ED की जांच शुरू होने से आबकारी सहायक आयुक्त दुबे सहित 6 अधिकारियों और शराब ठेकेदारों की बढ़ी मुश्किलें

मध्यप्रदेश के इंदौर में 3 साल से अधिक समय से जमे 20 अधिकारियों और बाबुओं का ट्रांसफर कर दिया था। हालांकि, सभी अधिकारी बहाल हो गए हैं और इन सभी की विभागीय जांच चल रही है। इस जांच को रोकने के लिए दुबे हाईकोर्ट भी गए थे...

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर आबकारी विभाग में 2017 में हुए 42 करोड़ के घोटाले जो अब 71 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है, की जांच ईडी (ED) इंदौर ने हाथ में ले ली है। इसके बाद अब इस घटना के चलते उस समय सस्पेंड हुए सहायक आयुक्त आबकारी संजीव दुबे सहित आधा दर्जन अधिकारी मुश्किल में आ गए हैं। साथ ही 14 शराब ठेकेदार भी घिर गए हैं। 

यह अधिकारी घिरे हैं घोटाले की जांच में 

घोटाला उजागर होने पर विभाग ने तत्कालीन उपायुक्त विनोद रघुवंशी को ट्रासंफर कर दिया था। साथ ही सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे, लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता को सस्पेंड किया था। साथ ही इंदौर में 3 साल से अधिक समय से जमे 20 अधिकारियों और बाबुओं का ट्रांसफर कर दिया था। हालांकि, सभी अधिकारी बहाल हो गए हैं और इन सभी की विभागीय जांच जारी है। इस जांच को रोकने के लिए दुबे हाईकोर्ट भी गए थे, लेकिन हाईकोर्ट ने साफ आदेश दिए कि उनकी संलप्तिता से इंकार नहीं किया जा सकता है इसलिए जांच जारी रहेगी। 

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ईडी यह कर रहा है

ईडी ने इसमें जांच शुरू करते हुए सबसे पहले ग्वालियर आबकारी आयुक्त से केस से जुड़ी कई जानकारियां मांगी है। रावजी बाजार पुलिस स्टेशन में केस नंबर 172/2017 के तहत 11 अगस्त 2017 को यह केस दर्ज हुआ है। ईडी ने मांगा है कि...

  1. सभी ठेकेदारों की जानकारी जिनके कारण मप्र शासन को नुकसान हुआ
  2. अभी तक किस आरोपी से कितनी राशि रिकवर हुई इसकी जानकारी
  3. इन सभी ठेकेदारों के खातों की जानकारी
  4. अभी तक केस की स्थिति की अपडेट
  5. विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट जो अधिकारियों को लेकर की गई है

घोटाले में केवल 22 करोड़ की राशि ही वसूल कर सका था विभाग

इस मामले में घोटाले सामने आने के बाद विभाग ने ठेकेदारों से वसूली की कार्रवाई शुरू की थी लेकिन आबकारी विभाग सब प्रयासों के बाद भी केवल 22 करोड़ के करीब ही राशि वसूल कर सका था। इसमें आरोप लगे थे कि विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत कर ठेकेदारों को इसमें लाभ पहुंचाया है। इसमें 14 शराब ठेकेदार भी आरोपी बने थे।

इस तरह किया गया खेल

इस खेल में चालानों में राशि का हेरफेर कर घोटाला किया गया। यह साल 2014 से 2017 के बीच हुआ। यदि चालान एक हजार का है तो इसे एक लाख बताकर दिखाया गया और शराब उठाई गई। इस तरह सैंकड़ों चालानों के जरिए यह फर्जीवाडा किया गया और नीचे से लेकर ऊपर तक आबकारी अधिकारियों ने कभी चालानों को चेक तक नहीं किया।

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