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Photograph: (THESOOTR)
INDORE. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), इंदौर ने मप्र के सबसे बड़े शराब फर्जी चालान घोटाले की जांच के सिलसिले में ठेकेदार अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को गिरफ्तार करने के बाद अधिकारियों की ओर जांच की दिशा मोड़ दी है। इस संबंध में 'द सूत्र' ने पहले ही खबर दी थी ठेकेदारों के बाद अब नंबर अधिकारियों का है।
एसी दुबे को ईडी ने बुलाया, पूछताछ होने की खबर
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में ईडी ने तत्कालीन इंदौर सहायक आयुक्त और वर्तमान में जबलपुर में पदस्थ संजीव दुबे को पूछताछ के लिए बुलाया है। मंगलवार कोे ईडी आफिस में यह पूछताछ होने की बात कही जा रही है।
हालांकि, ईडी अधिकारियों ने इसकी औपचारिक पुष्टि नहीं की है और 'द सूत्र' ने संजीव दुबे को भी कई बार फोन किए, लेकिन उनका कोई रिस्पांस नहीं आया है। बताया जा रहा है कि घोटाले को लेकर पूछताछ की गई।
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इस मामले में अन्य को भी समन जारी
तत्कालीन इंदौर सहायक आयुक्त आबकारी संजीव दुबे के साथ लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता भी इस मामले में उलझे हुए हैं और सस्पेंड भी हो चुके हैें।
जानकारी के अनुसार इन सभी को ईडी ने पूछताछ के लिए समन जारी कर दिया है। हालांकि आगे किन अधिकारियों की इसमें गिरफ्तारी होगी या नहीं होगी अभी साफ नहीं है। इसी मामले में तब शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 20 अन्य अधिकारियों के तबादले भी किए थे, जिनमें उपायुक्त विनोद रघुवंशी भी थे।
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71 करोड़ का ऐसे है यह घोटाला
ईडी (ED) ने इंदौर का आबकारी घोटाला में कुछ शराब ठेकेदारों के खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत इंदौर के रावजी पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। इसमें कथित तौर पर सरकारी ट्रेजरी के माध्यम से राज्य के खजाने को लगभग 49.42 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, बाद में जब शासन स्तर पर इसकी जांच हुई तो यह घोटाला 71 करोड़ तक पहुंच गया। हाल ही में इसी घोटाले में ईडी ने अधिकारियों के यहां भी दबिश दी थी।
ईडी ने यह बताया
ईडी ने बताया कि जांच में धोखाधड़ी योजना का पर्दाफ़ाश हुआ है जिसमें आरोपी ठेकेदारों ने शुरुआत में नाममात्र राशि वाले ट्रेजरी चालान जमा किए, लेकिन जानबूझकर "रुपए में शब्द" वाला भाग खाली छोड़ दिया। जमा करने के बाद, उन्होंने धोखाधड़ी से अंकों और शब्दों, दोनों में बढ़ा-चढ़ाकर राशि भर दी।
चालान की इन नकली प्रतियों को बाद में देशी शराब के गोदामों या जिला आबकारी कार्यालयों (विदेशी शराब के मामले में) में आबकारी शुल्क, मूल लाइसेंस शुल्क, या न्यूनतम गारंटी प्रतिबद्धताओं के भुगतान के झूठे प्रमाण के रूप में जमा किया गया। इन जाली दस्तावेज़ों के आधार पर, आरोपियों ने अवैध अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) और शराब लाइसेंस अनुमोदन प्राप्त किए, जिससे राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी की गई।
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अंश और राजू की भूमिका
ईडी ने बताया कि अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत दोनों की पहचान मुख्य षड्यंत्रकारियों के रूप में हुई है, जिन्होंने इस धोखाधड़ी को रचा और उसे अंजाम दिया। इससे शराब ठेकेदारों को अवैध रूप से मुनाफ़ा कमाने में मदद मिली और राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। दोनों आरोपियों को माननीय मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया और उन्हें 08-10-2025 तक की हिरासत में भेज दिया गया है।
पहले भी हुई थी कार्रवाई
इस घोटाले को लेकर 12 अगस्त 2017 को रावजी बाजार पुलिस स्टेशन में 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। तब विभाग ने भी आबकारी विभाग के कई अधिकारियों को सस्पेंड किया। इनकी विभागीय जांच अभी भी जारी है। हालांकि, बाद में कई को बहाल कर दिया गया। आरोप है कि आबकारी विभाग के अफसरों को हर 15 दिन में चालान को क्रॉस चेक करना (तौजी मिलान) होना था, लेकिन उन्होंने तीन साल तक ऐसा नहीं किया। इसमें सांठगांठ का संदेह गया और अधिकारियों पर भी गाज गिरी।
तब तत्कतालीन सहायक आयुक्त इंदौर संजीव कुमार दुबे के साथ लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता को सस्पेंडज किया गया और साथ ही 20 अन्य अधिकारियों के तबादले भी किए थे, जिनमें उपायुक्त विनोद रघुवंशी भी थे।
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ईडी इंदौर में मार चुकी है छापे
इसके पहले ईडी 28 अप्रैल को इदौर में 18 जगह पर छापे मार चुकी है। तब ईडी की टीम एमजी रोड समूह के शराब ठेकेदार अविनाश और विजय श्रीवावस्तव, जीपीओ चौराहा के राकेश जायसवाल, तोपखाना समूह के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा राहुल चौकसे, गवली पलासिया समहू के सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर गई थी।
मंदसौर में डीईओ दांगी पर भी मारा था छापा
साथ ही ईडी ने सितंबर माह में ही मध्यप्रदेश के मंदसौर में डीईओ बीएल दांगी के यहां दबिश दी थी। तब खबर आई थी कि इस घोटाले के मुख्य आरोपी राजू दशवंत के साथ दांगी के करीबी संबंधों की जानकारी ईडी को मिली थी। यह जानकारी दशवंत के यहां अप्रैल में मारे गए छापे से सामने आई थी।