जुड़ा कार्यक्रम हुआ।
परिसर के कई हिस्सों में भगवा रंग के झंडे लगाए गए।
अजय बगड़िया ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि एक ऐसा संस्थान, जिसने कई दिग्गज नेताओं, नौकरशाहों और अंतरराष्ट्रीय स्तर के नामचीन लोगों को शिक्षा दी है, राजनीति का मंच बनता नज़र आया। यह बहुत खतरनाक मिसाल है।
प्रबंधन पर उठे सवाल
इधर पूर्व छात्रों का कहना है कि डेली कॉलेज गवर्निंग बॉडी ने पहले ही एक प्रस्ताव पास कर यह तय किया था कि कॉलेज परिसर का इस्तेमाल किसी राजनीतिक कार्यक्रम के लिए नहीं होगा। सवाल यह है कि इस स्पष्ट नियम के बावजूद यह आयोजन कैसे अनुमति पा गया?
बगड़िया का कहना है कि इस निर्णय से संस्था के अराजनीतिक होने की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है और यह कदम कॉलेज को भविष्य में विवादों का अड्डा बना सकता है।
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आखिर क्यों बढ़ा विवाद?
बता दें कि इंदौर के डेली कॉलेज, जिसकी नींव 1882 में रखी गई थी, महज इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य भारत में शिक्षा और निष्पक्षता का प्रतीक माना जाता रहा है। इस संस्था के पूर्व छात्र नौकरशाही, राजनीति, न्यायपालिका और विदेश सेवा जैसे ऊंचे पदों पर रहे हैं। ऐसे में परिसर में किसी एक राजनीतिक विचारधारा से जुड़ी गतिविधि होना संस्था की छवि के लिए ठीक नहीं है।
पूर्व छात्रों का मानना है कि इससे कॉलेज की छवि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष शैक्षणिक संस्थान के बजाय किसी विशेष धारा से जुड़े संगठन की तरह बनने का खतरा है।
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पूर्व छात्र की चेतावनी
अजय बगड़िया ने अपने पत्र के अंत में लिखा कि कॉलेज प्रशासन को तुरंत आत्ममंथन कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटना आगे दोबारा न हो।
उनका कहना है कि कॉलेज की गरिमा और विरासत सौ साल से ज्यादा पुरानी है। इसे थोड़े से राजनीतिक नजदीकी के लिए दांव पर लगाना, इतिहास के साथ अन्याय होगा।