EOW ने बंधक प्लॉट बेचने पर DHL इन्फ्राबुल्स संचालकों पर दर्ज की FIR

ईओडब्ल्यू ने DHL इन्फ्राबुल्स इंटरनेशनल के खिलाफ बंधक भूमि बेचने की FIR दर्ज की है। आरोपियों ने बिना अनुमति के 15 भूखंड बेचे थे। ईओडब्ल्यू की जांच में कंपनी के संचालकों की संलिप्तता पाई गई है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने डीएचएल इन्फ्राबुल्स इंटरनेशनल प्रा. लि. के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह मामला बंधक प्लॉट बेचने से संबंधित है। इस मामले में ईओडब्ल्यू भोपाल को शिकायत मिली थी। शिकायत क्रमांक 266/2025 की जांच के बाद यह केस दर्ज कर लिया गया है।

गलत तरीके से बेचे गए प्लॉट

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मुख्यालय भोपाल में पंजीबद्ध शिकायत क्रमांक 266/2025 के सत्यापन पर यह कार्रवाई हुई है। इसकी जांच में डीएचएल इन्फ्राबुल्स्स इंटरनेशनल प्रा. लि. के संचालकों पर बंधक संपत्ति गलत तरीके से बेचने का मामला पाया गया है। आरोपियों में (1) संतोष कुमार सिंह पिता शिवप्रसाद सिंह, (2) संजीव पिता अशोक जायसवाल, (3) अनिरुद्ध पिता मधुकर देव एवं अन्य शामिल हैं।

इस पर ईओडब्ल्यू भोपाल ने अपराध धारा 420, 467, 468, 471 और 120-बी के तहत केस दर्ज किया है। ईओडब्ल्यू एसपी रामेश्वर यादव के जरिए इस मामले की गहन जांच कराई जा रही है।

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यह हैं तीनों आरोपी

डीएचएल इन्फ्राबुल्स्स इंटरनेशनल प्रा. लि. के संचालकगण

  1. संतोष कुमार सिंह पिता शिवप्रसाद सिंह, डायरेक्टर, डीएचएल इन्फ्राबुल्स्स इंटरनेशनल प्रा. लि., 301, मेगापेलिस टॉवर, 579, एम.जी. रोड, इंदौर

  2. संजीव पिता अशोक जायसवाल, डायरेक्टर, डीएचएल इन्फ्राबुल्स्स इंटरनेशनल प्रा. लि., 301, मेगापेलिस टॉवर, 579, एम.जी. रोड, इंदौर

  3. अनिरुद्ध पिता मधुकर देव, डायरेक्टर, डीएचएल इन्फ्राबुल्स्स इंटरनेशनल प्रा. लि., 301, मेगापेलिस टॉवर, 579, एम.जी. रोड, इंदौर एवं अन्य

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इतने प्लॉट बेच डाले

आरोपी कंपनी डीएचएल इन्फ्राबुल्स्स ने 249 भूखंड कॉलोनी सेल इंदौर में बंधक रखे थे। ये भूखंड आईकॉनस लैण्डमार्क-01 और 02 के थे। इन भूखंडों को कंपनी ने विकास के बदले बंधक रखा था। शासन में बंधक रखे गए भूखंडों का स्वामित्व कॉलोनी सेल / शासन का है। कंपनी के जरिए बंधक भूखंड को मुक्त नहीं किया गया था।

इसके बावजूद कंपनी ने शासन के बंधक भूखंडों को बिना अनुमति बेचा था। उन्होंने अपर कलेक्टर से कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र नहीं लिया था। फिर भी, जानबूझकर 15 भूखंडों को बेच दिया था। इन भूखंडों की रजिस्ट्री अन्य पक्षकारों के नाम कर दी गई।

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