खनिज अधिकारी संजय लुणावत ट्रांसफर होकर इंदौर पदस्थ होने के बाद से ही लगातार चर्चा में बने हुए थे। वहीं अब उनके साथ ही सहायक खनिज अधिकारी जयदीप नामदेव के भी कारनामे सामने आने लगे हैं। नामदेव को कुछ लोगों की गाडियां छोड़ने और इसी तरह के मामले में कुछ जब्त करने को लेकर गंभीर आरोप लगे थे। इसमें संभागायुक्त दीपक सिंह कोर्ट से उन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा गया था। लेकिन उनका जवाब सही नहीं माना गया है।
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यह लगे नामदेव पर आरोप
संभागायुक्त दीपक सिंह की कोर्ट में याचिका लगाने वाले पीड़ित अभिषेक चौहान ने आरोप लगाए हैं कि नामदेव ने 20 फरवरी 2024 को नामदेव द्वारा कार्रवाई करते हुए एक पोकलेन मशीन और 6 डंपर पकड़े थे। लेकिन इसमें से नामदेव ने केस बनाकर 1 पोकलेन मशीन, चार डंपर मिलाकर कुल पांच वाहन वापस वाहन चालकों की सुपुर्दगी में सौंप दिए। लेकिन हमारे दो डंपर सुपुर्द नहीं किए। वहीं कार्रवाई करने के चार महीने बाद 24 जून को रिपोर्ट और केस कलेक्टर कार्यालय (खनिज शाखा) में भेजा गया। इसमें चार महीने की देरी की गई।
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संभागायुक्त ने जारी किया नोटिस
इस मामले को संज्ञान में लेते हुए संभागायुक्त सिंह की कोर्ट से नामदेव को नोटिस कर 18 नवंबर के पेश होकर जानकारी देने के लिए कहा गया है। इसमें है कि फरियादी द्वारा कहा गया है कि यह पूरी कार्रवाई भेदभाव पूर्ण तरीके से हुई। एक पोकलेन व चार डंपर गणेश चौहान को सुपुर्द कर दिए गए लेकिन उनके दो डंपर नहीं दिए गए और इन्हें धरमपुरी पुलिस चौकी पर खड़ा करा दिया गया। जबकि सभी वाहनों पर एक जैसा ही प्रकरण था।
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नामदेव का जवाब और संभागायुक्त की कार्रवाई
इस मामले में नामदेव ने कहा था कि केस पेश करने में इसलिए देर हुई क्योंकि अन्य विभागों से पत्राचार में समय लगा। वहीं अन्य वाहनों को सुपुर्दगी में देने व पक्षकार के दोनों वाहनों को चौकी पर रखवाने का उचित कारण था और विधिक कार्रवाई की गई। संभागायुक्त ने इन जवाब को समाधान कारक नहीं माना है और उन पर कार्रवाई के लिए स्थापना विभाग को पत्र लिख दिया है।
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स्थापना विभाग करेगा कार्रवाई
अब नामदेव पर संभागायुक्त के पत्र के आधार पर स्थापना विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी। इसके पहले जब लुणावत इंदौर में पदस्थ नहीं थे तब नामदेव के पास प्रभार था और उन पर कई जगह उचित कार्रवाई नहीं करने और पक्षपात पूर्ण कार्रवाई करने के आरोप लग चुके हैं। वहीं लुणावत ठेकेदार पीडी अग्रवाल की कार को घूमने को लेकर चर्चा में आ चुके हैं, द सूत्र की न्यूज के बाद वह कार आखिरकार लौटा दी गई। लेकिन लुणावत ने ठेकेदार अग्रवाल के खिलाफ वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर भी कोई जांच रिपोर्ट नहीं बनाई है। उनकी पदस्थापना का मामला भी हाईकोर्ट में चल रहा है, जिसमें हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह का समय देकर शासन से जवाब मांगा है।
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