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INDORE. अयोध्या में श्रीराम मंदिर में मंगलवार (25 नवंबर) को ध्वजारोहण का कार्यक्रम हुआ। इसे श्रीराम मंदिर की पूर्णता का प्रतीक माना गया। वहीं राम मंदिर के निर्माण को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इसमें गुरुवार (27 नवंबर) को सुनवाई होना है। सिंह खुद अपनी ओर से पैरवी करेंगे।
याचिका में इन सभी को बनाया गया पक्षकार
पूर्व सीएम सिंह ने इस मामले में याचिका दायर की है। इसमें मध्यप्रदेश शासन, पीएस गृह विभाग, डीजीपी के साथ ही इंदौर, उज्जैन, मंदसौर कलेक्टर व एसपी को पक्षकार बनाया है।
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यह गंभीर आरोप लगाए दान संग्रह में
सिंह ने याचिका में इंदौर, उज्जैन और मंदसौर में दिसंबर 2020 के दौरान हुई घटनाओं के उदाहरण दिए हैं। उन्होंने एफआईआर और अन्य प्रमाणों के साथ आरोप लगाए हैं। सिंह ने कहा है कि श्रीराम मंदिर के पवित्र निर्माण कार्य के दौरान दान संग्रह किया गया। इस दौरान कुछ संगठनों के जरिए इंदौर, उज्जैन व मंदसौर में इसकी आड़ में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं।
इससे शांति-सद्भाव खत्म हुआ और संपत्तियों का नुकसान हुआ। सिंह ने कहा कि हम राम मंदिर निर्माण के पवित्र कार्य का समर्थन करते हैं, लेकिन फंड कलेक्शन स्वैच्छिक होना चाहिए।
दान देने के लिए अल्पसंख्यक वर्ग पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए और न ही धमकाया जाना चाहिए। दान देने की आड़ में कुछ संगठनों ने अल्पसंख्यक वर्ग को टारगेट किया। धन संग्रह रैलियों के दौरान आयोजकों के जरिए सुनियोजित तरीके से हिंसा फैलाने का काम किया।
वहीं, इसके बाद भी अधिकारियों ने लापरवाही बरती और कोई कार्रवाई नहीं की। इस मामले में शासन को भी रिप्रेजेंटेशन दिया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसलिए याचिका दायर की गई है।
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पूर्व सीएम ने याचिका में माब लिंचिंग रोकने की मांग
पूर्व सीएम सिंह ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट के तीन फैसलों का हवाला दिया है। उन्होंने इन फैसलों को एमपी में लागू करने की मांग की है। खासकर माब लिंचिंग और माब वायलेंस पर यह मांग की गई है। सिंह ने कहा कि धार्मिक रैलियों और जुलूसों के दौरान शांति बनाए रखने के लिए कदम उठाए जाएं। इसके लिए हर जिले में नोडल पुलिस अधिकारी और टास्क फोर्स होनी चाहिए। यह टास्क फोर्स इंटेलिजेंस की निगरानी करे और हेट स्पीच पर नजर रखे।
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इंदौर के इस विवाद का उदाहरण दिया
याचिका में सिंह ने इंदौर के चंदनखेड़ी विवाद का उदाहरण दिया है। उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर 2020 को विवाद हुआ था। इस दौरान लोग पूर्व विधायक मनोज चौधरी के नेतृत्व में हथियारों के साथ निकले थे। तलवार, स्टिक और अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। अल्पसंख्यकों पर हमले किए गए थे। हालांकि, पुलिस और प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
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