इंदौर ED ने 71 करोड़ के आबकारी घोटाले में दो ठेकेदारों को किया गिरफ्तार, कई अधिकारी भी राडार पर

ईडी इंदौर ने मप्र के सबसे बड़े शराब फर्जी चालान घोटाले में ठेकेदार अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को गिरफ्तार किया। इस घोटाले में सरकारी ट्रेजरी के माध्यम से राज्य के खजाने को 49.42 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था, जो बाद में बढ़कर 71 करोड़ हो गया।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (thesootr)

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INDORE. ईडी इंदौर ने मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शराब फर्जी चालान घोटाले की जांच के सिलसिले में ठेकेदार अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने कुछ शराब ठेकेदारों के खिलाफ आईपीसी, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत इंदौर के रावजी पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। इसमें कथित तौर पर सरकारी ट्रेजरी के माध्यम से राज्य के खजाने को लगभग 49.42 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था। हालांकि बाद में जब शासन स्तर पर इसकी जांच हुई तो यह घोटाला 71 करोड़ तक पहुंच गया। हाल ही में इसी घोटाले में ईडी ने अधिकारियों के यहां भी दबिश दी थी। 

ईडी ने यह बताया

ईडी ने बताया कि जांच में धोखाधड़ी योजना का पर्दाफाश हुआ है जिसमें आरोपी ठेकेदारों ने शुरुआत में नाममात्र राशि वाले ट्रेजरी चालान जमा किए, लेकिन जानबूझकर "रुपए में शब्द" वाला भाग खाली छोड़ दिया। जमा करने के बाद, उन्होंने धोखाधड़ी से अंकों और शब्दों, दोनों में बढ़ा-चढ़ाकर राशि भर दी।

चालान की इन नकली प्रतियों को बाद में देशी शराब के गोदामों या जिला आबकारी कार्यालयों (विदेशी शराब के मामले में) में आबकारी शुल्क, मूल लाइसेंस शुल्क, या न्यूनतम गारंटी प्रतिबद्धताओं के भुगतान के झूठे प्रमाण के रूप में जमा किया गया। इन जाली दस्तावेज़ों के आधार पर, आरोपियों ने अवैध अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) और शराब लाइसेंस अनुमोदन प्राप्त किए, जिससे राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी की गई। 

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अंश और राजू की भूमिका

ईडी ने बताया कि अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत दोनों की पहचान मुख्य षड्यंत्रकारियों के रूप में हुई है, जिन्होंने इस धोखाधड़ी को रचा और उसे अंजाम दिया। इससे शराब ठेकेदारों को अवैध रूप से मुनाफ़ा कमाने में मदद मिली और राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। दोनों आरोपियों को माननीय मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया और उन्हें 08-10-2025 तक की हिरासत में भेज दिया गया है।

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पहले भी हुई थी कार्रवाई

इस घोटाले को लेकर 12 अगस्त 2017 को रावजी बाजार पुलिस स्टेशन में 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। तब विभाग ने भी आबकारी विभाग के कई अधिकारियों को सस्पेंड किया। इनकी विभागीय जांच अभी भी जारी है। हालांकि बाद में कई को बहाल कर दिया गया। आरोप है कि आबकारी विभाग के अफसरों को हर 15 दिन में चालान को क्रॉस चेक करना (तौजी मिलान) होना था, लेकिन उन्होंने तीन साल तक ऐसा नहीं किया। 

इसमें सांठगांठ का संदेह गया और अधिकारियों पर भी गाज गिरी। तब तत्कतालीन सहायक आयुक्त इंदौर संजीव कुमार दुबे के साथ लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता को सस्पेंडज किया गया और साथ ही 20 अन्य अधिकारियों के तबादले भी किए थे, जिनमें उपायुक्त विनोद रघुवंशी भी थे।

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