तबादला सीजन बीता फिर भी एमपी में प्रभार पर प्रशासन

मध्य प्रदेश में तबादलों का सीजन बीत चला है लेकिन विभागों में कामकाज प्रभारी अधिकारियों के भरोसे है। कई जिलों में अभी भी अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं हो सकी है।

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Sanjay Sharma
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Departments running on charge during transfer season

Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था के सूखे को सरकार की ट्रांसफर लिस्टों की बौछार भी दूर नहीं कर पाई है। करीब तीन साल बाद हुए थोकबंद तबादलों के बावजूद विभागों में मूल पदों पर पोस्टिंग नहीं हो पाई है।

तहसीलों से लेकर, महिला एवं बाल विकास विभाग, नगरीय पालिका-नगर परिषद, पीडब्ल्यूडी, बिजली कंपनी, पुलिस विभाग में साल भर या महीनों से सैकड़ों पद प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं।

ऐसे में दोहरे-तिहरे प्रभार के चलते इन विभाग के जिला, विकासखण्ड और तहसील स्तर के कार्यालयों में जनता से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं। स्थायी अधिकारी की पोस्टिंग न होने से प्रभारी कभी कभार ही इन कार्यालयों की सुध ले रहे हैं। इस वजह से दफ्तरों में व्यवस्था चरमरा गई है।

प्रभारियों के भरोसे चल रहे दफ्तर

प्रदेश में सरकार की तबादला नीति के बाद हाल ही में थोकबंद ट्रांसफर लिस्ट जारी की गई हैं। इसके बाद भी अंचलों में बड़ी संख्या में विभाग प्रमुखों के पदों पर स्थायी पोस्टिंग नहीं हो पाई है। कई जिलों में ब्लॉक और तहसील कार्यालय अब भी प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं।

अधिकारियों पर दोहरे-तिहरे प्रभार

स्थायी पोस्टिंग न होने से कई विभागों में अधिकारियों को दोहरे और तिहरे प्रभार सौंपकर काम चलाया जा रहा है। सागर जिले के रहली ब्लॉक में नगर पालिका प्रभारी सीएमओ संभाल रहे हैं। रहली नगर पालिका में सीएमओ का चार्ज सहायक राजस्व निरीक्षक धनंजय गुमास्ता को दिया गया है। उनके ही पास गढ़ाकोटा नगर पालिका सीएमओ का प्रभार भी है। 

गुमास्ता ट्रांसफ़र लिस्ट जारी होने से पहले गढ़ाकोटा नगर पालिका के प्रभारी सीएमओ थे। अब उनकी पोस्टिंग रहली करके गढ़ाकोटा का चार्ज सौंप दिया गया है। दतिया की सेवढ़ा नगर परिषद के सीएमओ महिपाल सिंह के पास भिंड जिले की आलमपुर नगर परिषद की दोहरी जिम्मेदारी है।

दतिया सीएमओ का पद प्रभार पर है। यहां पदस्थ प्रभारी सीएमओ नागेन्द्र सिंह के पास भांडेर का भी चार्ज है। रायसेन जिले में पुलिस विभाग के सब डिविजनल कार्यालयों की जिम्मेदारी भी प्रभार पर है। बाड़ी एसडीओपी इन दिनों बरेली और उदयपुरा सब डिविजन भी संभाल रही हैं।

यहां भी है पदोन्नति न होने का रोड़ा

विभागों में बड़ी संख्या में मूल पदों पर स्थायी अधिकारी की पोस्टिंग में भी 9 साल से अटकी पदोन्नति का रोड़ा अटका हुआ है। हालांकि अब सरकार फिर पदोन्नति शुरू करने जा रही है लेकिन सालों से विभागीय स्तर पर प्रमोशन न होने ओर नई भर्ती भी पर्याप्त संख्या में नहीं होने से पदों पर प्रभारी पदस्थ करने की मजबूरी सरकार के सामने बनी हुई है।

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प्रभार अटका रहा जनता के काम

सरकारी दफ्तरों में मूल पद खाली होने या अधिकारियों को दो या तीन कार्यालयों की जिम्मेदारी सौंपने से इनकी व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई हैं। कहीं अधिकारी अतिरिक्त भागदौड़ से बचने के चक्कर में प्रभार के कार्यालय जाते ही नहीं है या सप्ताह में एक-दो बार ही रस्मदायगी करते हैं। वहीं कुछ स्थानों में कार्रवाई का पावर न होने से या बाद की उलझनों को देखते हुए काम हाथ में लेने से पल्ला झाड़ लेते हैं।

इन दोनों ही वजहों से जनता से छोटे छोटे काम महीनों तक अटक रहे हैं। लोग दफ्तरों के चक्कर काटते रहते है और कभी अधिकारी न होने तो कभी उनके काम से संबंधित कार्रवाई का अधिकार न होने से उन्हें टाल दिया जाता है। ये हाल प्रदेश भर में है। 

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जिलों में पद भरने नहीं अधिकारी

प्रदेश के ज्यादातर जिलों में अधिकारियों की कमी है। कई जिलों में कलेक्टर कार्यालयों में प्रशानिक व्यवस्था संभालने अपर, संयुक्त और अतिरिक्त कलेक्टर के पद खाली हैं। तहसीलों में कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की भूमिका और राजस्व न्यायालय नायब तहसीलदार संभाल रहे हैं।

जनपदों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। सागर, दतिया, हरदा, सीधी सिंगरौली, श्योपुर, मऊगंज, डिंडोरी, देवास, छिंदवाड़ा, झाबुआ और उमरिया जैसे जिलों में एडीएम का दायित्व प्रभार पर है। कई जिलों में खनिज निरीक्षक ही खनिज अधिकारी की जिम्मेदारी उठा रहे हैं।

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नए जिलों में सबसे खराब स्थिति

मध्यप्रदेश के छोटे और नए जिलों में सरकार अब भी पूरा प्रशासनिक तंत्र स्थापित नहीं कर पाई है। कई जिला कार्यालय अब भी पुराने जिलों से है चल रहे हैं। मऊगंज, मैहर और पांढुर्णा को जिला तो बना दिया गया हैं लेकिन वहां अब तक ज्यादातर जिला कार्यालयों का सेटअप खड़ा नहीं हो सका है। इस वजह से अधिकारी अपडाउन ही कर रहे हैं। 

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यहां प्रभारियों के भरोसे ये पद 

  •  सागर की शाहपुर नगर परिषद में सहायक राजस्व निरीक्षक बालकिशन पटेल सीएमओ का पद संभाल रहे हैं।
  • रहली में महिला बाल विकास कार्यालय में परियोजना अधिकारी नहीं हैं और यह जिम्मेदारी सुपरवाइजर ममता खटीक को दी गई है।
  •  गढाकोटा में बाल विकास विभाग के ब्लॉक परियाेजना अधिकारी का प्रभार सुपरवाइजर जाग्रति पटेरिया के पास है।
  •  रहली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को बीएमओ न होने की वजह से मेडिकल ऑफिसर बसंत नेमा को प्रभार दिया गया है।
  • बिजली कंपनी के रहली ऑफिस में डीई के पद पर सब इंजीनियर प्रभार पर काम कर रहे हैं।
  •  ग्वालियर में हाउसिंग बोर्ड में उपायुक्त के पद का प्रभार कार्यपालन यंत्री को सौंपा है।
  • दतिया तहसीलदार जैसा प्रशासनिक पद प्रभारी संभाल रहे हैं, जबकि पीतांबरा पीठ के दर्शन के लिए यहां देश–दुनिया से लोग आते हैं और व्यवस्था संभालने प्रशासनिक अधिकारी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
  • सागर संभागीय मुख्यालय है लेकिन यहां भी तहसील को प्रभारी चला रहे हैं।
  • दतिया में महिला एवं बाल विकास अधिकारी का पद अरविंद उपाध्याय के पास है जबकि उनका मूल पद सीडीपीओ है। दस साल से वे प्रभारी हैं और दो-दो बार अपना ट्रांसफर रुकवा चुके हैं।
  • सेवढ़ा तहसीलदार का प्रभार नायब तहसीलदार रंजीत कुशवाहा के पास है जबकि वे पूर्व से इंदरगढ़ के प्रभारी तहसीलदार हैं।

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