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मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में ई-कैबिनेट (E-Cabinet) व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे प्रशासनिक कार्य पूरी तरह से डिजिटल और पेपरलेस (Paperless) हो जाएंगे। यह पहल राज्य को डिजिटल प्रशासन (Digital Administration) के क्षेत्र में आगे ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
ई-कैबिनेट की शुरुआत करने वाला दूसरा राज्य
देश में उत्तराखंड (Uttarakhand) के बाद मध्य प्रदेश दूसरा राज्य है, जिसने ई-कैबिनेट व्यवस्था लागू की है। इस प्रणाली के तहत मंत्रियों को प्रस्ताव ऑनलाइन भेजे जाएंगे और सभी प्रशासनिक प्रक्रियाएं डिजिटल तरीके से संचालित होंगी।
डिजिटल प्रशिक्षण
ई-कैबिनेट व्यवस्था के सुचारु संचालन के लिए, राष्ट्रीय सूचना केंद्र (National Informatics Centre) द्वारा विकसित पोर्टल का उपयोग किया जाएगा। दिसंबर 2024 में 28 विभागों के उप सचिव, अवर सचिव, और कर्मचारियों को इस प्रणाली के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा, मंत्रिपरिषद के सदस्यों के निजी स्टाफ को भी डिजिटल कामकाज का प्रशिक्षण दिया गया।
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ऐसे होंगे प्रशासनिक सुधार और लाभ
ई-कैबिनेट व्यवस्था से कई लाभ होंगे:
- दक्षता में वृद्धि:सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन होने से निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी।
- पारदर्शिता: पेपरलेस कामकाज से फाइल ट्रैकिंग और निगरानी आसान होगी।
- लचीलापन: मंत्री कहीं से भी वर्चुअल रूप से बैठक में भाग ले सकते हैं।
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प्रारंभिक चरण
शुरुआत में प्रस्ताव और दस्तावेज भौतिक रूप से भी मौजूद रहेंगे, लेकिन बाद में यह पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय समेत कई विभाग पहले ही ई-फाइलिंग (E-Filing) को अपना चुके हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम राज्य को आधुनिक प्रशासनिक तकनीकों के मामले में अग्रणी बना सकता है।
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