पवन सिलावट@रायसेन
जिले में एक नर तेंदुए की मौत खेत की तार फेंसिंग में फंसने से हो गई। इस मामले में खेत मालिक और उसके साथी को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही, एक और घटना किटोरी में हुई, जिसमें एक नर तेंदुआ फंदे में फंस गया, लेकिन उसे बचा लिया गया।
रायसेन जिले में तेंदुए की मौत की घटना
रायसेन जिले के ग्राम गुलगांव के पास एक दुखद घटना घटी, जहां एक नर तेंदुआ खेत की तार फेंसिंग में फंस गया। घटना आज सुबह करीब 7 बजे की है, जब तेंदुआ फंदे में फंसकर परेशान हो गया। तेंदुए की उम्र लगभग 2 वर्ष बताई जा रही है। इस घटना की सूचना मिलते ही उपवन मंडल अधिकारी रायसेन, सुधीर पटले ने अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू की।
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रेस्क्यू के दौरान तेंदुए की मौत
तेंदुए के कमर में फंदा काफी कसकर लपेटा हुआ था। रेस्क्यू के प्रयासों के बावजूद, तेंदुए की हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि उसकी मौत हो गई। चूंकि तेंदुआ वन्य प्राणी अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के तहत संरक्षित है, तो पशु चिकित्सक की निगरानी में और उपवन मंडल अधिकारी सुधीर पटले की उपस्थिति में तेंदुए का पोस्टमार्टम किया गया।
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खेत मालिक गिरफ्तार
घटना की जांच के दौरान, खेत मालिक रामभरोसे आत्मज मूलचंद अहिरवार को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा एक अन्य आरोपी, अनिल बेड़ियां को भी गिरफ्तार किया गया, जो कि सुखा करार गांव का निवासी है। दोनों आरोपियों ने अपने अपराध को स्वीकार किया और बताया कि उन्होंने जंगली सुअर के शिकार के लिए फंदा लगाया था।
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वन मंडल अधिकारी ने की कार्रवाई
मुख्य वन संरक्षक राजेश खरे और वन मंडल अधिकारी विजय कुमार ने पूरी घटना का संज्ञान लिया। उनके मार्गदर्शन में तेंदुए का विधिवत दाह किया गया।
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गढ़ी के ग्राम किटोरी की घटना
इस प्रकार की एक और घटना गढ़ी के ग्राम किटोरी में भी सामने आई, जहां एक नर तेंदुआ, जिसकी उम्र करीब 5 वर्ष थी, फंदे में फंसा मिला। तेंदुए को रेस्क्यू करने के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और वन विहार की टीम को बुलाया गया। इसके बाद तेंदुए को वनविहार नेशनल पार्क भोपाल भेजा गया, जहां उसका इलाज शुरू किया गया।
दोषियों को चेतावनी
वन मंडल अधिकारी विजय कुमार ने पूरे मामले की जांच के लिए वन परिक्षेत्र अधिकारी धीरेंद्र पांडे को निर्देशित किया है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए जांच प्रक्रिया तेज करने को कहा कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। साथ ही, रायसेन वन मंडल ने ग्रामीणों और कृषकों से अपील की है कि वे फंदे या करेंट लगाकर शिकार करने से बचें, क्योंकि यह वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 का उल्लंघन है।