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Photograph: (thesootr)
Barwani. मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले की भावना प्रकाश जगदाले ने अपने कठिन परिश्रम और समर्पण से एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है। छोटे से गांव जलगोन से निकलकर उसने मिशन शक्तिसैट में चयन प्राप्त किया है, जहां वह सैटेलाइट डिजाइनिंग का काम करेंगी। इस सफलता से उसका परिवार और पूरा प्रदेश गर्व महसूस कर रहा है।
प्रारंभिक शिक्षा और उपलब्धियां
भावना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर पानसेमल से की थी और 2024-2025 में कक्षा 10वीं में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त कर विद्यालय में टॉप किया था। वर्तमान में वह बड़वानी केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 11 में साइंस विषय से पढ़ाई कर रही हैं। उनका चयन स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा आयोजित ऑनलाइन परीक्षा के माध्यम से हुआ था। इस परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने के बाद उनका चयन प्रदेश की 20 छात्राओं में किया गया, जो अब स्पेस डिजाइनिंग के कार्य में भाग लेंगी।
120 घंटे का ऑनलाइन प्रशिक्षण
मिशन शक्तिसैट के अंतर्गत, छात्राओं को सैटेलाइट डिजाइन, निर्माण, परीक्षण, और प्रक्षेपण की बारीकियों को सीखने का अवसर मिल रहा है। इस कार्यक्रम का नेतृत्व स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा किया जा रहा है, जो 108 देशों से 12,000 बालिकाओं को प्रशिक्षण दे रहा है। छात्राओं को इस मिशन के अंतर्गत 120 घंटे का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे अपने कौशल को बेहतर बना रही हैं।
मिशन शक्तिसैट की सफलता
मिशन शक्तिसैट एक बड़ा कदम है जो विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में प्रशिक्षित कर रहा है। इस मिशन में शासकीय स्कूलों से प्रतिभावान छात्राओं का चयन किया गया है, जिससे भारत में महिला वैज्ञानिकों की संख्या में वृद्धि हो सके। यह कार्यक्रम न केवल युवाओं के लिए एक अवसर है, बल्कि यह देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिला सहभागिता को भी बढ़ावा दे रहा है।
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क्या है मिशन शक्तिसैट?
मिशन शक्तिसैट स्पेस किड्ज इंडिया और एसकेआई स्टार फाउंडेशन का प्रोजेक्ट है। यह दुनिया का पहला मिशन है, जो पूरी तरह से युवा महिलाओं द्वारा सोचा, डिजाइन और चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य 108 देशों के 12,000 छात्रों को जोड़ना है। ये छात्र मिलकर चंद्रमा की सतह पर एक अंतरिक्ष यान डिजाइन, बनाएंगे और भेजेंगे। यह मिशन केवल तकनीक का काम नहीं, बल्कि वैश्विक एकता, विज्ञान की प्रगति और युवाओं की ताकत का प्रतीक है। डॉ. केसन कहती हैं कि यह मिशन लड़कियों को आगे लाकर दिखाता है कि अवसर मिलने पर वे क्या-क्या कर सकती हैं। भारत के लिए यह विशेष है, क्योंकि मध्य प्रदेश की कई लड़कियां पहली पीढ़ी की लर्नर हैं। वे गांवों से आई हैं और अब ऑर्बिटल मैकेनिक्स, सैटेलाइट पार्ट्स और कोडिंग सीख रही हैं।
राष्ट्रपति भवन में सम्मान
मध्य प्रदेश की इन होनहार छात्राओं को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर ने सम्मानित किया। भावना ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता, राधा जगदाले और प्रकाश जगदाले, और चाचा विजय जगदाले ने हमेशा शिक्षा के प्रति प्रेरित किया। उन्होंने यह उपलब्धि उनके मार्गदर्शन में हासिल की। भावना ने कहा कि उनके गुरु सदानंदजी शास्त्री के आशीर्वाद से यह सफर संभव हुआ।