पोते का संदेह बना बवाल: डॉ. नरेंद्र जॉन केम की फर्जी डिग्रियों का ऐसे हुआ पर्दाफाश

दमोह अस्पताल के डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें 15 ऑपरेशनों में से 7 मरीजों की मौत का दावा किया गया। खुलासा तब हुआ जब कृष्णा पटेल, जो कि एक बुजुर्ग मरीज के पोते थे, ने डॉक्टर पर आरोप लगाए...

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Jitendra Shrivastava
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damoh-hospital-doctor Photograph: (thesootr)

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दमोह में मिशन हॉस्पिटल में एक डॉक्टर के बारे में हाल ही में गंभीर आरोप सामने आए हैं, जिनमें कहा गया कि उसने गलत ऑपरेशनों और इलाज से कई मरीजों की जान ली। यह खुलासा तब हुआ जब कृष्णा पटेल, जो कि एक बुजुर्ग मरीज के पोते थे, ने इस मामले का पर्दाफाश किया। कृष्णा ने आरोप लगाया कि डॉ. नरेंद्र जॉन केम (जिसका असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है) ने अस्पताल में बिना पूरी जानकारी दिए ऑपरेशन किए और कई मरीजों की मौत का कारण बने। 

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डॉक्टर की पहचान और उसके संदिग्ध ऑपरेशन

कृष्णा पटेल ने बताया कि जब उन्होंने अपने दादा को हार्ट सर्जरी के लिए मिशन हॉस्पिटल में भर्ती कराया था, तो उन्हें डॉक्टर के व्यवहार पर संदेह हुआ। ऑपरेशन के दौरान कुछ गड़बड़ी महसूस हुई, और उन्होंने इसकी जांच की। पता चला कि डॉ. नरेंद्र जॉन केम ने कुल 15 ऑपरेशनों में से 7 मरीजों की मौत की जिम्मेदारी ली थी। 

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कृष्णा पटेल द्वारा जुटाए गए सबूत

कृष्णा पटेल ने बताया कि उन्होंने पहले डॉक्टर के बारे में जानकारी हासिल की और यह पाया कि डॉक्टर की मेडिकल डिग्रियों में गड़बड़ी है। उनके पास जो डिग्रियां थीं, वे सभी संदिग्ध थीं, और वह खुद एक फर्जी पहचान के तहत काम कर रहे थे। कृष्णा ने इस मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग और स्थानीय प्रशासन से शिकायत की, जिसके बाद जांच शुरू हुई। 

मानवाधिकार आयोग की जांच

मानवाधिकार आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच टीम भेजी। इस टीम ने अस्पताल के दस्तावेजों की जांच की और मृतकों के परिजनों से पूछताछ की। जांच के दौरान यह पाया गया कि 5 मरीजों की ऑपरेशन के बाद मौत हो गई, और अस्पताल में इस बारे में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी।

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मिशन हॉस्पिटल और उसके संदिग्ध कनेक्शन

दमोह का मिशन हॉस्पिटल, जो कि एक प्राइवेट अस्पताल है, पिछले 10 सालों से काम कर रहा है, लेकिन अस्पताल में ऐसे विवाद सामने आना इसके संचालन के लिए चिंता का कारण बनता है। अस्पताल में सीटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे, पैथ लैब जैसी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन जब सवाल उठे तो प्रशासन ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया।

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डॉक्टर की गिरफ्तारी और सोशल मीडिया पर विवाद

पुलिस ने डॉ. नरेंद्र जॉन केम को प्रयागराज से गिरफ्तार किया, और जांच में कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद किए। इसके अलावा, डॉक्टर के सोशल मीडिया अकाउंट्स में कुछ नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें भी सामने आईं, जिससे मामला और अधिक जटिल हो गया। 

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छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत का मामला

एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम यह है कि इसी डॉक्टर द्वारा किए गए ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की भी मौत हुई थी। उनके बेटे ने भी इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत की थी, जिसमें यह सामने आया कि डॉक्टर के पास केवल एमबीबीएस की डिग्री थी और वह कार्डियोलॉजिस्ट नहीं था। 

 

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