बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत का मामला अभी तक रहस्यमय बना हुआ है। इस घटना के बाद फील्ड डायरेक्टर गौरव चौधरी और सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) फतेसिंह निनामा को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आदेश पर, हाथियों के मूवमेंट की निगरानी के लिए छह विशेष दलों का गठन किया गया है और गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर मानव-हाथी संघर्ष और वन्यजीव प्रबंधन पर ध्यान दिया जा रहा है। मुख्य वन संरक्षक के द्वारा 35 कर्मचारियों को तैनात किया है।
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93 बाघों की मौत
बांधवगढ़ में हाथी और बाघों की मौतों का सिलसिला नया नहीं है। एनटीसीए के आंकड़ों के अनुसार, 2021 से सितंबर 2024 तक यहां 93 बाघों की मौत हो चुकी है, जो किसी अन्य टाइगर रिजर्व से ज्यादा है। इस साल भी 12 बाघों की मौत हो चुकी है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि बांधवगढ़ में बाघों की सबसे अधिक घनत्व है, 2023 के आंकड़ों के अनुसार यहां 165 बाघ पाए गए, जबकि मध्य प्रदेश के अन्य छह रिजर्व में बाघों की संख्या केवल 259 बढ़ी थी। हालांकि, विभाग बाघों के प्रबंधन में पूरी तरह से सफल नहीं हो सका है।
बांधवगढ़ में हाथियों की निगरानी के लिए छह विशेष दल गठित
हाथी रात भर दर्द से कराहते रहे
28 अक्टूबर की रात, बांधवगढ़ के खितौली और पतोर रेंज में हाथी दर्द से तड़पते हुए जोर-जोर से चिंघाड़ रहे थे, लेकिन वन विभाग की ओर से कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों ने सुबह सूचना दी, लेकिन वन अमला दोपहर को घटना स्थल पर पहुंचा और तब तक हाथियों की मौत हो चुकी थी। एसीएफ फतेहसिंह निनामा पर आरोप है कि एक हाथी की मौत के बाद उसके शव को बिना प्रोटोकॉल के नष्ट किया गया।
2022 में भी पनपथा रेंज में एक मृत हाथी के अवशेष मिले थे, जिन्हें बिना अधिकारियों को सूचित किए जला दिया गया था। इस मामले की जांच भी हुई थी, लेकिन मृत हाथी की पहचान नहीं हो सकी थी।
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मनुष्य-वन्यजीव संघर्ष
इसी के साथ मनुष्य-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ रहा है, खासकर बाघों और हाथियों की बढ़ती संख्या के कारण। उमरिया में बाघों के हमले में तीन लोगों की मौत हुई है, जबकि बांधवगढ़ में हाथियों के हमलों में भी वृद्धि देखी गई है।
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एक साल तक खाली रहा फील्ड डायरेक्टर का पद
हाल की घटना से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में व्यवस्था की कमजोरी भी स्पष्ट दिखाई देती है। 2023 में आईएफएस गौरव चौधरी ने फील्ड डायरेक्टर का पद संभाला है, लेकिन इससे पहले यह पद एक साल तक खाली था। विंसेंट रहीम के कार्यकाल में भी बाघों की मौतों की घटनाएं हुई थीं, और फतेह सिंह निनामा तब भी एसडीओ थे।
कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर कसा तंज
इस मामले पर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए टिप्पणी की है कि बीजेपी सरकार में वन्यजीव असुरक्षित हैं। साथ ही उन्होंने कहा की बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की लापरवाही ने वन्य जीवों के जीवन को संकट में ला दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव को आड़े हाथों लेते हुए कांग्रेस की तरफ से बोला गया कि मोहन सरकार की अनदेखी का खामियाजा मूक वन्यजीव को उठाना पड़ रहा है।
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