BHOPAL. मध्यप्रदेश की अफसरशाही की बलिहारी है। एक तो विभागों में अधिकारी-कर्मचारियों का टोटा है। हजारों पद खाली पड़े हैं और नियुक्ति प्रक्रिया कछुआ चाल से रेंग रही है। जैसे-तैसे नियुक्तियां होती भी हैं तो अधिकारी उस पर भी कुंडली मारकर बैठ जाते हैं।
कौशल विकास के नाम पर युवाओं को रोजगार देने वाले विभाग भी इसमें पीछे नहीं है। प्रदेश में प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर सात माह पहले भर्ती और चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
प्रदेश में 220 से ज्यादा आईटीआई में प्रशिक्षण अधिकारियों की कमी से प्रशिक्षण कोर्स अधूरे पड़े हैं। इसके बावजूद चयनित हुए 326 प्रशिक्षक पोस्टिंग के लिए भटक रहे हैं। कौशल विकास एवं प्रशिक्षण विभाग के अधिकारी उन्हें बेवजह चक्कर लगवा रहे हैं।
चयन के बाद नियुक्ति में रोड़ा
मध्यप्रदेश में 220 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाएं यानी आईटीआई हैं। इनमें लंबे समय से प्रशिक्षण अधिकारियों की भर्ती नहीं होने से 582 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। पिछले साल कौशल विकास विभाग द्वारा खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई थी।
ईएसबी के जरिए 450 पदों के लिए हुई भर्ती में से 326 की चयन सूची जारी की जा चुकी है। जबकि 121 पदों को होल्ड रखा गया है। यह प्रक्रिया सात महीने पहले ही पूरा हो चुकी है। इसके जरिए 326 प्रशिक्षण अधिकारियों के पद पर भर्ती के लिए योग्य अभ्यर्थियों का चयन भी हो चुका है।
अब विभाग से नियुक्ति पत्र जारी होने की देरी है। ये अभ्यर्थी बीते 7 माह से लगातार विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी पोस्टिंग के बारे में कोई जवाब ही नहीं मिल रहा है।
ये खबरें भी पढ़िए :
वकीलों का HC चौराहे पर चक्काजाम, परिजनों के खिलाफ अपराधों पर उग्र हुए अधिवक्ता
एसआई भर्ती पेपर लीक मामले में आरपीएससी सचिव तलब, भ्रष्टाचार मामले में एसीबी से जवाब मांगा
सरकार की मंशा पर बट्टा
प्रदेश सरकार औद्योगिक विकास पर लगातार ध्यान दे रही है। मध्यप्रदेश में ज्यादा से ज्यादा उद्योग स्थापित हों इसके लिए सीएम डॉ.मोहन यादव न केवल प्रदेश और देश के दूसरे राज्यों में बल्कि विदेशों में भी इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव कर रहे हैं। इधर बेरोजगारों को उद्योगों की स्थापना के जरिए रोजगार मुहैया कराने सरकार सीखो कमाओ, आईटीआई प्रशिक्षण के अवसर भी बढ़ा रही है।
हाल ही में भोपाल में विश्व स्तरीय सुविधाओं वाले ग्लोबल स्किल पार्क भोपाल का निर्माण कार्य कराया गया है। इन प्रयासों को कौशल विकास विभाग के अधिकारी ही बट्टा लगा रहे हैं। आईटीआई जैसी संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले युवाओं को सीखने का मौका ही नहीं मिल रहा है क्योंकि वहां प्रशिक्षण अधिकारी ही नहीं हैं।
ये खबरें भी पढ़िए :
विधानसभा में पूछा गया सवाल, कॉलेज प्रबंधन कर रहे गुमराह
250 एकड़ सरकारी जमीन पर फर्जी पट्टा घोटाला! आदिवासियों को बेदखल करने की कोशिश, प्रशासन मौन
आईटीआई में खाली ट्रेड
प्रदेश की औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में हजारों की संख्या में युवा प्रशिक्षण के लिए फिटर, ऑटोमोबाइल, मैकेनिकल, डीजल-ट्रैक्टर मैकेनिक, मशीनिष्ट, वेल्डर, कम्पोजिटर, प्रिंटर, कम्प्युटर, ऑफिस असिस्टेंट जैसी कई ट्रेड़ों में प्रवेश लेते हैं। ये छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से जुड़कर सीधे रोजगार के अवसर हासिल करने वाले होते हैं। ऐसे युवाओं के लिए सरकार कई योजनाएं भी चला रही है।
सरकार के इन प्रयासों के बावजूद औद्योगिक प्रशिक्षण की हकीकत कुछ और ही है। आईटीआई में जिनके पास प्रशिक्षण की जिम्मेदारी है वे प्रशिक्षक ही नहीं हैं। ज्यादातर पद खाली पड़े होने से भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर ही नहीं अधिकांश आईटीआई में प्रशिक्षकों के पद खाली है। इस वजह से प्रशिक्षण कोर्स में प्रवेश लेने वाले युवा बेकार बैठे हैं।
thesootr links
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧👩