मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित लालटिपारा आदर्श गौशाला ने एक अनोखी पहल करते हुए डेस्टिनेशन वेडिंग का आयोजन शुरू किया है। यह देश की पहली ऐसी गौशाला है, जहां शादी के आयोजन को भारतीय संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण और पारंपरिक रीति-रिवाजों से जोड़ा गया है। इस पहल का उद्देश्य आधुनिक दौर में युवाओं को अपनी जड़ों और संस्कारों से जोड़ना है।
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डेस्टिनेशन वेडिंग के प्रमुख आकर्षण
1. वैदिक रीति-रिवाज और मंत्रोच्चार
गौशाला में होने वाली शादी वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक भारतीय रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होगी। इसके लिए एक विशेष सांस्कृतिक मंडप बनाया जा रहा है, जिसकी लागत लगभग ₹20 लाख है। इस मंडप को प्राचीन भारतीय स्थापत्य शैली में डिजाइन किया गया है।
2. हरे चारे का भंडारा
शादी से पहले गौशाला में मौजूद गौवंशों को हरे चारे का भंडारा करवाना अनिवार्य होगा। यह परंपरा गौ माता के महत्व और भारतीय संस्कृति में पशुधन के प्रति आदरभाव को दर्शाती है।
3. दिन में होगा आयोजन
विवाह कार्यक्रम दिन के समय आयोजित होगा। संतों का कहना है कि मुगलों के शासन से पहले भारत में विवाह हमेशा दिन में ही होते थे। यह न केवल परंपरा का पालन है, बल्कि बिजली और अन्य खर्चों की बचत भी है।
4. मेहमानों की संख्या और खर्च
विवाह समारोह में अधिकतम 500 मेहमान शामिल हो सकते हैं।
पूरा आयोजन इको-फ्रेंडली होगा और इसका कुल खर्च लगभग ₹2-3 लाख आएगा।
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इको-फ्रेंडली पहल: पर्यावरण संरक्षण का संदेश
गौशाला में होने वाली डेस्टिनेशन वेडिंग को पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है।
मोटे अनाज से बने व्यंजन
• मेहमानों को मोटे अनाज (मिलेट्स) से बने पारंपरिक व्यंजन परोसे जाएंगे।
• फास्ट फूड और नशे पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।
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पत्तल और कुल्हड़ का उपयोग
खाने-पीने के लिए डिस्पोजल प्लास्टिक की जगह पत्तल और कुल्हड़ का उपयोग किया जाएगा।
कुटिया में ठहरने की व्यवस्था
• मेहमानों के लिए गौशाला परिसर में 35-40 कुटिया बनाई जा रही हैं।
• हर कुटिया में लगभग 10 लोग ठहर सकते हैं।
बैलगाड़ी और पालकी
• दुल्हन की विदाई के लिए बैलगाड़ी तैयार की गई है।
• वरमाला कार्यक्रम के लिए पालकी का उपयोग होगा।
सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
लालटिपारा गौशाला न केवल डेस्टिनेशन वेडिंग का आयोजन करती है, बल्कि यह कई अन्य सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी केंद्र है।
1. बायो सीएनजी प्लांट
गौशाला में स्थापित बायो सीएनजी प्लांट में गोबर से सीएनजी तैयार की जाती है। यह सीएनजी पहले नगर निगम के वाहनों में उपयोग की जाएगी और भविष्य में शहरवासियों को भी उपलब्ध करवाई जाएगी।
2. भंडारा और अन्य कार्यक्रम
यहां लोग अपने जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, और अन्य विशेष अवसरों पर गौवंशों के लिए भंडारा करवाते हैं।
3. शैक्षणिक भ्रमण
गौशाला में स्कूल के बच्चों के लिए समय-समय पर शैक्षणिक भ्रमण आयोजित किए जाते हैं, जिससे बच्चे भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ सकें।
विवाह का उद्देश्य
संत ऋषभ देवानंद महाराज के अनुसार, यह पहल भारतीय संस्कृति और गौ संरक्षण को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। आधुनिक समय में जहां विवाह आयोजन खर्चीले और दिखावे का केंद्र बन गए हैं, वहीं यह पहल सरल, पारंपरिक और पर्यावरण के अनुकूल विवाह को प्रोत्साहित करती है।
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