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मध्य प्रदेश के दमोह में 7 मौत का जिम्मेदार फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डॉ. एन जॉन केम के फर्जीवाड़े की परतें खुलने लगी हैं। दरअसल इस फर्जी डॉक्टर को हाल ही में यूपी के प्रयागराज से पकड़ा गया था। इसको लेकर आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। आरोपी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने खुद की पहचान छिपाकर "डॉ. नरेंद्र जॉन केम" बताकर हार्ट के कई मरीजों का इलाज किया था। इसके इलाज करने के बाद 7 मरीजों की मौत भी हो गई थी। इसकी पहचान और चोरी का मामला पांच साल पहले ट्विटर के माध्यम से सामने आया था, जब आरोपी ने खुद को ब्रिटिश कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जॉन केम के नाम से पेश किया। अब पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और उसके मेडिकल बैकग्राउंड की जांच की जा रही है।
असली डॉ. जॉन केम का बयान
सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. जॉन केम ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कई खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा कि यह पहचान चोरी का मामला उन्हें पांच साल पहले पता चला था। उन्होंने कहा कि यह मामला शुरू में काफी परेशान करने वाला था। उन्होंने इस फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के फर्जीवाड़े को उजागर करने की पूरी कोशिश की थी। 2023 में उन्होंने एक ईमेल के जरिए इस मामले की जानकारी दी थी, जिसमें ट्विटर अकाउंट @njohncamm को पहचान चुराने का दोषी ठहराया गया था। डॉ. केम ने साफ किया कि वह इस आरोपी को नहीं जानते हैं और उसका उनसे कोई संबंध नहीं है।
5 साल पहले शुरू हुआ था पहचान चुराने का खेल
करीब पांच साल पहले एक ट्विटर अकाउंट के जरिए नकली डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने असली डॉक्टर ए जॉन केम की पहचान चुराई थी। इस अकाउंट के जरिए आरोपी ने खुद को डॉ. जॉन केम बताकर कई विवादित बयान दिए थे। उसने दावा किया था कि वह सेंट जॉर्ज विश्वविद्यालय, लंदन में ट्रेनिंग ले रहा है, और उसके बाद भारतीय राजनीति में कई बार अपनी राय दी। एक ट्वीट में उसने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फ्रांस भेजने की बात भी कही थी। इस ट्वीट को बाद में यूपी मुख्यमंत्री के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट ने रिट्वीट किया था, जिससे यह वायरल हो गया। भारत के हृदय रोग विशेषज्ञों ने इस मामले को उजागर किया और इसे पहचान की चोरी साबित किया।
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नरेंद्र यादव का आपराधिक रिकॉर्ड
नरेंद्र विक्रमादित्य यादव का यह पहला अपराध नहीं है। 2019 में उसे हैदराबाद में एक ब्रिटिश डॉक्टर को कथित तौर पर अपहरण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा, 2014 में भारत के चिकित्सा नियामकों ने उसे पेशेवर कदाचार के लिए पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। रिकॉर्ड के अनुसार, उसे 2013 में उत्तर प्रदेश में धोखाधड़ी और ठगी के मामले में भी आरोपी ठहराया गया था, हालांकि एक अदालत ने उस पर से आरोप हटा दिए थे।
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