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Photograph: (The Sootr)
JABALPUR.मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलाने का झांसा देकर 54 लाख रुपए की ठगी करने वाले गिरोह का एक और सदस्य आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। फरार चल रहा आरोपी शंकर लाल गुर्जर को मुंबई से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर 1 लाख 5 हजार रुपए नकद और जरूरी दस्तावेज जब्त किए हैं। आरोपी को 21 जुलाई को कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड में लिया गया।
फोन कॉल से शुरू हुई जबलपुर में ठगी की कहानी
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब जबलपुर की अर्चना शर्मा को एक फोन कॉल आया। फोन करने वाले ने खुद को सानू बंसल वर्मा बताया और कहा कि वह "पैसिफिक एजुकेशन, मुंबई" में काम करता है और NEET PG क्वालिफाइड छात्रों को प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सीट दिलाने में मदद करता है। अर्चना शर्मा के बेटे सिद्धार्थ शर्मा ने जब NEET PG 2023 पास किया, तो सानू ने देहरादून के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एडमिशन दिलाने का दावा किया।
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WhatsApp पर सीटों की लिस्ट, कॉलेजों की फीस बताकर झांसे में लिया
सानू ने WhatsApp पर मेडिकल कॉलेजों की सीटों की उपलब्धता, फीस स्ट्रक्चर और एडमिशन की प्रक्रिया को लेकर तमाम जानकारियां भेजीं। ये जानकारियां इतनी सटीक थीं कि अर्चना शर्मा को यकीन हो गया कि सबकुछ असली है। इसके बाद उन्होंने हिमालयन कॉलेज की MD मेडिसिन सीट के लिए गाइडेंस मांगा, जिसके लिए सानू ने 26 लाख रूपए सालाना फीस बताई। एडमिशन के नाम पर ठगी
5 पॉइंट्स में समझें मेडिकल सीट के नाम पर लाखों की ठगी का मामला👉 जबलपुर की अर्चना शर्मा को मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलाने का झांसा देकर 54 लाख रुपए की ठगी करने वाले गिरोह के एक और सदस्य, शंकर लाल गुर्जर को मुंबई से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर 1.05 लाख रुपए नकद और दस्तावेज जब्त किए हैं। 👉 ठगी की शुरुआत तब हुई जब अर्चना शर्मा को फोन आया, जिसमें सानू बंसल वर्मा ने खुद को "पैसिफिक एजुकेशन, मुंबई" का कर्मचारी बताया। उसने अर्चना के बेटे को देहरादून के हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में एडमिशन दिलाने का वादा किया। 👉 सानू ने WhatsApp पर मेडिकल कॉलेजों की सीटों, फीस और एडमिशन प्रक्रिया की जानकारी भेजी। इस जानकारी के आधार पर अर्चना को यकीन हो गया कि यह सब असली है और उन्होंने 26 लाख रुपए सालाना फीस पर एडमिशन के लिए राशि ट्रांसफर की। 👉 सानू ने शुरुआत में ₹99,000 रजिस्ट्रेशन के नाम पर मांगे और फिर धीरे-धीरे ₹54 लाख रुपए UPI और बैंक खातों के जरिए ट्रांसफर करवा लिए। जब एडमिशन नहीं हुआ, तो सानू ने फोन उठाना बंद कर दिया। 👉 पहले ही दो आरोपी गिरफ्तार हो चुके थे। तीसरे आरोपी शंकर लाल गुर्जर को मुंबई से गिरफ्तार किया गया, और उसकी निशानदेही पर ₹1.05 लाख नकद, रजिस्टर और बिल रजिस्टर जब्त किए गए। पुलिस अब उसकी पूछताछ कर रही है और अन्य ठगी के मामलों का खुलासा होने की संभावना है। |
54 लाख रुपए ट्रांसफर कराने के बाद सानू गायब
सानू बंसल वर्मा ने शुरुआत में 99,000 रुपए रजिस्ट्रेशन के नाम पर मांगे। फिर धीरे-धीरे UPI और बैंक खातों के जरिए ₹54 लाख रुपए ट्रांसफर करवा लिए। ये पैसे सानू बंसल के एक्सिस बैंक अकाउंट और एक अन्य आरोपी विवेक कुमार के इंडियन ओवरसीज बैंक अकाउंट में गए। जब काफी समय बाद भी एडमिशन नहीं हुआ तो पीड़ित ने संपर्क किया, लेकिन सानू ने टालमटोल की और बाद में फोन उठाना बंद कर दिया।
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दो आरोपी पहले ही हो चुके हैं गिरफ्तार
शिकायत पर गोरखपुर थाने में IPC की धाराओं 420, 120B, 409, 467, 468, 471 के तहत FIR दर्ज कर जांच शुरू की गई। पुलिस ने पहले ही सानू बंसल वर्मा और विकासचंद्र मिश्रा को गिरफ्तार कर 50 हजार रूपए नकद, मोबाइल और दस्तावेज जब्त किए थे। दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेजा गया था।
मुंबई में दबिश देकर पकड़ा गया तीसरा आरोपी
गिरोह का तीसरा सदस्य शंकर लाल गुर्जर, जो काफी समय से फरार चल रहा था, उसकी लोकेशन मुंबई में ट्रेस हुई। इसके बाद क्राइम ब्रांच और थाना गोरखपुर की संयुक्त टीम ने मुंबई जाकर उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में शंकर लाल ने ठगी में अपनी भूमिका कबूली और उसकी निशानदेही पर ₹1.05 लाख नकद, एक रजिस्टर और एक बिल रजिस्टर बरामद किया गया।
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इन पुलिसकर्मियों ने ऑपरेशन को दिया अंजाम
फरार आरोपी को पकड़ने में थाना प्रभारी गोरखपुर नितिन कमल, थाना प्रभारी अपराध शैलेष मिश्रा, सायबर सेल प्रभारी भूपेंद्र आर्मो, उप निरीक्षक दुर्गेश मरावी, आरक्षक भगवान सिंह पटैल और जितेन्द्र राऊत की विशेष भूमिका रही। पूरी कार्रवाई पुलिस अधीक्षक सम्पत उपाध्याय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आनंद कलादगी और सीएसपी उदयभान सिंह बागरी के निर्देशन में हुई।
पूछताछ में हो सकते हैं और भी बड़े खुलासे
गिरफ्तार शंकर लाल को 21 जुलाई 2025 को न्यायालय में पेश किया गया और पुलिस रिमांड ने उसे रिमांड पर लिया है ताकि और ठगी के मामलों की परतें खुल सकें। आशंका है कि यह गिरोह कई राज्यों में इसी तरह लोगों को चूना लगा चुका है।
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