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MP NEWS: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), इंदौर ऑफिस द्वारा सोमवार को शराब ठेकेदारों के यहां छापे मारे गए। इसमें भोपाल, इंदौर, मंदसौर आदि में विभिन्न शराब ठेकेदारों से संबंधित 13 परिसरों पर तलाशी अभियान चलाया। इस सर्च अभियान को लेकर ईडी ने मंगलवार शाम को औपचारिक सूचना जारी साझा की। इसमें बताया गया कि ईडी के तलाशी अभियान के दौरान, 7.44 करोड़ रुपए जब्त हुए और बैंक खातों में कुल 71 लाख रुपए की राशि और बैंक लॉकर फ्रीज कर दिए गए। इसके अलावा, तलाशी के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज भी पाए गए और जब्त किए गए। सूत्रों के अनुसार यह जब्त 7.44 करोड़ की राशि भोपाल में एक डिस्लरी संचालक के दफ्तर से मिली है, हालांकि ईडी ने अपनी जानकारी में औपचारिक तौर पर यह नहीं बताया कि किसके यहां से क्या मिला है।
ED, Indore Sub-zonal Office has conducted search operations on 28/04/2025 at 13 premises belonging to different liquor contractors in the state of MP at Bhopal, Indore, Mandsaur, etc. During the search operations, various incriminating documents, documents pertaining to immovable…
— ED (@dir_ed) April 29, 2025
ईडी ने यह भी जानकारी बताई
ईडी ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत इंदौर के रावजी पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की, जिसमें ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेरफेर के माध्यम से 49.42 करोड़ रुपए (लगभग) के सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने और वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्तीय वर्ष 2017-18 की अवधि के दौरान शराब के अधिग्रहण के लिए अवैध रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था।
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ईडी ने जांच में पाया इस तरह किया फर्जीवाड़ा
ईडी की जांच में पता चला कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा कर देते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में "रुपए अंकों में" और "रुपए शब्दों में" लिखा होता था। मूल्य अंकों में भरा जाता था, लेकिन "रुपए शब्दों में" के बाद रिक्त स्थान छोड़ दिया जाता था। राशि जमा करने के बाद जमाकर्ता बाद में उक्त रिक्त स्थान में बढ़ी हुई राशि को लाख हजार के रूप में लिख देता था। ऐसी बढ़ी हुई राशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देशी मदिरा गोदाम में या विदेशी मदिरा के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में प्रस्तुत कर देशी मदिरा गोदाम या जिला आबकारी कार्यालय इंदौर में अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर राशि मदिरा शुल्क/मूल लाइसेंस शुल्क/न्यूनतम गारंटी के रूप में जमा कर मदिरा आपूर्ति की मांग के विरुद्ध एनओसी प्राप्त कर ली जाती थी या वार्षिक लाइसेंस शुल्क/मूल लाइसेंस शुल्क/न्यूनतम गारंटी ली जाती थी।
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आपत्तिजनक दस्तावेज में होंगे कई खुलासे
जानकारी के अनुसार ईडी टीम ने सर्चिंग के दौरान ठेकेदारों से लंबी पूछताछ की है और जो आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं, इससे आबकारी विभाग और ठेकेदारों के बीच की लंबी सांठगांठ सामने आने की संभावना व्यक्त कि जा रही है। उधर लॉकर भी खुलना बाकी है, जिसमें कई और दस्तावेज, ज्वेलरी, संपत्ति सामने आ सकती है।
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दर्ज हुई एफआईआर में हैं इनेक नाम
आबकारी विभाग द्वारा ही इस घोटाले में साल 11 अगस्त 2017 में केस दर्ज कराया गया था। इसमें आरोपी एमडी रोड समूह शराब ठेकेदार अविनाश सिंह मंडलोई और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा शराब समूह ठेकेदार राकेश जायसवाल, तोपखाना शराब समूह शराब ठेकेदार योगेंद्र जायसवाल, देवगुराड़िया शराब समूह ठेकेदार राहुल चौकसे, डायरेक्टर्स मेसर्स मिलियन ट्रेडर भोपाल प्रालि सूर्यप्रकाश अरोरा पिता गुरु चरण अरोरा, स्टेशन रोड महू समूह डायरेक्टर मेसर्स भारतीय देव बिल्ड प्रालि गोपाल शिवहरे, कांकरिया शराब समूह ठेकेदार लवकुश पांडे, ड्रीमलैंड चौराहा समूह प्रदीप जायसवाल, चोरल समूह ठेकेदार जितेंद्र शिवरामे, गवली पलासिया समूह अशप्रीत सिंह लुबाना, सांवेर समूह ठेकेदार दीपक जायसवाल और राजू दशवंत व अंश त्रिवेदी।
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इन पर यह धाराएं लगी
इन सभी आरोपियों पर आईपीसी धारा 420, 467, 468, 471, 406 औऱ 34 धाराएं लगी। बाद में इस मामले में तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी संजीव दुबे सहित आठ अधिकारियों को सस्पेंड किया गया, उपायुक्त विनोद रघुवंशी भी हटाए गए और कई अधिकारियों के वाणिज्य विभाग ने तबादले कर दिए। सस्पेंड अधिकारियों की विभागीय जांच की जा रही है।