चीते और बाघ के बाद MP में हाथियों को भी लगाया जाएगा सैटेलाइट कॉलर
बांधवगढ़ में हुई हाथियों की मौत के बाद वन विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। वन विभाग अब मध्य प्रदेश में चीते और बाघ की तर्ज पर हाथियों को भी सैटेलाइट कॉलर लगाए जाने का फैसला किया है।
मध्य प्रदेश में चीते और बाघ की तर्ज पर अब हाथियों (Elephants ) को भी सैटेलाइट कॉलर (satellite collars ) लगाए जाएंगे। सैटेलाइट कॉलर लगाने से हाथियों की लोकेशन का पता चल सकेगा। वन विभाग के एपीसीसीएफ एल. कृष्णमूर्ति (L. Krishnamurthy) ने बताया कि हाथी झुंड में रहते हैं। इसलिए सैटेलाइट कॉलर झुंड के किसी एक हाथी को लगाई जाएगी।
हाथियों की मॉनिटरिंग कॉरिडोर वाले जिलों के डीएफओ और वाइल्ड लाइफ मुख्यालय स्थित कंट्रोल कमांड सेंटर की होगी। उन्होंने बताया कि हाथियों की लोकेशन पता करने के लिए नई व्यवस्था की जा रही है। यदि हाथी गांव की तरफ जाते हैं तो उन्हें मैनेज कर जंगल की तरफ लाया जा सकेगा।
एमपी में हाथियों को सैटेलाइट कॉलर लगाने के लिए कर्नाटक वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने अनुमति दे दी है। बताया जा रहा है कि कर्नाटक में इस तरह के प्रयोग हो रहे हैं। मध्य प्रदेश में करीब 160 हाथी हैं। आंकड़ों के मुताबिक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 70 हाथी हैं। वहीं संजय डुबरी नेशनल पार्क में 25 हाथियों का डेरा है। हाथियों को मैनेज करने का गुर सीखने के लिए अधिकारियों का दो दल कोयम्बटूर और मैसूर जाएगा।
दोनों दलों में कान्हा, उमरिया, बांधवगढ़, मंडला,अनूपपुर, मंडला समेत अन्य हाथी कॉरिडोर (Elephant Corridor ) और प्रभावित इलाकों के डीएफओ शामिल हैं। सैटेलाइट कॉलर (satellite collars ) लगाने से जंगल के पास रहने वाली आबादी को बड़ी राहत मिलेगी। जंगली हाथी के गांव की तरफ जाने पर मैनेज कर जंगल की तरफ हांक दिया जाएगा। वन विभाग (forest department ) की तरफ से लोगों को भी जागरूक करने का काम किया जाएगा। बता दें कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की रहस्मयी मौत के बाद मध्य प्रदेश सरकार भी गंभीर है।
क्या है सैटेलाइट कॉलर
चीता, बाघ, और हाथियों को पहनाई जाने वाली सैटेलाइट कॉलर ID में ठीक वैसा ही GPS चिप लगा होता है। जैसा स्मार्टफोन्स या दूसरे मोबाइल डिवाइसेज में मिलता है। इस चिप की मदद से सैटेलाइट्स जानवरों की स्थिति और लोकेशन में होने वाले बदलाव का पता लगा सकते हैं और डाटा विशेषज्ञों के पास भेजते हैं।
FAQ
हाथियों को सैटेलाइट कॉलर लगाना क्यों जरूरी है ?
सैटेलाइट कॉलर लगाने का मुख्य उद्देश्य हाथियों की लोकेशन का पता लगाना है, ताकि यदि हाथी गांव की ओर बढ़ें, तो उन्हें मैनेज कर जंगल की तरफ वापस लाया जा सके। यह जंगल के पास रहने वाली आबादी की सुरक्षा के लिए भी है।
इस योजना को मंजूरी किसने दी है ?
मध्य प्रदेश में हाथियों को सैटेलाइट कॉलर लगाने के लिए कर्नाटक वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने अनुमति प्रदान की है।
कितने हाथियों की मौजूदा जनसंख्या मध्य प्रदेश में है ?
मध्य प्रदेश में लगभग 160 हाथी हैं। इनमें से 70 हाथी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में और 25 हाथी संजय डुबरी नेशनल पार्क में निवास करते हैं।