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Photograph: (thesootr)
INDORE. इंदौर के सबसे कुख्यात भूमाफिया दिलीप जैन उर्फ दीपक मद्दा उर्फ दिलीप सिसौदिया ने जेल से बाहर आने और कुछ महीनों की शांति के बाद फिर से सोसायटी की जमीन में पैर फैलाना शुरू कर दिया है।
इसकी शुरूआत उसने अपनी पुरानी अध्यक्षता वाली संस्था त्रिशला गृह निर्माण सोसायटी से की है। जिसकी 60 बीघा जमीन (स्कीम 140 में) जो एक हजार करोड़ से अधिक कीमत की है। यह वही संस्था है जिसमें घोटाले को लेकर उस पर केस भी दर्ज है और साथ ही ईडी में भी केस हो रहा है और लंबे समय जेल में भी रहा है।
सोसायटी के चुनाव में दखल के लिए पहुंचा
हाईकोर्ट के 15 जुलाई को दिए गए आदेश के तहत सोसायटी द्वारा इसके चुनाव की प्रक्रिया की जा रही है। कलेक्टोरेट के सेटेलाइट भवन में थर्ड फ्लोर पर चुनाव अधिकारी अमित दुबे द्वारा दोपहर 12 से दो बजे तक नामांकन लिए गए। इस दौरान 11 पदों के लिए नामांकन भरे गए हैं। है। इस दौरान मद्दा भी वहां पहुंचा और पूरी चुनाव प्रक्रिया पर नजर उसने रखी। बताया जा रहा है कि उसने पूरे बोर्ड पर कब्जे के लिए अपने ही लोगों के नामांकन भरवाए हैं। अधिकांश लोग मद्दा से जुड़े हुए हैं।
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मद्दा ने विरोधियों को मतदाता सूची से ही बाहर किया
इंदौर का भूमाफिया दीपक मद्दा ने इसमें पहले ही चाल चलते हुए विरोधी पक्षों को बाहर कर दिया है। इसमें करीब 35 मूल सदस्य ही बाहर हो गए हैं। अभी करीब 179 सदस्य इसमें बताए जा रहे हैं। मतदाता सूची से बाहर होने के चलते कई सदस्यों के नामांकन फार्म ही चुनाव अधिकारी दुबे ने लेने से मना कर दिया है। इसका कारण बताया गया है कि संस्था की मूल सदस्यता पंजी नहीं है और इसलिए आडिट सूची के आधार पर चुनाव हो रहे हैं और इसमें इन सभी के नाम नहीं है।
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हाईकोर्ट में अपने ही बंदे से लगवाई मद्दा ने याचिका
बताया जाता है इसमें भंवरलाल नाम के व्यक्ति द्वारा चुनाव के लिए याचिका मद्दा ने ही लगवाई। साल 2017 में इसमें चुनाव हुए और फिर पांच साल बाद 2022 में होने थे लेकिन इसके पहले ही वहां विवादों के चलते प्रशासक बैठ गए।
चुनाव कराने के लिए लगी याचिका पर हाईकोर्ट ने जुलाई 2025 में तीन माह में चुनाव प्रक्रिया के आदेश दिए। इस पर चुनाव सूची से बाहर हुए सदस्यों ने आपत्ति ली और रिट पिटीशन भी लगाई, लेकिन यह कहकर खारिज हो गई कि पहले संबंधित अपील अधिकारी के पास जाएं। लेकिन उन्होंने खारिज कर दी।
वहीं सदस्यों का कहना है कि जब मूल पंजी नहीं है तो फिर कौन सही सदस्य है यह कैसे तय होगा और मूल सदस्यों को कैसे बाहर किया जा सकता है। लेकिन चुनाव अधिकारी ने इनके नामांकन लेने से मना कर दिया। उधर कुछ प्रभावितों ने रिट अपील दायर की है जिस पर सुनवाई संभावित है।
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तत्कालीन कलेक्टर ने 6 केस कराए, ईडी में केस
जमीन घोटाला के चलते तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने मद्दा पर जमीन धोखाधड़ी में 6 केस दर्ज कराए। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने भी कल्पतरू घोटाले में केस दर्ज किया। मद्दा पर रासुका भी लगी और फिर उसे जेल भेजा गया। बाद में ईडी ने भी जमीन घोटाले में केस दर्ज कर लिया और मद्दा लंबे समय तक जेल रहा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत के बाद वह रिहा हुआ।
मद्दा पर केस-
तुकोगंज थाने में 611/09, खजराना थाने में 159/21, 160/21, 161/21, 162/21, 1032/21, 1214/22, एमआईजी थाने में 131/21, 132/21, 673/21, क्राइम ब्रांच में 17/23, तिलकनगर में 284/23, यह सभी केस मूल रूप से धारा 420, 467, 468, 471 व 120बी जैसी गंभीर धाराओं में दर्ज हुए हैं।
गृह विभाग का फर्जी पत्र तक बनवा लिया था
मद्दा ने तो गृह विभाग का एक फर्जी पत्र ही बनवा लिया था जिसमें उस पर रासुका खत्म कराने की बात थी। यह पत्र खजराना थाने में दिया गया ताकि गिरप्तारी नहीं हो। बाद में यह पत्र फर्जी पाया गया और एक केस और उस पर दर्ज हुआ।
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मद्दा सोसायटी की जमीन पर सबसे बड़ा माफिया
त्रिशला सोसायटी इंदौर की जमीन के खेल में मद्दा सबसे बड़ा खिलाड़ी है। खुद प्रशासन की रिपोर्ट में इसे सबसे बड़ा भूमाफिया कहकर संबोधित किया गया। यह अयोध्यापुरी में भी संघवी के साथ जमीन खरीद चुका है। देवी अहिल्या संस्था में इसने खूब खेल किए।
त्रिशला में यह खेल कर चुका है मद्दा
मद्दा इसके पहले त्रिशला में अलग खेल कर चुका है। न्यायनगर की जमीन का सौदा पटेल बंधुओं ने किया था, लेकिन बाद में उन्होंने यह सौदा मद्दा से नौ करोड़ में किया। मद्दा ने इसके लिए चेक तो देवी अहिल्या सोसायटी से दिलवाए लेकिन जमीन त्रिशला के नाम पर करा ली तब वह इसमें अध्यक्ष था। इस जमीन में मनीष शाहरा के भाई नीतेश शाहरा भी उलझे थे। मद्दा ने इसमें अपने लोगों को सदस्य बना लिया और कई मूल सदस्यों को बाहर कर दिया जिससे बेशकीमती जमीन पर उसका कब्जा हो सके।