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इंदौर में NEET-UG परीक्षा के दौरान चार मई को हुई बारिश के कारण बिजली की समस्या के चलते लगी रिट अपील पर 14 जुलाई, सोमवार को विस्तृत 37 पन्नों का आदेश जारी किया गया था। इसमें छात्रों को कोई राहत नहीं मिली और उनकी रिटेस्ट की मांग खारिज कर दी गई। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की अपील मंजूर हो गई है। इसके खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में इंदौर के 52 अभ्यर्थी गए हैं। इनकी याचिका पर शुक्रवार, 25 जुलाई को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता ने रखी बात
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई 51 याचिकाओं के लिए अधिवक्ता मृदुल भटनागर के साथ अचल सिंह बूले पेश हुए। वहीं एक अन्य याचिका के लिए अधिवक्ता कीर्ति पटवर्धन हैं। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के लिए रख लिया।
इसके पहले हाईकोर्ट के आदेश में यह हुआ
हाईकोर्ट ने रिट अपील को खारिज करते हुए विस्तृत आदेश जारी किया था। इसमें एनटीए और स्थानीय प्रशासन को यह निर्देश दिए गए थे कि इस तरह की स्थिति से बचने के लिए वह भविष्य में हवा, पानी और इन सभी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करें। परीक्षा केंद्र तय करते समय इन बातों का ध्यान रखें और भविष्य में इस तरह के हालात न आने दें।
NEET-UG में रिटेस्ट, सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिकाएं पर एक नजर...
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याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिए गए थे
अभ्यर्थियों के अधिवक्ता मृदुल भटनागर के साथ ही नितिन भाटी, चिन्मय मेहता, विवेक शरण ने लगभग 70 याचिकाएं दायर कीं और बात रखी थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट के वंशिका यादव केस का हवाला दिया गया था, जिसमें रिटेस्ट की बात की गई थी। इसके अलावा साल भर बच्चों द्वारा मेहनत करने और एक-एक अंक के महत्व की बात भी की गई थी। साथ ही यह आरोप लगाया गया कि एनटीए ने किसी भी परीक्षा केंद्र का सीसीटीवी नहीं दिखाया और वहाँ अंधेरा था।
शासन, एनटीए की ओर से यह रखा गया पक्ष
एनटीए और शासन की ओर से कहा गया कि 49 परीक्षा केंद्रों में से केवल 18 पर पॉवर बैकअप की समस्या थी और दो केंद्रों पर दो मिनट के लिए समस्या आई थी। बाकी जगह कोई पॉवर समस्या नहीं आई या जनरेटर चालू हो गया था। इन परीक्षा केंद्रों में से एक से आल इंडिया रैंक 2 का अभ्यर्थी इंदौर से ही निकला है और 27 हजार से अधिक अभ्यर्थियों में से केवल 70 ही याचिका के लिए आए हैं। कई अन्य के चयन हुए हैं, जो रिटेस्ट नहीं चाहते। सभी ने औसतन 123 सवाल हल किए 180 में से, जो अन्य परीक्षा केंद्रों पर भी हुआ है, तो ऐसे में परीक्षा प्रभावित नहीं हुई।
हाईकोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद यह कहा
हाईकोर्ट ने कहा कि यह सही है कि पालक चिंतित हैं, बच्चे महंगी कोचिंग करते हैं, साल भर मेहनत करते हैं और सपने देखते हैं। लेकिन यह भी सही है कि 22 लाख परीक्षा में बैठते हैं और केवल एक लाख सीटें हैं। ऐसे में चयन प्रतिशत बहुत कम है। यह नहीं कहा जा सकता कि इन केंद्रों पर और बेहतर व्यवस्था होती तो इन्हें अधिक अंक मिलते। रिटेस्ट होने पर अधिक अंक आकर ये चयनित हो जाएंगे। सभी परिस्थितियाँ देखते हुए रिटेस्ट की अपील स्वीकार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में बीते साल के वंशिका केस में रिटेस्ट की बात थी, वह अलग केस था, जिसमें पेपर लीक की बात थी। वहीं एक ही कठिनाई स्तर का दो बार पेपर नहीं बन सकता है। इसलिए याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
हाईकोर्ट से रिट अपील तक यह चला केस
इस मामले में मृदुल भटनागर अधिवक्ता के जरिए कई याचिकाएं दायर की गईं। इसमें सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि याचिकाकर्ताओं, जिन्होंने 3 जून (जिस दिन आंसर की जारी हुई) के पहले हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं, उनके लिए रिटेस्ट किया जाए। इसके बाद एनटीए अपील में गया और कई अन्य अभ्यर्थियों ने भी याचिका दायर की।
सुनवाई के दौरान बेंच ने यहां तक कहा कि क्या यह कहा जा सकता है कि 22 लाख परीक्षा में बैठे थे और फिर से एसी, लाइट दें तो वे सफल हो जाएंगे। इसे हार्डलक और बैडलक ही कहेंगे, जैसा कि 787 प्लेन एक ही बार में क्रैश हुआ, और जिसमें जो महिला पहले फ्लाइट छूटने से खुद को अनलकी मान रही थी, वह बाद में खुद को लकी मान रही थी।
चार मई को आंधी-बारिश से गई थी बिजली
इंदौर में चार मई को परीक्षा के दौरान आंधी-बारिश के कारण एक से डेढ़ घंटे तक बिजली चली गई थी। इसे लेकर याचिका दायर की गई थी और परीक्षा प्रभावित होने के कारण फिर से परीक्षा कराने की मांग की गई थी। इस पर एनटीए के रिजल्ट जारी करने पर रोक लगा दी गई थी।
बाद में एनटीए की अपील पर केवल याचिकाकर्ताओं के रिजल्ट रोके गए और बाकी के रिजल्ट जारी करने की मंजूरी दी गई। हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए याचिकाकर्ताओं के लिए, विशेष रूप से जिनकी याचिकाएं तीन जून से पहले दायर की गई थीं, उनकी परीक्षा फिर से कराने के आदेश दिए। लेकिन अगले ही दिन एनटीए ने अपील दायर की और इसके बाद रिट पिटीशन पर आदेश पर स्टे हो गया। इसके बाद अब रिट अपील पर सुनवाई होगी। उधर इसी तरह के मद्रास हाईकोर्ट में लगे केस में हाईकोर्ट ने फिर से परीक्षा कराने की याचिका खारिज की थी।
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