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मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला के मामले पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। यह जगह पिछले कुछ दशकों से विवाद का केंद्र रही है। अब 22 साल बाद, हिंदू समाज न्याय की दिशा में निर्णायक कदम उठाने की तैयारी में है। धार भोजशाला के सर्वे में 94 सनातनी मूर्तियां मिली थीं। जिसके बाद से हिंदू समाज भोजशाला पर पूर्ण अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है।
भोजशाला में 22 साल पहले क्या हुआ था
22 साल पहले, 8 अप्रैल 2003 को धार की भोजशाला में ताले खोले गए थे, लेकिन इससे पहले, 1997 में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा हिंदू समाज के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद हिंदू समुदाय ने निरंतर संघर्ष किया और इसी संघर्ष के कारण 2003 में ताले खोले गए। इस संघर्ष के पीछे लाखों हिंदू भक्तों की अस्मिता और आस्था जुड़ी हुई थी, जो आज भी जीवित है। अब, इस घटना की 22वीं वर्षगांठ पर, हिंदू समाज का उत्साह अपने चरम पर है।
आज सत्याग्रह और उत्सव का आयोजन
8 अप्रैल 2003 को ताले खुलने के बाद, आज उसी दिन को हिंदू समाज पूर्ण मुक्ति का संकल्प लेते हुए मनाएगा। इस बार, यह आयोजन विशेष रूप से ऐतिहासिक होगा क्योंकि इस दिन का मंगलवार होना इसे और भी खास बना देगा।
1997 में प्रतिबंध, 2002 में एक बड़ा आंदोलन
धार भोजशाला पर अधिकार के लिए हिंदू समाज का संघर्ष अब न्यायालय में भी जारी है। 1997 में हिंदू समाज के प्रवेश पर प्रतिबंध के बाद, 2002 में एक बड़ा आंदोलन हुआ, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी और 2000 से अधिक लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई। इसके बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने आदेश दिया कि भोजशाला में पूजा-अर्चना मंगलवार को होगी, जबकि साल में एक बार बसंत पंचमी पर विशेष पूजा आयोजित की जाएगी।
ASI सर्वे में मिली 94 मूर्तियां
हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा भोजशाला का सर्वेक्षण किया गया है। जिसमें 94 सनातनी मूर्तियां और 1700 अवशेष पाए गए थे। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जहां 2024 के मार्च में एएसआई की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। अब अप्रैल में इस मामले पर सुनवाई प्रस्तावित है।
क्या है आगे की राह
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से कानूनी संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। बता दें कि भोजशाला को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 22 मार्च 2024 से सर्वेक्षण कार्य शुरू किया था, जो करीब 100 दिन तक चला। इसके पश्चात एएसआई ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। फिलहाल इस रिपोर्ट के अमल पर उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाई गई है। अब इस रोक को हटाने के लिए अप्रैल माह में सुनवाई प्रस्तावित है।
याचिकाकर्ता आशीष गोयल सहित अन्य संबंधित पक्ष अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस का यह भी कहना है कि भोजशाला पर धर्मस्थल उपासना अधिनियम लागू नहीं होता, इसलिए इस मामले की सुनवाई इंदौर हाईकोर्ट में की जानी चाहिए
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