भूमाफिया दीपक मद्दा और पूरा परिवार त्रिशला सोसायटी चुनाव में उम्मीदवार, अपराधी नहीं लड़ सकता चुनाव

इंदौर के कुख्यात भूमाफिया दीपक मद्दा ने त्रिशला गृह निर्माण सोसायटी के चुनाव में उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरा है, लेकिन वह संस्था के नियमों के तहत चुनाव नहीं लड़ सकता। इसके बावजूद उसने अपने परिवार को भी इस चुनाव में उतारा है।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (THESOOTR)

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INDORE. इंदौर के सबसे कुख्यात भूमाफिया दिलीप जैन उर्फ दीपक मद्दा उर्फ दिलीप सिसौदिया ने आखिरकार फिर से त्रिशला गृह निर्माण सोसायटी की जमीन पर कब्जे के लिए दाव खेल दिया है। उसने इस चुनाव के लिए नामांकन फार्म भर दिया है। इसके साथ ही उसने अपने करीबी परिजनों को भी नामांकन फार्म भरवाया है। 

त्रिशला गृह निर्माण सोसायटी में चुनाव के लिए कुल 11 पदों के लिए 22 नामांकन भरे गए हैं, लेकिन मद्दा कोशिश में लग गया है कि बाकी के नामांकन वापस करा दिए जाएं और आखिर में वह और करीबी लोग निर्विरोध सदस्य बन जाएं। इससे बाद में यह 11 चुने गए सदस्य उसे अध्यक्ष बनाएंगे। 

संस्था नियम के तहत मद्दा चुनाव ही नहीं लड़ सकता

सबसे बड़ी बात तो यह है कि सहकारिता नियम व त्रिशला गृह निर्माण सोसायची के नियमों बायलाज के तहत मद्दा चुनाव ही नहीं लड़ सकता है। संस्था के उपविधि क्रमांक पांच के बिंदु दो के तहत संस्था सदस्य बनने के लिए किसी व्यक्ति का आचरण अच्छा होना चाहिए।

बिंदु 6 के तहत उसे राजनीतिक ढंग की सजा को छोड़कर किसी नैतिकता संबंधी अपराध में दंडित नहीं किया गया हो। बिंदु ब (3) के तहत एक ही परिवार में एक से अधिक व्यक्ति सदस्य नहीं बन सकते हैं, जबकि संस्था में उसकी पत्नी समता भी सदस्य है। यानी नियम से मद्दा संस्था का सदस्य ही रहने योग्य नहीं है और ऐसे में वह चुनाव लड़ रहा है। 

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मद्दा के साथ दोनों भाई, साले की पत्नी सभी उतरे

मद्दा ने दिलीप आनंदीलाल सिसौदिया के नाम से नामांकन दाखिल किया है। वहीं  करीबी साले दीपक जैन की पत्नी ममता दिलीप जैन के नामांकन और नरसिंह मोहन गुप्ता के नामाकंन के प्रस्तावक बना है। साथ ही सपना मंगेश जैन के लिए अनुमोदक बना है। मद्दा के साथ उसके भाई कमलेश और निलेश ने भी चुनाव नामांकन भरा है।

11 पदों के लिए इन 22 के नामांकन

कमलेश आनंदीलाल जैन, नरसिंह मोहनलाल गुप्ता, दिलीप आनंदीलाल सिसौदिया, निलेश आनंदीलाल जैन, ममता दिलीप जैन, सपना मंगेश जैन, नंदकिशोर छगनलाल गौड़, चंद्रप्रकाश सामिलदास परिहार, रामचंद्र कंवरलाल बागौरा, राजेंद्र सिंह ग्यासी परिहार, निखिल सदाशिव अग्रवाल, पवन ओमप्रकाश सिंह, अन्नुलाल मलकु कुमरे, ईश्वर कालूराम अग्रवाल, मोहन गोपाल सिंह झाला, भंवरलाल गुर्जर, भाग्यश्री पिता अशोक चिटणी, वर्षा पिता ओमप्रकाश, आशा रामकुमार , संजय सरनाम सेंगर, महेंद्र हुकुमचंद वोरा और नीरज मांगीलाल गाले।  

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मद्दा की सदस्यता ही फर्जी, फिर भी घुसा, अध्यक्ष बना 

मद्दा की इस संस्था में सदस्यता ही पूरी फर्जी है। दरअसल इंदौर का भूमाफिया दीपक मद्दा साल 2000 से 2006 तक कल्पतरू संस्था में अधय्क्ष था। इसी दौरान उसे साल 2004 में इस संस्था की भी सदस्यता फर्जी तरीके से ले ली, जबकि एक ही समय दोनों जगह सदस्यता नहीं हो सकती।

त्रिशला संस्था में सदस्यता क्रमांक 291 पर दिलीप पिता स्वर्गीय गोवर्धनलाल गुप्ता की सदस्यता थी, लेकिन अचानक 2004 में उनका इस्तीफा दिया और सह योजना (को आप्शन) प्रक्रिया बताते हुए मद्दी को उसी सदस्यता नंबर 291 पर सदस्यता दे दी गई। मद्दा दिलीप सिसौदिया के नाम पर सदस्य बना गया। फिर साल 2006 से 2015 तक इसका अध्यक्ष भी बन गया। जबकि ईडी में दिए उसके ही बयानों में वह साल 2000 से 2005 तक कल्पतरू संस्था में भी अध्यक्ष पद पर रहा। इस तरह बीच में वह एक साथ दो संस्थाओं में सदस्य रहा। 

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मद्दा ने विरोधियों को मतदाता सूची से ही बाहर किया

भूमाफिया दीपक मद्दा ने इसमें पहले ही चाल चलते हुए विरोधी पक्षों को बाहर कर दिया है। इसमें करीब 35 मूल सदस्य ही बाहर हो गए हैं। अभी करीब 179 सदस्य इसमें बताए जा रहे हैं। मतदाता सूची से बाहर होने के चलते कई सदस्यों के नामांकन फार्म ही चुनाव अधिकारी दुबे ने लेने से मना कर दिया है। इसका कारण बताया गया है कि संस्था की मूल सदस्यता पंजी नहीं है और इसलिए आडिट सूची के आधार पर चुनाव हो रहे हैं और इसमें इन सभी के नाम नहीं है। 

हाईकोर्ट में अपने ही बंदे से लगवाई थी मद्दा ने याचिका

बताया जाता है इसमें भंवरलाल नाम के व्यक्ति द्वारा चुनाव के लिए याचिका मद्दा ने ही लगवाई। साल 2017 में इसमें चुनाव हुए और फिर पांच साल बाद 2022 में होने थे लेकिन इसके पहले ही वहां विवादों के चलते प्रशासक बैठ गए।

चुनाव कराने के लिए लगी याचिका पर हाईकोर्ट ने जुलाई 2025 में तीन माह में चुनाव प्रक्रिया के आदेश दिए। इस पर चुनाव सूची से बाहर हुए सदस्यों ने आपत्ति ली और रिट पिटीशन भी लगाई लेकिन यह कहकर खारिज हो गई कि पहले संबंधित अपील अधिकारी के पास जाएं। लेकिन उन्होंने खारिज कर दी।

वहीं सदस्यों का कहना है कि जब मूल पंजी नहीं है तो फिर कौन सही सदस्य है यह कैसे तय होगा और मूल सदस्यों को कैसे बाहर किया जा सकता है। लेकिन चुनाव अधिकारी ने इनके नामांकन लेने से मना कर दिया। उधर कुछ प्रभावितों ने रिट अपील दायर की है जिस पर सुनवाई संभावित है।

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तत्कालीन कलेक्टर ने 6 केस कराए, ईडी में केस 

जमीन घोटाले के चलते तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने मद्दा पर जमीन धोखाधड़ी में 6 केस दर्ज कराए। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने भी कल्पतरू घोटाले में केस दर्ज किया। मद्दा पर रासुका भी लगी और फिर उसे जेल भेजा गया। बाद में ईडी ने भी जमीन घोटाले में केस दर्ज कर लिया और मद्दा लंबे समय तक जेल रहा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बाद वह रिहा हुआ। 

मद्दा पर केस -

161/21, 162/21, 1032/21, 1214/22, एमआईजी थाने में 131/21, 132/21, 673/21, क्राइम ब्रांच में 17/23, तिलकनगर में 284/23, यह सभी केस मूल रूप से धारा 420, 467, 468, 471 व 120बी जैसी गंभीर धाराओं में दर्ज हुए हैं। 

गृह विभाग का फर्जी पत्र तक बनवा लिया था

मद्दा ने तो गृह विभाग का एक फर्जी पत्र ही बनवा लिया था जिसमें उस पर रासुका खत्म कराने की बात थी। यह पत्र खजराना थाने में दिया गया ताकि गिरप्तारी नहीं हो। बाद में यह पत्र फर्जी पाया गया और एक केस और उस पर दर्ज हुआ। 

मद्दा सोसायटी की जमीन पर सबसे बड़ा माफिया

सोसायटी की जमीन के खेल में मद्दा सबसे बड़ा खिलाड़ी है। खुद प्रशासन की रिपोर्ट में इसे सबसे बड़ा भूमाफिया कहकर संबोधित किया गया। यह अयोध्यापुरी में भी संघवी के साथ जमीन खरीद चुका है। देवी अहिल्या संस्था में इसने खूब खेल किए। 

त्रिशला में यह खेल कर चुका है मद्दा

मद्दा इसके पहले त्रिशला में अलग खेल कर चुका है। न्यायनगर की जमीन का सौदा पटेल बंधुओं ने किया था, लेकिन बाद में उन्होंने यह सौदा मद्दा से नौ करोड़ में किया। मद्दा ने इसके लिए चेक तो देवी अहिल्या सोसायटी से दिलवाए लेकिन जमीन त्रिशला के नाम पर करा ली तब वह इसमें अध्यक्ष था। इस जमीन में मनीष शाहरा के भाई नीतेश शाहरा भी उलझे थे। मद्दा ने इसमे अपने लोगों को सदस्य बना लिया और कई मूल सदस्यों को बाहर कर दिया जिससे बेशकीमती जमीन पर उसका कब्जा हो सके।

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