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मध्य प्रदेश में पिछले 5 साल में समय-समय पर कर्मचारियों को आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने की घोषणा की गई। इस योजना में कर्मचारियों को 5 से 10 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज प्रदान किया जाना था, जैसा अन्य प्रदेशों में लागू है। यह योजना कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए थी।
2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से लेकर अब तक शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान सीएम मोहन यादव द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद, कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं मिल पाया।
सरकारी कर्मचारियों को लाभ क्यों नहीं मिल रहा?
काफी समय से कर्मचारियों को यह योजना नहीं मिल पाई है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी के अनुसार, यह मामला 18 महीने से लटका हुआ है। तीन मुख्यमंत्रियों ने इस योजना का वादा किया था, लेकिन कर्मचारियों को इससे कोई फायदा नहीं मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि जब आम नागरिकों को यह लाभ मिल सकता है, तो सरकारी कर्मचारियों को क्यों नहीं? उमाशंकर तिवारी ने कहा है कि देशभर में 55 करोड़ आम नागरिकों को बगैर समिति के योजना का लाभ मिल रहा है वहीं सरकारी कर्मचारी को नहीं मिल रहा है।
कर्मचारियों की निराशा
आयुष्मान स्वास्थ्य योजना का फायदा कर्मचारियों को नहीं मिलने से कई कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है। 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से लेकर अब तक शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान सीएम मोहन यादव द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद, कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं मिल पाया। यही कारण है कि कर्मचारियों ने मांग की है कि सरकार इस मुद्दे का समाधान शीघ्र करे।
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समिति की भूमिका और उसकी स्थिति
स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू करने के लिए 9 फरवरी 2024 को मुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति का कार्य कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना तैयार करना था। लेकिन 18 महीने बाद भी कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली है। अब तक इसके परिणाम शून्य रहे हैं।
कर्मचारियों की मांग
कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने प्रदेश सरकार से यह मांग की है। उन्होंने कहा कि जब करोड़ों नागरिकों को बिना समिति के योजना का लाभ मिल सकता है, तो कर्मचारियों को क्यों नहीं? तिवारी ने यह भी कहा कि कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य बीमा की जरूरत है। सरकार को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए।
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