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Photograph: (The Sootr)
JABALPUR. जबलपुर के चर्चित के.पी. बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स से जुड़ा एक बड़ा आर्थिक फर्जीवाड़ा सामने आया है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने इस फर्म के पार्टनर विनय दुबे समेत चार लोगों के खिलाफ करीब 7 करोड़ 56 लाख रुपए के गबन का केस दर्ज किया है। फर्म के अन्य पार्टनरों को अंधेरे में रखकर कंपनी की बैलेंस शीट फर्जी ढंग से तैयार की गई और करोड़ों रुपये अपनों के खातों में ट्रांसफर कर दिए गए। यह पूरा घोटाला साल 2014 से 2023 के बीच अंजाम दिया गया।
शिकायत के बाद खुला पूरा मामला
इस घोटाले की शिकायत गिरीश पांडे और मंगल पटेल नाम के दो पार्टनरों ने की थी, जिन्होंने भोपाल मुख्यालय में दिनांक 11 नवंबर 2024 को शिकायत दर्ज करवाई थी। EOW जबलपुर की जांच में पाया गया कि के.पी. बिल्डर्स की रजिस्टर्ड फर्म में चार पार्टनर थे । मंगल पटेल, गिरीश पांडे, विनय दुबे और नरेंद्र अग्रवाल (जो बाद में अलग हो गए)। लेकिन जब फर्म ने कॉलोनी डेवलपमेंट का काम शुरू किया, तो फर्जीवाड़े की जड़ें गहराई तक फैल गईं।
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बैंक खातों का फर्जीवाड़ा और फर्जी खर्च के दस्तावेज
जांच में पता चला कि फर्म का मुख्य खाता केनरा बैंक, सदर ब्रांच में संचालित था। इस खाते में तीन लोगों मंगल पटेल, गिरीश पांडे और विनय दुबे को सिग्नेटरी (साइन करने का अधिकार) था। लेकिन विनय दुबे ने इस अधिकार का दुरुपयोग करते हुए कॉलोनी डेवलपमेंट के नाम पर नकली खर्चों को दिखाकर लगभग 6.17 करोड़ रुपए अतिरिक्त निकाल लिए।
विनय दुबे ने अपने नौकर आकाश उर्फ गोलू साहू के नाम पर ईंट, रेत, सीमेंट की खरीदी दर्शाकर उसके खाते में 36.85 लाख रुपए ट्रांसफर किए। वहीं अपने सहयोगी धर्मप्रकाश राजपूत के नाम पर 62.74 लाख रुपए और उसके भाई अमित राजपूत के खाते में रेत खरीदी के नाम पर 39.56 लाख रुपए भेज दिए। इन सभी ट्रांजेक्शन के लिए फर्जी बिल और एंट्री दिखाई गई।
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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबरफर्जीवाड़े का मामला: EOW ने के.पी. बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स से जुड़ा 7.56 करोड़ रुपए का गबन मामले में विनय दुबे समेत चार आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया। आरोप है कि फर्म के पार्टनरों को अंधेरे में रखकर कंपनी की बैलेंस शीट फर्जी तरीके से तैयार की गई और करोड़ों रुपये खुद के खातों में ट्रांसफर किए गए। बैंक और खर्चों का फर्जीवाड़ा: विनय दुबे ने फर्म के खाता सिग्नेटरी अधिकार का दुरुपयोग करते हुए नकली खर्चों को दिखाकर 6.17 करोड़ रुपए निकाल लिए। उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपने सहयोगियों के खातों में बड़ी राशि ट्रांसफर की, जैसे ईंट, रेत, सीमेंट की खरीदी का दिखावा किया। कॉलोनी निर्माण और खर्चों का खेल: ग्राम कछपुरा में कॉलोनी निर्माण के लिए नगर निगम से परमिशन मिली थी, लेकिन विनय दुबे ने खर्चों की फर्जी रिपोर्ट पेश की और 6.17 करोड़ की हेराफेरी की। असल में, कॉलोनी निर्माण में केवल 3.05 करोड़ का खर्च हुआ था, लेकिन रिपोर्ट में 9.22 करोड़ बताया गया। पार्टनरों के फर्जी हस्ताक्षर: शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनके फर्जी हस्ताक्षर कई दस्तावेजों पर किए गए थे, जिससे फर्जी गतिविधियां चलाई गईं। इन दस्तावेजों की अब फॉरेंसिक जांच की जाएगी। EOW की कार्रवाई: EOW ने इस मामले में केस दर्ज कर लिया है और जांच जारी है। यदि फर्जी दस्तावेजी साक्ष्य पाए जाते हैं, तो आरोपियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज की जा सकती है। यह घोटाला दिखाता है कि कैसे भरोसा तोड़कर आर्थिक धोखाधड़ी की जा सकती है। |
नगर निगम से मिली कॉलोनी परमिशन, लेकिन खर्चों का खेल अलग
ग्राम कछपुरा में कुल 3.04 हेक्टेयर जमीन पर कॉलोनी निर्माण की अनुमति नगर निगम ने दी थी। निगम ने 17 अक्टूबर 2017 को कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र भी जारी किया और कुल 3.05 करोड़ रुपए जमा भी हुए। लेकिन विनय दुबे ने जो बैलेंस शीट फर्म के नाम पर दिखाई, उसमें 9.22 करोड़ रुपए खर्च बताया गया। यानी लगभग 6.17 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई।
पार्टनरों के फर्जी हस्ताक्षर का भी आरोप
शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि कई दस्तावेजों पर उनके फर्जी हस्ताक्षर किए गए, जिससे उनके नाम पर बैंक और अन्य विभागों में फर्जी गतिविधियां चलाई गईं। इन दस्तावेजों की जांच अब केस दर्ज होने के बाद आगे की विवेचना में की जाएगी।
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EOW ने दर्ज किया केस, जांच में जुटी टीम
EOW के उप पुलिस अधीक्षक स्वर्णजीत सिंह धामी की विस्तृत जांच के आधार पर FIR दर्ज कर ली गई है। भोपाल आर्थिक अपराध शाखा थाने में केस नंबर 104/2025, धाराएं 406 (विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 120B (षड्यंत्र) के तहत अपराध दर्ज किया गया है।
चार मुख्य आरोपी1. विनय दुबे, पार्टनर, के.पी. बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स, निवासी गढ़ा, जबलपुर 2. आकाश उर्फ गोलू साहू, निवासी गढ़ा पुरवा, त्रिपुरी चौक, जबलपुर 3. धर्मप्रकाश राजपूत, निवासी गंगानगर, सिद्धेश्वर मंदिर के पीछे, जबलपुर 4. अमित राजपूत, निवासी गंगानगर, सिद्धेश्वर मंदिर के पीछे, जबलपुर |
क्या है आगे की प्रक्रिया
- अब इस मामले में पुलिस द्वारा गहन पूछताछ और दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच की जाएगी। यदि फर्जी सिग्नेचर और अन्य दस्तावेजी साक्ष्य भी पुष्टि में मिलते हैं, तो आरोपियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज की जा सकती है।
- यह मामला न केवल एक आर्थिक घोटाले का खुलासा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे भरोसे का रिश्ता और पार्टनरशिप को निजी फायदे के लिए तोड़ा जा सकता है।
- EOW की कार्रवाई से यह साफ है कि अब प्रदेश में रजिस्टर्ड फर्मों और बिल्डर्स की गतिविधियों पर भी सख्त नजर रखी जा रही है। बैंक धोखाधड़ी | के.पी. बिल्डर्स धोखाधड़ी | फर्जी दस्तावेजों से ठगी
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