मध्य प्रदेश के आठ हजार निजी स्कूलोें में पढ़ने वाले 25 हजार से अधिक गरीब बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। यह बच्चे जिन निजी स्कूलों में पढ़ते थे उन स्कूलों को मान्यता ही नहीं मिली है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा अप्रैल-मई में निजी स्कूलों की मान्यता रीन्यू की गई थी।
प्रदेश के 25 हजार स्कूलों में से केवल 16 हजार स्कूलों की मान्यता का ही नवीनीकरण किया गया। शेष बचे 8 हजार निजी स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण नहीं किया गया। जिसके चलते इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे और उनके अभिभावक अब अपने एडमिशन को लेकर चिंतित हैं।
निजी स्कूल संचालकों ने पालकों के साथ किया प्रदर्शन
राज्य शिक्षा केंद्र के नए नियमों के कारण मान्यता से वंचित रह गए स्कूल संचालकों ने बच्चों और अभिभावकों के साथ राज्य शिक्षा केंद्र कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर मान्यता रीन्यू करने या मान्यता के लिए पोर्टल को फिर प्रारंभ करने की मांग की। इस दौरान इन लोगों ने कार्यालय के गेट पर जमकर नारेबाजी भी की। इस प्रदर्शन में प्रदेशभर से निजी स्कूल संचालक, इन निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे व उनके माता-पिता शामिल थे।
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अभिभावक बोले, कैसे पढ़ाएं बच्चों को महंगे स्कूलों में
इस प्रदर्शन में शामिल हुए अभिभावकों ने बताया कि वे इन निजी स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत पढ़ा रहे थे, अब स्कूलों की मान्यता खत्म होने के बाद या तो वे अपने बच्चों को सरकारी हिंदी मीडियम स्कूलों में पढ़ाए या फिर मोटी फीस देकर निजी स्कूलों में पढ़ाऐं, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे निजी स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे है, अब तक अंग्रेजी मीडियम में पढ़ रहे बच्चे सरकारी हिंदी मीडियम में कैसे पढे़गें समझ नहीं आ रहा है।
शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया, लेकिन नहीं दी मान्यता
प्रदर्शन कर रहे स्कूल संचालकों ने बताया कि नए नियमों के कारण छोटे निजी स्कूल मान्यता नहीं कर पाए थे, जिसे लेकर प्रतिनिधिमंडल शिक्षामंत्री उदय प्रताप सिंह से मिला था, उन्होंने नियम बदलने का आश्वासन दिया था, लेकिन नियम नहीं बदले गए। इधर मान्यता संबंधी पोर्टल भी बंद हो गई। जिसके कारण राजधानी भोपाल के 450 स्कूलों सहित प्रदेश के आठ हजार स्कूलों को मान्यता नहीं मिल सकी।
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यह है निजी स्कूल संचालकों की प्रमुख मांगें
1- मान्यता संबंधी नियमों में छोटे स्कूलों को राहत दी जाए
2- आरटीई की सीटें निजी स्कूलों में समान रूप से बहाल की जाए
3- निजी स्कूलों का रुका हुआ आरटीई का पैसा तुरंत जारी किया जाए
4- निरस्त की गई मान्यता को पुनः बहाल किया जाए, मनमाने तरीके से स्कूल बंद न किए जाए
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