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Photograph: (the sootr)
मध्य प्रदेश के जबलपुर से ताल्लुक रखने वाला 19 वर्षीय युवक साइबर ठगी का ऐसा मास्टरमाइंड निकला, जिसने महिला आईपीएस अफसरों की आवाज की हूबहू नकल कर उत्तरप्रदेश, राजस्थान और गुजरात तक लोगों को चूना लगाया। खुद को 'एसपी कासगंज अंकिता शर्मा' बताकर यह युवक QR कोड भेजकर पैसों की मांग करता था। कासगंज पुलिस ने अब इस जालसाज को रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया है।
आवाज में इतनी सफाई कि पुलिस भी धोखा खा गई
सिर्फ 9वीं पास इस आरोपी का नाम संकेत यादव है। उसने महिला एसपी की आवाज की ऐसी सटीक नकल सीखी कि सुनने वाले धोखा खा जाएं। लोगों को कॉल कर वह कहता "मैं एसपी अंकिता शर्मा बोल रही हूं, तुम्हारे खिलाफ शिकायत आई है। इस मामले में गिरफ्तारी हो सकती है। QR कोड भेज रही हूं, 10 हजार रुपए जमा कराओ, वरना सीधे जेल जाना पड़ेगा।"
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ग्राहक सेवा केंद्र को बनाता था निशाना
संकेत यादव खास तौर पर ग्राहक सेवा केंद्रों को अपना निशाना बनाता था। उसे इन केंद्रों के कामकाज और पैसों के लेन-देन की प्रक्रिया की पूरी जानकारी थी। एक मामले में यह बात भी सामने आई है कि उसने थाना प्रभारी को फोन कर एक ग्राहक सेवा केंद्र में जांच के लिए भेजा, ताकि केंद्र संचालक को दबाव में लेकर बात की जा सके। हालांकि ज्यादातर मामलों में उसने आम लोगों को ही अपना शिकार बनाया और महिला आईपीएस अधिकारी बनकर ठगी की।
ऐसे समझें 9 वीं पास युवक की ठगी का पूरा खेलसाइबर ठगी का मास्टरमाइंड: 19 वर्षीय संकेत यादव ने महिला आईपीएस अफसरों की आवाज की हूबहू नकल कर यूपी, राजस्थान और गुजरात में लोगों से ठगी की। QR कोड का इस्तेमाल: संकेत खुद को एसपी अंकिता शर्मा बताते हुए लोगों को QR कोड भेजता और उनसे पैसे जमा करने की मांग करता था। महाकाल मंदिर में सीखी अफसरों की भाषा: संकेत ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में सफाईकर्मी के तौर पर काम करते हुए अधिकारियों की भाषा और लहजे की नकल की। जेल से छूटने के बाद फिर शुरू किया ठगी का खेल: संकेत यादव को पहले साइबर फ्रॉड के मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जेल से छूटने के बाद उसने फिर से ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया। कासगंज पुलिस ने की गिरफ्तारी: पुलिस को सोशल मीडिया से जानकारी मिली कि कोई महिला आईपीएस अफसर की आवाज में ठगी कर रहा है, जिसके बाद 15 जुलाई 2025 को कासगंज रेलवे स्टेशन से उसे गिरफ्तार किया गया। |
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ट्रू कॉलर-व्हाट्सएप पर महिला एसपी की डीपी
ठगी की योजना के तहत वह सबसे पहले गूगल पर महिला आईपीएस अफसरों की प्रोफाइल ढूंढता, फिर नई सिम लेकर ट्रू कॉलर और व्हाट्सएप पर उनका नाम और फोटो लगा देता। जब वह संबंधित जिले के लोगों या पुलिसकर्मियों को कॉल करता, तो उनकी स्क्रीन पर महिला एसपी का नाम और फोटो दिखाई देती थी, जिससे उसे कोई शक नहीं करता था।
उज्जैन के महाकाल मंदिर से सीखी अफसरों की भाषा
संकेत ने ठगी की यह कला उज्जैन के महाकाल मंदिर में सीखी, जहां वह 2021 में सफाईकर्मी के तौर पर काम करता था। वीआईपी मूवमेंट के दौरान वह अधिकारियों की बातचीत ध्यान से सुनता और उनका लहजा और भाषा शैली याद रखता। यहीं से उसने 'अफसरों जैसा बोलने' की कला सीख ली।
बाद में उसने एक ग्राहक सेवा केंद्र पर काम किया, जहां से उसे पता चला कि वहां कैसे पैसे जमा होते हैं और ट्रांजैक्शन कैसे होते हैं। छह महीने पहले वह जबलपुर लौट आया और फिर यूपी का रुख किया।
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जेल से छूटते ही फिर शुरू किया खेल
संकेत को इससे पहले बदायूं पुलिस ने साइबर फ्रॉड के मामले में गिरफ्तार किया था। उसने आठ महीने की सजा काटी और 25 जून 2025 को जेल से छूटा। इसके बाद वह कासगंज पहुंचा और वर्तमान एसपी अंकिता शर्मा के नाम पर नए सिरे से ठगी शुरू की।
कासगंज ASP राजेश भारती ने बताया कि 8 जुलाई को सोशल मीडिया से पुलिस को जानकारी मिली कि कोई व्यक्ति एसपी अंकिता शर्मा की आवाज में बात कर लोगों से पैसे मांग रहा है। साइबर थाने में IT एक्ट और IPC की धारा 318 के तहत केस दर्ज हुआ और 15 जुलाई को कासगंज रेलवे स्टेशन से संकेत को गिरफ्तार कर लिया गया।
पहले भी कर चुका है पूर्व महिला एसपी के नाम पर ठगी
जांच में सामने आया है कि संकेत यादव इससे पहले कासगंज की पूर्व एसपी अपर्णा रजत कौशिक के नाम पर भी लोगों से ठगी कर चुका है। अब तक वह उत्तरप्रदेश, राजस्थान और गुजरात में 50 से अधिक बार महिला अधिकारी बनकर लोगों को अपना शिकार बना चुका है।
MP पुलिस भी सतर्क, जबलपुर से जुड़ी जानकारियों की जांच शुरू
संकेत यादव की गिरफ्तारी के बाद अब मध्यप्रदेश पुलिस भी सतर्क हो गई है। संभावना है कि आरोपी ने मध्यप्रदेश में भी महिला अफसरों के नाम पर ठगी की कोशिश की हो। जबलपुर पुलिस को यूपी पुलिस से आरोपी के नेटवर्क और कॉल रिकॉर्ड की जानकारी भेजी जा रही है।
पिता दिव्यांग, मां चलाती हैं चाय की दुकान
संकेत यादव जबलपुर के पाटन क्षेत्र का रहने वाला है। उसके पिता उमाशंकर दिव्यांग हैं और मां एक छोटी सी चाय की दुकान चलाती हैं। वह 15 साल की उम्र में घर छोड़कर उज्जैन चला गया था और तब से ही विभिन्न जगहों पर काम करते हुए ठगी की तरफ मुड़ गया।
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